प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी- एक ऐसा नाम, जो भारत की सियासत में सूरज की तरह चमकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनका परिवार आज भी सादगी की छांव में जिंदगी जीता है? हाल ही में बिहार की एक रैली में पीएम मोदी ने राजद और कांग्रेस पर अपनी दिवंगत मां हीराबेन के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “मां हमारा गौरव है, हमारी ताकत है। लेकिन बिहार में राजद-कांग्रेस के मंच से मेरी मां को गालियां दी गईं। ये देश की हर मां का अपमान है।”
इस बयान ने जहां विपक्ष को कटघरे में खड़ा किया, वहीं पीएम मोदी के परिवार की कहानी एक बार फिर सुर्खियों में आ गई। आइए, जानते हैं कि पीएम मोदी के परिवार में कौन-कौन है, वो क्या करते हैं, और उनके पिता के निधन के वक्त वो किस भूमिका में थे। साथ ही, उनके भाई-बहनों और उनके बच्चों की पूरी कहानी…
पीएम मोदी का परिवार: सादगी की मिसालनरेंद्र मोदी का परिवार गुजरात के वडनगर का एक साधारण परिवार है, जो अपनी मेहनत और मूल्यों के लिए जाना जाता है। उनके परिवार में माता-पिता, पत्नी, भाई-बहन, और चचेरे भाई-बहन शामिल हैं। लेकिन इस परिवार की खासियत ये है कि पीएम की शोहरत और ताकत के बावजूद, सभी ने सादा जीवन चुना है।

नाम: दामोदरदास मूलचंद मोदी
पेशा: वडनगर रेलवे स्टेशन के पास चाय की दुकान चलाते थे।
निधन: 1989 में हड्डी के कैंसर से निधन।
उस वक्त मोदी की भूमिका: 1989 में नरेंद्र मोदी कोई बड़ा सियासी या संवैधानिक पद पर नहीं थे। वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रचारक थे और धीरे-धीरे भारतीय जनता पार्टी (BJP) के संगठनात्मक कामों में सक्रिय हो रहे थे। 1985 में RSS ने उन्हें BJP में भेजा था, और 1987-88 में वो अहमदाबाद नगर निगम चुनाव में पार्टी की रणनीति बनाने में जुटे थे। लेकिन तब तक उनकी कोई औपचारिक सियासी भूमिका नहीं थी।
नाम: हीराबेन मोदी
पेशा: गृहिणी, सादगी और मजबूत मूल्यों की प्रतीक।
निधन: 30 दिसंबर 2022 को 100 साल की उम्र में अहमदाबाद में निधन।
खास बात: हीराबेन अपने छोटे बेटे पंकज मोदी के साथ गांधीनगर में रहती थीं। पीएम मोदी अक्सर उनसे मिलने जाते थे और उनकी सादगी की तारीफ करते थे।
नरेंद्र मोदी छह भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर हैं। आइए, जानते हैं उनके भाई-बहन क्या करते हैं और उनके बच्चों की कहानी…
सोमाभाई मोदी (सबसे बड़े भाई)पेशा: रिटायर्ड स्वास्थ्य अधिकारी, वडनगर में एक वृद्धाश्रम चलाते हैं।
बच्चे: दो बेटे- जयेश और नरेश। दोनों का जीवन सादा है, और ज्यादा जानकारी सार्वजनिक नहीं है।
खास बात: सोमाभाई ने इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “मैं नरेंद्र मोदी का भाई हूं, प्रधानमंत्री का नहीं। मेरे लिए वो सवा सौ करोड़ देशवासियों में से एक हैं।” वो कई सालों से पीएम से नहीं मिले, और बातचीत फोन पर ही होती है।
पेशा: एक निजी कंपनी में फिट्टर के रूप में रिटायर्ड। अहमदाबाद में रहते हैं।
बच्चे: एक बेटा- संजय, जो स्पेयर पार्ट्स की छोटी दुकान चलाता है। संजय की पत्नी और दो बच्चे (पोते) हैं।
