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भारत में पिछले 6 वित्तीय वर्षों में 12,000 लाख करोड़ रुपये के 65,000 करोड़ से अधिक हुए डिजिटल लेनदेन

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नई दिल्‍ली, 28 जुलाई (Udaipur Kiran) । देश में डिजिटल लेन-देन में वित्त वर्ष 2019-20 से 2024-25 तक अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। पिछले छह वित्‍त वर्षों में 65,000 करोड़ से अधिक डिजिटल लेन-देन हुए हैं, जिनकी कुल राशि 12,000 लाख करोड़ रुपये से ज्‍यादा है।

केंद्रीय वित्‍त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्‍होंने कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने देशभर में भुगतान के डिजिटलीकरण की सीमा को मापने के लिए डिजिटल भुगतान सूचकांक (आरबीआई-डीपीआई) विकसित किया है।

पंकज चौधरी ने एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि सरकार देश में डिजिटल भुगतान को अपनाने की दर बढ़ाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई), फिनटेक, बैंकों और राज्य सरकारों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ मिलकर काम कर रही है, जिसमें टियर-2 और टियर-3 शहर भी शामिल हैं।

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक और सवाल के जवाब में कहा कि 1 अप्रैल से 15 जुलाई, 2025 के बीच नए क्रेडिट मूल्यांकन मॉडल के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) की ओर से कुल 98,995 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) ऋण आवेदन मंजूर किए गए हैं। उन्‍होंने बताया कि नए डिजिटल क्रेडिट मूल्यांकन मॉडल के माध्यम से बैंक ऋण पर निर्णय एक दिन के भीतर लिया जाता है, जिससे मैनुअल तरीकों की तुलना में टर्न अराउंड टाइम (टीएटी) में काफी कमी आती है।

उन्‍होंने सदन को बताया कि केंद्रीय बजट 2024-25 में एमएसएमई के लिए नए डिजिटल ऋण मूल्यांकन मॉडल की घोषणा की गई थी। इस मॉडल में यह परिकल्पना की गई थी कि पीएसबी बाहरी मूल्यांकन पर निर्भर रहने के बजाय एमएसएमई को ऋण प्रदान करने के लिए अपनी आंतरिक क्षमता का निर्माण करेंगे। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अर्थव्यवस्था में एमएसएमई के डिजिटल फुटप्रिंट्स के स्कोरिंग के आधार पर एक नया ऋण मूल्यांकन मॉडल विकसित करेंगे। इसके बाद केंद्रीय वित्त मंत्री ने 6 मार्च, 2025 को एमएसएमई के लिए नए ऋण मूल्यांकन मॉडल का शुभारंभ किया था।

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(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर

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