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आपने भी नहीं सोचा होगा! चने की दाल के 4 फायदे जो जीवन बदल सकते हैं

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चना दाल, भारतीय रसोई का एक अहम हिस्सा, न केवल स्वाद में लाजवाब है, बल्कि सेहत के लिए भी अनमोल खजाना है। यह पोषक तत्वों से भरपूर है और प्रोटीन, फाइबर, आयरन, कैल्शियम, और विटामिन जैसे गुणों से लबरेज है। लेकिन हाल ही में चना दाल की कीमतों में उछाल ने आम लोगों की चिंता बढ़ा दी है। सरकार की तैयारियों में कमी के चलते इसकी कीमतें आसमान छू रही हैं। फिर भी, इसके स्वास्थ्य लाभ इतने जबरदस्त हैं कि इसे अपनी डाइट में शामिल करना जरूरी है। आइए, चना दाल के फायदों और इसे अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल करने के तरीकों पर एक नजर डालते हैं।

डायबिटीज को नियंत्रित करने में सहायक

डायबिटीज आज के समय में एक आम समस्या बन चुकी है, और अनियंत्रित शुगर लेवल कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। चना दाल इस मामले में एक वरदान साबित हो सकती है। इसमें मौजूद निम्न ग्लाइसेमिक इंडेक्स (Glycemic Index) शरीर में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। नियमित रूप से चना दाल का सेवन करने से ब्लड शुगर स्थिर रहता है, जिससे डायबिटीज के मरीजों को राहत मिलती है। इसे आप सूप, करी या सलाद के रूप में अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।

वजन घटाने और कोलेस्ट्रॉल में राहत

अगर आप बढ़ते वजन से परेशान हैं, तो चना दाल आपका सबसे अच्छा दोस्त बन सकता है। इसमें मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है और लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस होता है, जिससे अनावश्यक खाने की इच्छा कम होती है। साथ ही, यह शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करने में भी मदद करता है, जिससे हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा कम होता है। रोजाना एक कटोरी चना दाल की सब्जी या सलाद आपके स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है।

एनीमिया से बचाव और रक्त संचार में सुधार

एनीमिया यानी खून की कमी एक ऐसी समस्या है, जो खासकर महिलाओं में आम है। चना दाल में आयरन की प्रचुर मात्रा होती है, जो हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने में मदद करती है। नियमित रूप से 50-100 ग्राम चना दाल का सेवन करने से शरीर में आयरन की कमी दूर होती है और रक्त संचार बेहतर होता है। इसे भिगोकर खाने से इसके पोषक तत्व और भी प्रभावी हो जाते हैं। खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए यह बेहद फायदेमंद है।

पीलिया में राहत और इम्यूनिटी बूस्टर

पीलिया जैसी बीमारी में चना दाल एक प्राकृतिक औषधि की तरह काम करती है। इसमें मौजूद प्रोटीन, फाइबर, और विटामिन पीलिया के प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं। रोजाना 50-100 ग्राम भिगोई हुई चना दाल का सेवन न केवल पीलिया से राहत देता है, बल्कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। इसे आप नाश्ते में सलाद के रूप में या दोपहर के भोजन में दाल के रूप में ले सकते हैं।

कीमतों में उछाल, फिर भी क्यों जरूरी?

हाल के महीनों में चना दाल की कीमतों में तेजी आई है, जिसका कारण आपूर्ति में कमी और सरकारी नीतियों की नाकाफी तैयारी है। लेकिन इसके बावजूद, चना दाल के पोषक गुण इसे हर भारतीय रसोई में जरूरी बनाते हैं। इसे कम मात्रा में खरीदकर और सही तरीके से स्टोर करके आप अपने बजट में इसका लाभ उठा सकते हैं। इसे भिगोकर, अंकुरित करके, या सूप और करी में इस्तेमाल करके आप अपने परिवार की सेहत का ख्याल रख सकते हैं।

निष्कर्ष: सेहत और स्वाद का संगम

चना दाल न केवल एक किफायती और पौष्टिक भोजन है, बल्कि यह आपके स्वास्थ्य को कई तरह से बेहतर बनाती है। डायबिटीज, वजन नियंत्रण, एनीमिया, और पीलिया जैसी समस्याओं से निपटने में यह एक प्रभावी साथी है। भले ही इसकी कीमतों में उछाल आया हो, लेकिन इसे अपनी डाइट में शामिल करने के फायदे अनगिनत हैं। तो आज से ही चना दाल को अपने भोजन का हिस्सा बनाएं और स्वस्थ जीवन की ओर कदम बढ़ाएं।

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