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भारत की सांस्कृतिक और बौद्धिक धरोहर में दर्शनशास्त्र का एक महत्वपूर्ण स्थान : कुलपति

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कानपुर, 26 जून (Udaipur Kiran) । भारत की सांस्कृतिक और बौद्धिक धरोहर में दर्शनशास्त्र (फिलॉसफी) का एक महत्वपूर्ण स्थान है। दर्शनशास्त्र का अध्ययन न केवल विचारधारा और नैतिकता के गहरे पहलुओं को समझने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि यह विभिन्न पेशेवर क्षेत्रों में करियर की सम्भावनाओं का भी द्वार खोलता है। दर्शनशास्त्र की शिक्षा से प्राप्त कौशल और दृष्टिकोण कई क्षेत्रों में मूल्यवान हो सकते हैं।

यह बातें गुरूवार को छत्रपति शाहू जी महाराज के कुलपति प्रो. विनय पाठक ने बीए ऑनर्स फिलॉसफी के कोर्स को शुरू होने की जानकारी देते हुए कही। कुलपति ने बताया कि बीए (ऑनर्स) फिलॉसफी की एक वर्ष की फीस ₹19,200 सुनिश्चित की गई है। उन्होंने कहा एक दौर में केवल टीचिंग प्रोफेशन के लिए उपयुक्त समझी जाने वाली फिलॉसफी अब सभी पुरानी अवधारणाओं को पीछे छोड़ते हुए टॉपर्स की पसंद के तौर पर उभरी है। रिसर्च से लेकर कॉर्पोरेट सेक्टर, लॉ, बायो मेडिसिन, ग्रीन डेवलपमेंट मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में फिलॉसफी के छात्र बाज़ी मार रहे हैं। लॉ और मैनेजमेंट कोर्सेज में भी फिलॉसफी को अनिवार्य विषय में शामिल किया गया है।

–नई शाखाओं में विकासफिलॉसफी लॉजिक, एथिक्स, सौंदर्यशास्त्र, तत्व और ज्ञान मीमांसा का मिला-जुला रूप है। वर्तमान में यह विषय अपनी पारम्परिक शाखाओं से कहीं आगे बढ़कर क्वांटम फिजिक्स फिलॉसफी, एनालिटिकल फिलॉसफी, कलाशास्त्र दर्शन, बायोमेडिकल एथिक्स, बिजनेस एथिक्स, इनवायार्नमेंटल एथिक्स जैसी नई शाखाओं में विकसित हो रहा है।

(Udaipur Kiran) / मो0 महमूद

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