भारत विविधता और चमत्कारों की धरती है, जहां हर कोने में संस्कृति, धर्म और विरासत की अद्भुत झलक मिलती है। यहां अलग-अलग धर्मों के अनुयायी न केवल सौहार्दपूर्वक साथ रहते हैं, बल्कि अपनी-अपनी आस्थाओं के प्रतीकों को भी सहेजकर रखते हैं। इन्हीं धार्मिक प्रतीकों में से एक है – राजस्थान के रणकपुर में स्थित एक अद्वितीय जैन मंदिर, जो न सिर्फ धार्मिक, बल्कि स्थापत्य दृष्टि से भी पूरी दुनिया के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है।
संगमरमर की शुद्धता और खंभों का चमत्कारउदयपुर से लगभग 100 किलोमीटर दूर रणकपुर गांव में स्थित यह मंदिर पूरी तरह से सफेद संगमरमर से बना हुआ है। लेकिन जो बात इसे दुनिया भर में चर्चित बनाती है, वह है – इसका 1500 स्तंभों पर खड़ा होना। हैरानी की बात यह है कि ये सभी स्तंभ अलग-अलग डिज़ाइन में नक्काशीदार हैं। किसी भी दो खंभों का डिज़ाइन एक जैसा नहीं है। यह एक ऐसा स्थापत्य अजूबा है जो हर देखने वाले को विस्मित कर देता है।
एक नज़र में दिखते हैं दर्शनरणकपुर मंदिर की एक और विशेषता यह है कि इसके किसी भी स्तंभ से देखने पर आपको मंदिर की मुख्य मूर्ति के दर्शन हो जाते हैं। यह बात न केवल कला की अद्वितीयता को दर्शाती है, बल्कि उस दौर के स्थापत्य ज्ञान की पराकाष्ठा को भी प्रमाणित करती है।
इतिहास से जुड़ा गौरवइस भव्य मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में मेवाड़ के शासक राणा कुंभा के समय हुआ था। राणा कुंभा के नाम पर ही इस स्थान को 'रणकपुर' कहा जाने लगा। कहा जाता है कि एक जैन व्यापारी धरनाशाह ने तीर्थंकर आदिनाथ के प्रति श्रद्धा स्वरूप इस मंदिर का निर्माण कराया था।
तीर्थंकर आदिनाथ की चार विशाल मूर्तियाँमंदिर के गर्भगृह में संगमरमर से बनी तीर्थंकर आदिनाथ की चार भव्य मूर्तियाँ हैं, जो चारों दिशाओं की ओर देख रही हैं। ये मूर्तियाँ मंदिर के हर कोने से दिखाई देती हैं और यह इस बात का प्रतीक है कि सत्य की दिशा कोई एक नहीं, बल्कि समस्त दिशाएं हैं।
आस्था के साथ सुरक्षा की भी व्यवस्थाइतना ही नहीं, मंदिर में उस समय के कारीगरों और निर्माताओं ने सुरक्षा को लेकर भी विशेष सावधानी बरती थी। मंदिर में कई तहखाने बनाए गए थे, जिनका उद्देश्य संकट के समय मंदिर की पवित्र मूर्तियों को सुरक्षित रखना था।
एक तीर्थ, जहां मिलती है मोक्ष की प्रेरणारणकपुर का यह मंदिर जैन धर्म के पांच प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है। यहां 76 छोटे-छोटे गुम्बदाकार मंदिर, चार विशाल सभा कक्ष, और चार पूजा स्थल हैं, जो न केवल वास्तुकला का उदाहरण हैं, बल्कि जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति, यानी मोक्ष की प्रेरणा भी देते हैं।
दुनिया भर से आते हैं पर्यटकमंदिर की कलात्मकता, उसकी बारीक नक्काशी, और हर स्तंभ में छिपी कहानी को देखने के लिए हर साल हजारों पर्यटक भारत और विदेशों से यहां आते हैं। यह मंदिर केवल आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, स्थापत्य और आध्यात्मिकता का जीवंत उदाहरण भी है।
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