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1 लाख 68 हजार की पेंशन! पीएम मोदी की पत्नी जशोदाबेन का सादगी भरा जीवन और सुविधाएं

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आज 17 सितंबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं। पूरा देश इस खास मौके को ‘सेवा पखवाड़ा’ के रूप में उत्साह से सेलिब्रेट कर रहा है। लेकिन इस जश्न के बीच एक सवाल कई लोगों के मन में कौंध रहा है – पीएम मोदी की पत्नी जशोदाबेन आजकल कहां हैं और उनका जीवन कैसा है? आइए, आपको बताते हैं उनकी जिंदगी की कुछ अनकही बातें, जो शायद आपको हैरान कर दें।

जशोदाबेन एक ऐसी महिला हैं, जो सादगी और आत्मनिर्भरता की मिसाल हैं। वह आज भी अपनी पेंशन पर निर्भर हैं, जो उन्हें एक रिटायर स्कूल शिक्षिका के तौर पर मिलती है। उनका जीवन ना केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सादगी और मेहनत से कोई भी अपनी अलग पहचान बना सकता है।

मोदी और जशोदाबेन की अनोखी कहानी

नरेंद्र मोदी और जशोदाबेन का रिश्ता हमेशा से सुर्खियों में रहा है। साल 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने पहली बार अपने नामांकन पत्र में जशोदाबेन को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इससे पहले वह हमेशा खुद को अविवाहित बताते थे। उनकी यह स्वीकारोक्ति उस समय चर्चा का बड़ा विषय बनी थी।

दोनों की शादी कम उम्र में एक अरेंज मैरिज के तौर पर हुई थी, लेकिन शादी के तुरंत बाद ही वे अलग हो गए। जशोदाबेन ने इस अलगाव के बावजूद हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और एक स्कूल शिक्षिका बनकर अपनी पहचान बनाई। वह 1978 से 1990 तक गुजरात के बनासकांठा जिले में बच्चों को पढ़ाती थीं। आज वह रिटायर हो चुकी हैं और अपने भाई के साथ गुजरात के उंझा में रहती हैं।

पेंशन और सरकारी सुविधाएं

जशोदाबेन को एक रिटायर शिक्षिका के तौर पर हर महीने 1 लाख 68 हजार रुपये की पेंशन मिलती है। इसके अलावा, उन्हें कुछ अन्य सरकारी सुविधाएं भी प्राप्त हैं। सबसे अहम है उनकी सुरक्षा। हालांकि, उन्हें विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) की सुरक्षा नहीं मिलती, जो केवल प्रधानमंत्री और उनके परिवार को दी जाती है। इसके बजाय, गुजरात पुलिस के कमांडो उनके साथ 24 घंटे तैनात रहते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्हें यात्रा के लिए एक सरकारी वाहन भी उपलब्ध कराया गया है।

सादगी और भक्ति में डूबी जिंदगी

प्रधानमंत्री की पत्नी होने के बावजूद, जशोदाबेन ने कभी भी सुर्खियों में रहने की कोशिश नहीं की। वह गुजरात के उंझा में अपने भाई के साथ एक साधारण और एकांत जीवन जीती हैं। उनकी दिनचर्या बेहद सादगी भरी है। सुबह जल्दी उठकर पूजा-पाठ करना, भजन-कीर्तन में समय बिताना और आध्यात्मिक कार्यों में ध्यान लगाना उनकी जिंदगी का हिस्सा है।

वह किसी भी राजनीतिक कार्यक्रम या सार्वजनिक समारोह से दूरी बनाए रखती हैं। एक तरह से, उन्होंने अपनी एक अलग और निजी पहचान बनाई है, जो किसी भी पद या रुतबे से परे है। उनकी यह आत्मनिर्भरता और सादगी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी सिखाती है कि सच्ची खुशी सादगी में ही छिपी है।

जशोदाबेन का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों, मेहनत और लगन से अपने लिए एक सम्मानजनक जगह बनाई जा सकती है। उनकी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो अपने दम पर कुछ कर दिखाना चाहता है।

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