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दीवाली का पर्व ये - डॉ. सत्यवान सौरभ

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शुभ दीवाली आ गई,  झूम रहा संसार।  
माँ लक्ष्मी का आगमन, सजे सभी घर द्वार।।  

सुख वैभव सबको मिले, मिले प्यार उपहार।  
सच में सौरभ हो तभी, दीवाली त्यौहार।।  

दीवाली का पर्व ये, हो सौरभ तब खास।  
आ जाए जब झोंपड़ी, महलों को भी रास।।  
 
जिनके स्वच्छ विचार हैं, रखे प्रेम व्यवहार।  


उनके सौरभ रोज ही, दीवाली त्यौहार।।  

दीवाली उनकी मने, होय सुखी परिवार।  
दीप बेच रोशन करे, सौरभ जो घर द्वार।।  
 


मैंने उनको भेंट की, दीवाली और ईद।  
जान देश के नाम कर, जो हो गए शहीद।।  

फीके-फीके हो गए, त्योहारों के रंग।  
दीप दिवाली के बुझे, होली है बेरंग।।  
  
नेह भरे मोती नहीं, खाली मन का सीप।  
सूख गई हैं बातियाँ, जलता कैसे दीप।।  

बाती रूठी दीप से, हो कैसे प्रकाश।  
बैठा मन को बांधकर, अंधियारे का पाश।।  
-डॉ. सत्यवान सौरभ, उब्बा भवन, आर्यनगर, हिसार (हरियाणा)-127045
 

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