कोलकाता, 14 मई . कूचबिहार जिले के सितलकुची इलाके में एक किसान को अपहरण कर बांग्लादेश ले जाने को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि यह मामला भारत और बांग्लादेश की सरकारों के बीच बातचीत का विषय है, और राज्य सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है कि उस व्यक्ति को सुरक्षित भारत वापस लाया जाए.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य सचिवालय में संवाददाताओं से कहा कि एक व्यक्ति जब अपनी ज़मीन पर खेती कर रहा था, तभी उसे सीमा क्षेत्र से उठा लिया गया. मैं इस विषय पर ज़्यादा कुछ नहीं कहना चाहती, क्योंकि यह दो देशों के बीच कूटनीतिक बातचीत का मामला है. कृपया कोई विवाद न खड़ा करें. हमारा काम है उसे वापस लाना.
उन्होंने मुख्य सचिव मनोज पंत को निर्देश दिया कि संबंधित विभाग से संपर्क कर इस मामले पर आवश्यक कार्रवाई की जाए.
ममता बनर्जी ने बिना किसी राजनीतिक दल का नाम लिए दावा किया कि उक्त किसान को कुछ स्थानीय कार्यकर्ताओं ने बांग्लादेशियों को सौंपा था. उन्होंने कहा कि हमने कुछ लोगों की पहचान की है जो इस घटना के पीछे थे. घर का शत्रु विभीषण जैसा व्यवहार किया गया है. कोई राजनीतिक दल यह तय नहीं कर सकता कि कौन नागरिक है और कौन नहीं. अगर वह नागरिक नहीं था, तो वह ज़मीन पर खेती कैसे कर रहा था?
जानकारी के अनुसार, 50 वर्षीय किसान उकील बर्मन को 16 अप्रैल को उस वक्त बांग्लादेशी नागरिकों ने अगवा कर लिया जब वह अपने खेत में काम कर रहे थे. यह घटना उस समय हुई जब कुछ दिन पहले बीएसएफ ने एक बांग्लादेशी तस्कर को मार गिराया था, जो अपने साथियों के साथ सितलकुची क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश कर रहा था. बाद में उस तस्कर का शव बांग्लादेशी प्रशासन को सौंप दिया गया.इसके कुछ ही दिन बाद, एक अन्य समूह ने उकील बर्मन को खेत में काम करते समय पकड़ लिया और जबरन सीमा पार ले गए.
तृणमूल के पूर्व कूचबिहार जिलाध्यक्ष पार्थ प्रतिम रॉय ने कहा कि उकील बर्मन के अपहरण को लगभग एक महीना हो चुका है. परिवार बेहद चिंतित है. हमें जानकारी मिली है कि वह बांग्लादेश की एक जेल में है. राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी लगातार इस मामले की निगरानी कर रहे हैं और हमें उम्मीद है कि वह जल्द सुरक्षित वापस आएंगे.
मुख्यमंत्री ने अपील की कि मामले को शांतिपूर्वक और संवेदनशीलता के साथ सुलझाया जाए. “आप बहुत सी समस्याओं को शांति से सुलझा सकते हैं. हमारा काम है कि हम उसे वापस लाएं.”
/ ओम पराशर