जम्मू, 13 जुलाई (Udaipur Kiran) । नटरंग जम्मू ने अपने साप्ताहिक रंगमंच श्रृंखला ‘संडे थियेटर’ के अंतर्गत हिंदी नाटक तौबा-तौबा का मंचन किया। यह नाटक राजिंदर कुमार शर्मा द्वारा लिखा गया है और इसका निर्देशन नीरज कांत ने किया। व्यंग्य और हास्य से भरपूर इस नाटक ने रंगमंच से जुड़ी एक गंभीर समस्या कुछ कलाकारों की प्रतिबद्धता की कमी को बेहद मनोरंजक ढंग से प्रस्तुत किया।
नाटक की शुरुआत अनोखे लाल के घर से होती है, जिसे वह अपने नाटक के रिहर्सल स्थल के रूप में इस्तेमाल कर रहा होता है। लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, यह स्पष्ट होता है कि निर्देशक के अलावा कोई भी कलाकार गंभीरता से रिहर्सल नहीं कर रहा। जिन कलाकारों ने कभी मंच पर आने के लिए गुहार लगाई थी, अब वही रिहर्सल से बचने के बहाने बना रहे हैं। इसी बीच, नया नौकर भी हर बार कमरे में आते ही नई उलझन खड़ी कर देता है।
नाटक तब चरम पर पहुंचता है जब निर्देशक को पता चलता है कि हीरो के पिता की भूमिका निभाने वाला अभिनेता निजी कारणों से बाहर जा रहा है और अब वह इस भूमिका को नहीं निभा पाएगा। निराश निर्देशक अंततः अपने नौकर को यह भूमिका निभाने के लिए तैयार करता है, लेकिन असली संकट तब उत्पन्न होता है जब अनोखे लाल के असली पिता वहां आ जाते हैं और नौकर द्वारा खुद को अनोखे लाल का पिता बताए जाने पर दोनों को डांट और पिटाई का सामना करना पड़ता है।
नाटक में अभिनय करने वालों में आदेश धर, अदक्ष बगल, कुशल भट, आर्यन शर्मा, वंदना ठाकुर और कार्तिक कुमार शामिल थे। कननप्रीत कौर ने प्रकाश व्यवस्था संभाली जबकि कार्तिक कुमार ने ध्वनि संयोजन किया। प्रस्तुति का संचालन प्रियल अशोक गुप्ता ने किया और शो का समन्वय मोहम्मद यासीन ने किया। तौबा-तौबा ने दर्शकों को हँसाने के साथ-साथ रंगमंच की दुनिया की गंभीर सच्चाई से भी परिचित कराया।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
You may also like
मध्य प्रदेश में तांत्रिक द्वारा महिलाओं के साथ दुष्कर्म का मामला
मुंबई में ऑटो ड्राइवर द्वारा दुष्कर्म का मामला: पुलिस की जांच में नया मोड़
उल्हासनगर में पति द्वारा पत्नी के खिलाफ नशे और यौन उत्पीड़न का मामला
क्या आप जानते हैं पृथ्वी की वो सड़क जहां से आगे कुछ नहीं है? जानिए दुनिया की आखिरी सड़क से जुड़ी चौंकाने वाली सच्चाईˈ
1936 में जन्म और 1936 में ही मौत, फिर भी उम्र 70 साल? सबको चकरा देती है ये पहेलीˈ