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बिजनौर से उठीं एक साथ तीन अर्थियां! मां-बेटियों की मौत की कहानी सुनकर कांप उठेगा दिल

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बिजनौर। कर्ज के बोझ से टूटे एक परिवार ने सामूहिक आत्महत्या का प्रयास किया। जिले के नूरपुर थाना क्षेत्र के टेंडरा गांव में एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी और दो बेटियों के साथ जहरीला पदार्थ खा लिया। इस हृदयविदारक घटना में मां और दो बेटी की मौत हो गई। जबकि पिता की हालत गंभीर बनी हुई है।

कर्ज के कारण टूट गया परिवार

घटना का मुख्य कारण साहूकारों से लिया गया कर्ज बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक, पुखराज नामक व्यक्ति ने प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों से सवा लाख रुपये का कर्ज लिया था। ब्याज के साथ बढ़ कर कर्ज 6 लाख रुपये हो गया था। कंपनी के प्रतिनिधि लगातार उसके घर पहुंचकर भुगतान के लिए दबाव बना रहे थे। इस मानसिक तनाव के चलते पुखराज (52) ने पत्नी रमेशिया (50), बड़ी बेटी अनीता (19) और छोटी बेटी सविता (17) के साथ कल जहर खा लिया था।

3 की मौत, पिता की हालत गंभीर

चारों को तत्काल नूरपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कल लाया गया था। जहां से उन्हें बिजनौर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। इलाज के दौरान रमेशिया और अनीता की कल मौत हो गई थी। जबकि पुखराज और सविता को गंभीर हालत में मेरठ मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है जहां पर आज सविता ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

जिला अस्पताल के डॉक्टर लव कुमार ने पुष्टि की कि चारों ने जहरीला पदार्थ खाया था जिसमें से दो की मौके पर ही मौत हो गई। बाकी दो की हालत नाजुक बनी हुई है और डॉक्टरों की टीम लगातार निगरानी कर रही है।

प्रशासन का रवैया सवालों के घेरे में

घटना के बाद गांव में रोष का माहौल है। सूत्रों से पता चला है कि एम्बुलेंस समय पर नहीं पहुंची जिससे जान बचाई जा सकती थी। लोगों का कहना है कि प्रशासन को समय रहते सूचना दी गई थी फिर भी देरी हुई।

  जांच के आदेश

बिजनौर के पुलिस अधीक्षक अभिषेक झा ने कल जिला अस्पताल पहुंचकर पीड़ित परिवार से मुलाकात की और पूरी घटना की जानकारी ली। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक जांच में कर्ज वसूली को लेकर लगातार मानसिक प्रताड़ना का मामला सामने आया है।

जिलाधिकारी जसजीत कौर ने बताया कि प्रथम दृष्टया यह पारिवारिक झगड़े और कर्ज के तनाव का मामला प्रतीत होता है। पुखराज तांगा चलाने और ईंट-भट्ठे पर काम करके परिवार का गुजारा करता था। डीएम ने कहा कि घटना की गंभीरता को देखते हुए जांच के लिए एक टीम का गठन कर दिया गया है। जांच के बाद ही साफ होगा कि कर्ज देने वाली संस्था की भूमिका क्या रही और वसूली का तरीका किस हद तक पहुंच गया था।

सामाजिक और प्रशासनिक जिम्मेदारी पर सवाल

यह घटना केवल एक पारिवारिक त्रासदी नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में निजी वित्तीय संस्थाओं द्वारा की जा रही जबरन वसूली और प्रशासनिक लापरवाही का गंभीर उदाहरण है। यह मामला न सिर्फ आर्थिक दबाव की भयावहता को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि समय पर मदद न मिलने से कितनी जिंदगियां खत्म हो सकती हैं। उधर इस घटना के बाद पुलिस ने 9 साहूकारों और 2 फाइनेंस कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।

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