जब से भारत में जीएसटी लागू हुआ, सरकार के खजाने में धन की बरसात हो रही है। वित्त वर्ष 2024-25 में जीएसटी कलेक्शन ने नया रिकॉर्ड कायम किया है, जो देश की आर्थिक ताकत को दर्शाता है। इस साल ग्रॉस जीएसटी कलेक्शन 22.08 लाख करोड़ रुपये के ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गया, जो पांच साल पहले 11.37 लाख करोड़ रुपये था।
यानी, इस अवधि में कलेक्शन लगभग दोगुना हो चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में यह आंकड़ा और ऊपर जाएगा, जो भारत की मजबूत होती अर्थव्यवस्था का संकेत है। आइए, इस उपलब्धि के पीछे के आंकड़ों और कारणों पर एक नजर डालते हैं।
रिकॉर्ड तोड़ कलेक्शन की कहानी
वित्त वर्ष 2024-25 में जीएसटी कलेक्शन ने 22.08 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा छूकर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। यह पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 9.4 प्रतिशत अधिक है। अगर मासिक औसत की बात करें तो इस साल प्रति माह 1.84 लाख करोड़ रुपये का कलेक्शन हुआ, जो 2023-24 में 1.68 लाख करोड़ और 2021-22 में 1.51 लाख करोड़ रुपये था।
यह लगातार बढ़ता आंकड़ा दर्शाता है कि जीएसटी प्रणाली न केवल स्थिर हो चुकी है, बल्कि यह देश के राजस्व संग्रह को और मजबूती दे रही है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले कुछ वर्षों में मासिक कलेक्शन 2 लाख करोड़ रुपये के आसपास पहुंच सकता है। यह वृद्धि अर्थव्यवस्था में बढ़ते कारोबारी लेनदेन और बेहतर अनुपालन का परिणाम है।
टैक्सपेयर्स की संख्या में उछाल
जीएसटी ने न केवल राजस्व बढ़ाया, बल्कि करदाताओं की संख्या में भी जबरदस्त इजाफा किया है। 2017 में जहां जीएसटी के तहत 65 लाख करदाता रजिस्टर्ड थे, वहीं आठ साल बाद यह संख्या बढ़कर 1.51 करोड़ से अधिक हो गई है। यानी, करदाताओं की संख्या भी दोगुनी से ज्यादा हो चुकी है।
सरकार के एक बयान में कहा गया कि जीएसटी ने अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को अधिक कुशल और पारदर्शी बनाया है। इसने न केवल राजस्व संग्रह को बढ़ाया, बल्कि भारत की राजकोषीय स्थिति को भी मजबूत किया है। जीएसटी की इस सफलता ने कर प्रणाली को सरल बनाने और कारोबारी माहौल को बेहतर करने में अहम भूमिका निभाई है।
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