लखनऊ, 14 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . कभी पिछड़ेपन और बेरोजगारी के प्रतीक के रूप में देखा जाने वाला Uttar Pradesh आज उद्योगों का नया ग्रोथ सेंटर बन गया है. Chief Minister योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य ने जिस गति से औद्योगिक विकास की दिशा में कदम बढ़ाए हैं, उसने पूरे देश को चकित किया है. वर्ष 2024-25 में Uttar Pradesh में रिकॉर्ड 4,000 नई फैक्ट्रियां स्थापित हुईं, जिससे प्रदेश में कुल फैक्ट्रियों की संख्या 27,000 के ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गई है. यह केवल एक सांख्यिकीय उपलब्धि नहीं, बल्कि नए Uttar Pradesh के आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बढ़ते कदमों का प्रतीक है.
योगी सरकार ने विगत साढ़े 8 वर्षों में उद्योगों के लिए एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया है जो निवेशकों को न केवल आकर्षित करता है बल्कि उन्हें लंबे समय तक जोड़े रखता है. राज्य में निवेश से संबंधी प्रक्रियाओं को पारदर्शी और निवेशक-हितैषी बनाया है, जिसके कारण Uttar Pradesh आज देश का “न्यू इनवेस्टमेंट हब” बन गया है. यहां स्थापित फैक्ट्रियों में इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल, फूड प्रोसेसिंग, डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग, ऑटोमोबाइल, केमिकल और रिन्यूएबल एनर्जी जैसे क्षेत्रों की अग्रणी कंपनियां शामिल हैं.
तेज रफ्तार से बढ़ा औद्योगिक आधार
वर्ष 2003 में Uttar Pradesh में सिर्फ 8,980 फैक्ट्रियां थीं. 2021 में यह संख्या बढ़कर 16,503 तक पहुंच गई. 2022 में यह संख्या 17,481 से होते हुए 2023 में 19,100 का आंकड़ा पार कर गई. 2025 में अब यह 27,000 तक पहुंच गई है जो उल्लेखनीय वृद्धि है. यह वृद्धि केवल संख्या तक सीमित नहीं है, बल्कि औद्योगिक भूगोल में एक संरचनात्मक परिवर्तन का संकेत है. अब निवेश केवल नोएडा, ग्रेटर नोएडा या लखनऊ तक सीमित नहीं, बल्कि बरेली, कानपुर, झांसी, गोरखपुर, आजमगढ़ और Prayagraj जैसे शहरों तक फैल चुका है.
निवेश और रोजगार का नया युग
2023-24 की एएसआई रिपोर्ट के अनुसार Uttar Pradesh देश के टॉप-15 औद्योगिक राज्यों में चौथे स्थान पर पहुंच गया था. 2023-24 तक राज्य में 22,141 फैक्ट्रियां संचालित थीं, जो देश की कुल फैक्ट्रियों का 8.5 प्रतिशत हिस्सा थीं. इन इकाइयों में 12.80 लाख से अधिक वर्कर्स कार्यरत थे जो देशभर के औद्योगिक वर्कफोर्स का 8.3 प्रतिशत था. फैक्ट्री ग्रोथ की वार्षिक दर 16 प्रतिशत और वर्कर्स की संख्या में 8 प्रतिशत की वृद्धि ने दर्शाया कि प्रदेश में न केवल उद्योग बढ़ रहे हैं, बल्कि रोजगार के अवसरों में भी लगातार विस्तार हो रहा है. 2025 में 27 हजार फैक्ट्रीज की संख्या इसी का प्रमाण है.
गांवों तक पहुंची औद्योगिक क्रांति
सरकार का लक्ष्य केवल शहरी औद्योगिक विकास नहीं, बल्कि ग्राम्य औद्योगिकरण को भी बढ़ावा देना है. एमएसएमई इकाइयों और स्थानीय कारीगरों को प्रोत्साहन देने के लिए अनुदान, प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और निर्यात सुविधा जैसे कदम उठाए गए हैं. आज यूपी के कई ग्रामीण इलाकों में छोटे उद्योग आत्मनिर्भर भारत की जड़ें मजबूत कर रहे हैं. Uttar Pradesh की यह औद्योगिक कहानी केवल विकास का नहीं, बल्कि विश्वास, पारदर्शिता और परिवर्तन का उदाहरण बन रही है.
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(Udaipur Kiran) / डॉ. जितेन्द्र पाण्डेय
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