जींद, 25 जून (Udaipur Kiran) । अषाढ माह की अमावस्या पर बुधवार को पांडू पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान किया तथा पिंडदान कर पितृ तर्पण किया और सुखद भविष्य की कामना की। ऐतिहासिक पिंडतारक तीर्थ पर मंगलवार शाम से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। पूरी रात धर्मशालाओं में सत्संग तथा कीर्तन आदि का आयोजन चलता रहा।
बुधवार को सुबह से ही श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान तथा पिंडदान शुरू कर दिया जो मध्यान्ह के बाद तक चलता रहा। इस मौके पर दूर दराज से आए श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया तथा सूर्यदेव को जलार्पण करके सुख समृद्धि की कामना की। पिंडतारक तीर्थ के संबंध में किदवंती है कि महाभारत युद्ध के बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने यहां 12 वर्ष तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में तपस्या की।
बाद में सोमवती अमावस्या पर युद्ध में मारे गए परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया। तभी से यह माना जाता है कि पांडू पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है। महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर यहां पिंडदान करने का विशेष महत्व है। यहां पिंडदान करने के लिए विभिन्न प्रांतों के श्रद्धालु आते हैं।
श्रद्धालुओं ने यहां खरीददारी भी की। जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि पितृ दोष से मुक्ति के लिए आषाढ़ अमावस्या को महत्वपूर्ण माना गया है। आषाढ़ माह की अमावस्या आषाढ़ी अमावस्या या हलहारिणी अमावस्या कहलाती है। इस तिथि को बेहद खास माना जाता है।
—————
(Udaipur Kiran) / विजेंद्र मराठा
You may also like
शुभांशु शुक्ला के अंतरिक्ष के लिए रवाना होने पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और पीएम मोदी ने क्या कहा?
Vivo X200 Pro ने Oppo Find X8 Pro को पछाड़ दिया? जानिए कैमरा, परफॉर्मेंस और बैटरी की सच्चाई!
फिल्म निर्माता मीरा नायर के बेटे जोहरान का न्यूयॉर्क सिटी का मेयर बनना तय
एसईसीआई ने हरित अमोनिया उत्पादन के लिए बोली की तारीख 30 जून तक बढ़ाई
हिमाचल में जल्द होगा मंत्रिमंडल विस्तार, प्रतिभा सिंह के अध्यक्ष बने रहने पर नहीं आपत्ति : सुक्खू