रांची, 11 जुलाई (Udaipur Kiran) । अभियान निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अभियान निदेशक शशि प्रकाश झा ने कहा कि विश्व जनसंख्या दिवस का उद्देश्य जनसंख्या से जुड़े मुद्दों गरीबी, बेरोजगारी, संसाधनों पर दवाब, शिक्षा में कमी पर्यावरण पर इसके नकारात्मक प्रभाव, सामाजिक समस्याएं और प्रजनन स्वास्थ्य जैसे विषयों पर चर्चा करना है। जनसंख्या वृद्धि से बुनियादी सुविधाओं और सेवाओं पर भी दवाब पड़ता है और असमानता बढ़ती है। परिणामस्वरूप सामाजिक संघर्ष और कल्याणकारी योजनाओं पर निर्भरता बढ़ जाती है।
अभियान निदेशक शुक्रवार को विश्व जनसंख्या दिवस के राज्य स्तरीय कार्यक्रम के उद्घाटन पर बोल रहे थे।
बच्चों में तीन साल का अंतर रखना जरूरी
उन्होंने कहा कि देश की मौजूदा जनसंख्या वृद्धि दर 0.90 और झारखंड का वृद्धि दर 1.25 है। पॉपुलेशन प्रोजेक्श न 2020 के अनुसार झारखंंड का (ग्रोथ रेट) लगातर कम हो रहा है। इसमें परिवार नियोजन कार्यक्रम का अहम योगदान है। हमारे पास संसाधन की मात्रा काफी सीमित है अगर हमारी आबादी बढ़ती जाएगी और गुणवत्ता नहीं बढ़ेगी तो आगे जाकर हमें काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। आज लोग 65 वर्ष से ज्यादा जीवन जी रहे हैं। इसके बावजूद हमारे सामने कई तरह की समस्याएं हैं। इन सभी समस्याओं को हम प्रचार प्रसार और लोगों को जागरूक करके कम कर सकते हैंl यदि किसी घर में मां की मौत हो जाती है तो वह घर बिखर जाता है और बच्चों को संभालने में काफी कठिनाई आती है। इसलिए महिला के स्वास्थ्य में ध्यान देने के साथ-साथ दो बच्चों के बीच में कम से कम तीन साल का अंतर रखना जरूरी है।
गांवों में जागरूकता लाना जरूरी : डॉ सिद्धार्थ
डॉ सिद्धार्थ सान्याल, निदेशक प्रमुख, स्वास्थ्य सेवाएं ने कहा कि अस्थाई विधियों की उपयोगिता बढ़ाकर गर्भनिरोधक की आवश्यकता को पूरा करना चाहिए। ताकि गर्भनिरोधक के अनमेट नीड जैसे कारकों में कमी लायी जा सके। कम आयुवर्ग में होने वाले विवाह एवं 18 वर्ष से पूर्व हो जाने वाले गर्भधारण और गर्भसमापन जैसे समस्याओं को कम करने में परिवार नियोजन की आवश्यकता और इसकी अहम भूमिका है। इसलिए सर्वप्रथम ऐसे गांवों को चिन्हित करके उनमें जागरूकता लाने के प्रयासों को बढ़ावा देना है।
स्वास्थ्य सेवा प्रणाली, संसाधनों और बुनियादी ढांचे के लिए चुनौती
वहीं सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस 5) के अनुसार झारखंड की कुल प्रजनन दर (टीएफआर) घटकर 2.3 प्रतिशत हो गई है, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। ये सभी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के सतत प्रयास से ही संभव हो पाया है। झारखंड राज्य की जनसंख्या वृद्धि दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। इससे हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली, संसाधनों और बुनियादी ढांचे के लिए चुनौतियां हैं। बढ़ती आबादी के कारण प्रदूषण काफी बढ़ रहा है संसाधन का दोहन भी हो रहा है। आने वाले दिनों में बढ़ती आबादी के कारण संसाधन खत्म हो जाएगा।
डॉ पुष्पा, नोडल पदाधिकारी, परिवार नियोजन ने कहा कि परिवार नियोजन की विधियों (बास्केधट ऑफ च्वायइस) में विकल्पों को बढ़ाने के कारण परिवार कल्याण की उपलब्धियों में बढ़ोतरी हुई है। विगत 10 वर्षों में परिवार नियोजन कार्यक्रम के अन्तर्गत राष्ट्रीय स्तर पर नये- नये कार्यक्रमों को जोड़ा गया है।
उल्लेखनीय है कि इस बार की थीम मां बनने की उम्र वही जब तन और मन की तैयारी सही रखा गया है। कार्यक्रम के दौरान कलाकारों की ओर से लोकगीत और नृत्य के माध्यम से परिवार नियोजन के लिए लोगों को जागरूक किया गया।
वहीं मौके पर अभियान निदेशक ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से पोस्टर और सेल्फ केयर कीट का विमोचन किया।
इस अवसर पर राज्य नोडल पदाधिकारी आईईसी, डॉ लाल माझी, डॉ अजीत खालखो, अस्पताल उपाधीक्षक, डॉ विमलेश सिंह, अकय मिंज, परिवार नियोजन समन्वयक, गुंजन खलखो, पंकज कुमार सहित राज्य और जिला के पदाधिकारी मौजूद थे।
—————
(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak
You may also like
सुबह उठते ही दिखें ये 5 लक्षण, तो हो सकता है पेट का कैंसर! जानें अब वरना पड़ सकता है पछताना
16 साल की लड़की ने जान दे दी, उससे सामूहिक दुष्कर्म करने वाले खुला घूम रहे, मौत पर जागी बिहार पुलिस
IND vs ENG: पैट कमिंस ने ऐसा क्या बताया कि लॉर्ड्स में कहर ढाने लगे नीतीश रेड्डी? सुने उन्हीं की जुबानी
बीसलपुर बांध में बढ़ा जलस्तर! सावन की पहली बारिश ने लौटाई मुस्कान, अब छलकने से चाँद कदम दूर है बांध
संजय लीला भंसाली की कालातीत कृति 'देवदास' का जादू