रांची, 02 मई . भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि दो दिनों से झारखंड संवैधानिक रूप से डीजीपी विहीन राज्य है. इतना ही नहीं झारखंड में एसीबी, सीआईडी और पुलिस सभी के डीजीपी का पद रिक्त है. उन्होंने कहा कि अनुराग गुप्ता की ओर से दिए जा रहे निर्देश, निर्णय गृह मंत्रालय भारत सरकार के निर्देश के आलोक में पूरी तरह असंवैधानिक है.
मरांडी शुक्रवार को पार्टी कार्यालय में प्रेसवार्ता में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि एक आईपीएस अफसर जिस पर भ्रष्टाचार, पक्षपात और फ्रॉड का आरोप हो, कोई भी सरकार अपने राज्य और जनता की सुरक्षा उसके हवाले कैसे कर सकती है.
उन्होंने ने कहा कि 1990 बैच के आईपीएस अनुराग गुप्ता के ऊपर आरोपों की लिस्ट काफ़ी लंबी है. उन पर बिहार के जमाने में मगध विश्वविद्यालय थाना कांड संख्या (64/2000) दर्ज है.
उन्होंने कहा कि जहां तक मुझे स्मरण है कि मेरे मुख्यमंत्रित्व काल के अंतिम दिनों में उस मामले में प्रॉसिक्यूशन सैंक्शन के लिये बिहार से अनुरोध पत्र भी आया था. उस पर आगे क्या हुआ इसका मुझे स्मरण नहीं है.
उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन ने खुद इन्हें 24 फरवरी 2020 से नौ मई 2022 (26 महीने) निलंबित किये रखा, लेकिन इस दौरान हेमंत सोरेन और अनुराग गुप्ता की नजदीकियां इतनी बढ़ीं कि सस्पेंशन की अवधि ख़त्म होते ही हेमंत सोरेन ने अनुराग गुप्ता को वापस झारखंड में ही नियुक्ति दे दी.
मरांडी ने कहा कि 2024 में चुनाव आयोग ने डीजीपी अनुराग गुप्ता को अपने पद का दुरुपयोग करने का दोषी पाया और उन्हें हटाकर दूसरे डीजीपी की नियुक्ति की, लेकिन हद तो तब हो गई जब मुख्यमंत्री बनने के कुछ घंटों के अंदर ही हेमंत सोरेन ने अनुराग गुप्ता को डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार दे दिया.
उन्होंने कहा कि कोर्ट के आदेश की अवहेलना करके अनुराग गुप्ता को कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया. फिर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद 7 जनवरी को आनन-फानन में ऑल इंडिया सर्विस रूल्स (1958) को दरकिनार करते हुए सरकार ने डीजीपी की नियुक्ति के लिए एक नई नियमावली ही बना डाली.
उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया सर्विस नियमों के अनुसार, सरकार को डीजीपी की नियुक्ति के लिए पैनल की अनुशंसा यूपीएससी को भेजनी होती है, किंतु झारखंड सरकार ने अपनी मर्जी के नियम बनाकर यह जिम्मेदारी खुद ही ले ली. यह भली-भांति जानते हुए कि अनुराग गुप्ता 30 अप्रैल को रिटायर होने वाले हैं, सरकार ने सारे नियम-क़ानूनों को धता बताते हुए 3 फरवरी को उन्हें झारखंड का डीजीपी नियुक्त कर दिया. जानबूझकर रिटायरमेंट के दो महीने पहले नियुक्ति करना दर्शाता है कि वे नियुक्ति के बाद कम से कम दो साल डीजीपी बनाए रखने वाले नियम का इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदे के लिए कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इस असंवैधानिक नियुक्ति के संदर्भ में गृह मंत्रालय ने झारखंड सरकार को जो पत्र लिखा है, उसका जवाब में हेमंत सोरेन गृह मंत्रालय को ही पुनर्विचार करने को बोल रहे हैं. सरकार नियमों को ताक पर रखकर संवैधानिक पदों की गरिमा समाप्त कर रही है.
उन्होंने कहा यह सिर्फ़ डीजीपी की नियुक्ति तक ही सीमित नहीं है. झारखंड में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और सीआईडी का कार्यभार भी गैर क़ानूनी तरीक़े से यही संभाल रहे हैं.
अनुराग गुप्ता के कार्यकाल में कोयले की चोरी में बेतहाशा वृद्धि हुई है. भ्रमण के दरम्यान जब धनबाद इलाक़े में मुझे लोगों ने बताया कि उस इलाके से रोजाना पांच सौ ट्रक से भी ज़्यादा कोयले की चोरी हो रही है तो मैंने यह बात सरकार के संज्ञान लाया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही. इस मामले में तो उस इलाके से आने वाले विधायक जयराम महतो जी ने तो यहां तक कह दिया कि बाबूलाल की जानकारी कम है, वहां तो रोज़ाना सात सौ से आठ सौ ट्रक कोयले की चोरी हो रही है.
उन्होंने कहा कि जब वर्तमान में झारखंड की सुरक्षा और कानून व्यवस्था तालीबानी हुकूमत की तरह ऐसे व्यक्ति के हाथ में सौंप दिया जाए, जिस पर भ्रष्टाचार के आरोप, अपने पद का दुरुपयोग करने के आरोप और धोखाधड़ी के आरोप लगे हों तो राज्य का भविष्य कैसा होगा, यह आप सभी भी अच्छे से समझ सकते हैं. सत्ता का ऐसा दुरुपयोग हेमंत सोरेन के राज में ही संभव है.
मरांडी ने अविलंब राज्य में डीजीपी नियुक्त करने की मांग की. प्रेसवार्ता में प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक और प्रवक्ता अजय साह भी उपस्थित थे.
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/ विकाश कुमार पांडे
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