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उर्दू रामायण साम्प्रदायिक सौहार्द और भाषाई एकता की प्रतीक

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बीकानेर, 27 अक्टूबर . पर्यटन लेखक संघ -महफिल अदब के तत्वावधान में रविवार को होटल मरुधर हेरिटेज में बीकानेर में 1935 में लिखित उर्दू रामायण का वाचन किया गया.

पूर्व में डाॅ . जिया उल हसन कादरी ने बताया कि 1935 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय ने तुलसीदास जयंती के अवसर पर उर्दू में रामायण नज़्म लिखने की अखिल भारतीय स्तर पर प्रतियोगिता आयोजित की थी. जिसमें बादशाह हुसैन खां राना,जो उस समय बीकानेर में उर्दू के प्रोफेसर थे,ने उर्दू में रामायण नज़्म लिख कर बनारस भेजी. जो पूरे देश में प्रथम आई और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने इसे गोल्ड मेडल से नवाजा. महाराजा गंगासिंह जी नागरी भंडार में एक समारोह आयोजित कर राना साहिब से उर्दू रामायण सुनी.यहीं पर उर्दू के वरिष्ठ साहित्यकार सर तेज बहादुर सप्रू ने विश्वविद्यालय की तरफ से राना साहिब को गोल्ड मेडल पेश किया. जाकिर हुसैन कॉलेज,दिल्ली की प्रोफेसर डॉ मुकुल चतुर्वेदी ने उर्दू रामायण का अंग्रेजी अनुवाद किया है.

कादरी, जाकिर अदीब व असद अली असद ने इस रामायण का प्रभावशाली वाचन किया जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा और नज़्म की कई पक्तियों को बार बार पढ़वाया गया.

अध्यक्षता करते हुए पूर्व मेयर हाजी मकसूद अहमद ने कहा कि राना साहिब द्वारा लिखित ये उर्दू रामायण साम्प्रदायिक सौहार्द और भाषाई एकता की प्रतीक है. इसके माध्यम से बीकानेर से एक सकारात्मक संदेश पूरे देश में गया है.

मुख्य अतिथि इंजीनियर निर्मल कुमार शर्मा ने कहा कि संस्था 2012 से लगातार ये कार्यक्रम कर रही है जो कि सराहनीय है. उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम हमारी साझा संस्कृति के संवाहक हैं.

इस अवसर पर जुगल किशोर पुरोहित, अब्दुल शकूर सिसोदिया, अब्दुल जब्बार जज़्बी, अमर जुनूनी, मंजुल मुकुल वर्मा आदि ने भी विचार रखे.

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/ राजीव

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