खास बात: अमृतभाई ने बताया कि वो आखिरी बार 1971 में नरेंद्र मोदी से मिले थे, जब उन्होंने घर छोड़ने का फैसला किया। उनकी सैलरी कभी 10 हजार से ज्यादा नहीं थी, और परिवार टू-व्हीलर पर चलता है।
पेशा: अहमदाबाद में राशन की दुकान चलाते हैं। गुजरात स्टेट फेयर प्राइस ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष।
बच्चे: एक बेटा- सुशील, जो पिता के साथ राशन की दुकान में मदद करता है।
खास बात: प्रह्लादभाई अक्सर राशन की कीमतों का मुद्दा उठाते हैं। उन्होंने मोदी के गुजरात CM रहते हुए भी ये मुद्दा उठाया था।
पेशा: गुजरात सरकार के सूचना विभाग में अधिकारी, गांधीनगर में कार्यरत।
बच्चे: एक बेटा- सुयश, जो ज्यादा पब्लिक लाइमलाइट में नहीं है।
खास बात: हीराबेन पंकजभाई के साथ रहती थीं। पंकजभाई कई बार पीएम से मिल चुके हैं।
पेशा: गृहिणी। पति हसमुखभाई रिटायर्ड LIC अधिकारी थे।
बच्चे: ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं, लेकिन उनके बच्चे गुजरात में साधारण जीवन जीते हैं।
खास बात: वसंतिबेन अपने परिवार के साथ गुजरात में रहती हैं और सियासत से दूर हैं।
भरतभाई मोदी: वडनगर से 60 किमी दूर एक पेट्रोल पंप पर काम करते हैं।
अशोकभाई मोदी: वडनगर के घीकांता बाजार में 8×4 फीट की छोटी दुकान पर पतंग, पटाखे और स्नैक्स बेचते हैं। महीने की कमाई करीब 4 हजार रुपये।
अरविंदभाई मोदी: कबाड़ की दुकान चलाते हैं, महीने की कमाई 6-7 हजार रुपये।
खास बात: इन चचेरे भाइयों ने कभी पीएम से मदद नहीं मांगी। वो कहते हैं, “हमें अपनी मेहनत पर भरोसा है।”
1989 में जब दामोदरदास मोदी का निधन हुआ, नरेंद्र मोदी RSS के प्रचारक थे। 1970 के दशक में वो RSS से जुड़े थे और 1985 में BJP में संगठनात्मक काम के लिए भेजे गए। 1987-88 में अहमदाबाद नगर निगम चुनाव में उनकी रणनीति ने BJP को जीत दिलाई, लेकिन वो कोई सियासी पद पर नहीं थे। पिता के अंतिम संस्कार के बाद उसी दिन वो अहमदाबाद में BJP की मीटिंग में शामिल हुए। विश्व हिंदू परिषद के तत्कालीन महासचिव दिलीप त्रिवेदी ने कहा, “मोदी का ये समर्पण हमें हैरान कर गया।”
क्या है खास?पीएम मोदी का परिवार सादगी की मिसाल है। 2016 में एक रैली में मोदी ने कहा, “मैंने अपना परिवार, घर, सब कुछ देश के लिए छोड़ दिया।” उनके भाई-बहन और रिश्तेदार आज भी आम जिंदगी जीते हैं। अमृतभाई की सैलरी कभी 10 हजार से ज्यादा नहीं थी, और उनके चचेरे भाई 4-7 हजार की कमाई में गुजारा करते हैं। पीएम ने एक बार कहा, “मेरे परिवार को श्रेय जाता है कि उन्होंने मुझे कभी परेशान नहीं किया। आज के दौर में ये बहुत मुश्किल है।”
नरेंद्र मोदी का परिवार सिर्फ उनका साथी नहीं, बल्कि भारत के हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है, जो मेहनत और सादगी से जिंदगी जीना चाहता है। ये वो लोग हैं, जिन्होंने चाय की दुकान से लेकर PM हाउस तक का सफर देखा, लेकिन अपनी जड़ों को कभी नहीं छोड़ा। यही है मोदी परिवार का असली जादू!
नोट: यह खबर मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर है। UPUKLive की सत्यता का दावा नहीं करता।
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