तीन जगह बहती है ये नदी:
1. उत्तराखंड: ऐसा माना जाता है कि पुराणों की वैतरणी नदी का पृथ्वी पर स्थित हिस्सा देवभूमि उत्तराखंड में कहीं पर है, लेकिन कहां है यह किसी को पता नहीं है।
2. महाराष्ट्र: महाराष्ट्र के नासिक के पास पश्चिमी घाट से एक नदी निकलती है जो अरब सागर में गिरती है, उसे स्थानीय लोग वैतरणी कहते हैं। त्र्यंबकेश्वर में सह्याद्री पर्वत श्रृंखला से निकलती है। यह विशेष रूप से ब्रह्मगिरी पहाड़ियों के पश्चिम में स्थित है। यह नदी पश्चिम की ओर बहने वाली नदी है। वैतरणी से थोड़ी ही दूरी पर मशहूर गोदावरी का भी उद्गम स्थल भी है जिसे दक्षिण की गंगा कहते ही हैं।
3. ओडिशा राज्य की वैतरणी नदी:
1. उद्गम: ओडिशा राज्य में जो वैतरणी नाम की नदी बहती है उसे मुख्य नदी माना गया है। यह बहुत बड़ी और सुंदर नदी है। इसमें भयानक किस्म के मगरमच्छ भी हैं। यह गोनासिका पहाड़ी से निकलती है। गोनासिका पहाड़ी क्योंझर शहर से 30 किमी की दूरी पर स्थित है।
2. गुप्त गंगा: गोनासिका यानी गाय के नाक के आकार की पहाड़ी से यह निकलकर यह नदी लगभग आधा किलोमीटर तक भूमिगत होकर बहती है और बाहर से दिखाई नहीं देती। इसलिए इसे गुप्त गंगा भी कहते हैं।
3. नदी की लंबाई: आगे यह नदी भूमि से निकलकर नजर आने लगती है और जैसे-जैसे यह आगे बढ़ती जाती है इसका पाट चौड़ा होता जाता है। इसकी लम्बाई करीब 355 किमी बताई गई है।
4. नदी का विलय: यह नदी ब्राह्मणी नदी के साथ मिलकर बालेश्वर जिले में धामरा के पास बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। इसके बेसिन को ब्राह्मणी-वैतरणी बेसिन कहा जाता है।
5. शंख टापू का रहस्य: नदी का जहां पर समापन होता है वहां पर शंख के आकार का एक रहस्यमयी टापू भी है। कहते हैं कि यह बैकुंठ जाने का स्थान है। यहां पर एक मंदिर है जहां के प्रसाद को खाने के लिए हजारों की संख्या में जिंदा शंख आते हैं।
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