नैनीताल वन प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी चंद्र शेखर जोशी ने बताया कि भारत सरकार की ‘एवियन इन्फ्लुएंजा’ कार्य योजना-2021 के तहत जारी राष्ट्रीय दिशानिर्देशों के अनुसार जैव-सुरक्षा और निगरानी प्रणाली सुदृढ़ की गई है।
उन्होंने बताया कि इसके तहत उद्यान में मौजूद सभी पक्षियों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण और निगरानी के अलावा प्रवेश और निकास बिंदुओं पर कीटाणुशोधन और संवेदनशील बाड़ों में सीमित प्रवेश जैसे कड़े जैव-सुरक्षा नियम लागू किए जा रहे हैं।
जोशी ने बताया कि पक्षियों में बीमारी के लक्षणों की शीघ्र पहचान और उस पर त्वरित कार्रवाई के लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है जबकि आगंतुकों को सुरक्षित व्यवहार और स्वच्छता की जानकारी सूचना पट्ट एवं ध्वनि विस्तारक यंत्रों के जरिए दी जा रही है।
उन्होंने बताया कि पक्षी बाड़ों के प्रवेश और निकास पर कीटाणुनाशक युक्त फुट ‘डिप्स’ की स्थापना की गई है। उन्होंने बताया कि पक्षियों के साथ काम करने वाले कर्मचारियों के लिए साफ-सुथरे कपड़े और जूते भी शीघ्र उपलब्ध करा दिए जाएंगे ताकि वे भी संक्रमण के वाहक नहीं बनें।
प्रभागीय वन अधिकारी ने बताया कि पक्षियों के संपर्क में आने से पहले और बाद में अनिवार्य स्नान एवं वस्त्र परिवर्तन जरूरी किया गया है जबकि हाथों की स्वच्छता के लिए जैसे बार-बार साबुन से हाथ धोना या ‘हैंड सैनिटाइज़र’ का उपयोग किया जा रहा है। पक्षियों को संभालते समय या उनके बाड़ों में प्रवेश करते समय पीपीई (जैसे दस्ताने, मास्क, कवरऑल्स) का प्रयोग भी अनिवार्य कर दिया गया है। (भाषा)
edited by : Nrapendra Gupta
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