राजस्थान में आयोजित पशु परिचारक भर्ती परीक्षा 2024 एक बार फिर विवादों में आ गई है, लेकिन इस बार मामला तकनीकी गड़बड़ियों तक सीमित नहीं है, बल्कि लाखों बेरोजगार युवाओं की उम्मीदों, संघर्षों और टूटते भरोसे की कहानी बन गई है। भर्ती प्रक्रिया के संबंध में 300 से अधिक अभ्यर्थियों ने राजस्थान उच्च न्यायालय की जोधपुर पीठ का दरवाजा खटखटाया है। इस संबंध में अगले सप्ताह सुनवाई होने की संभावना है, जहां अधिवक्ता हरेंद्र नील उनकी ओर से बहस करेंगे।
इस मामले में स्केलिंग फार्मूले की वैधता, कटऑफ व स्कोर कार्ड जारी करने में पारदर्शिता न होना, अंतिम उत्तरकुंजी के बिना चयन सूची जारी करना जैसे तकनीकी मुद्दों को चुनौती जरूर दी गई है, लेकिन इन सबके पीछे असली मुद्दा युवाओं की टूटती उम्मीदें हैं, जो हर बार नई भर्ती प्रक्रिया के साथ उभर आती हैं।
भर्ती परीक्षा 1 से 3 दिसंबर, 2024 तक छह पालियों में आयोजित की गई थी। चौंकाने वाली बात यह है कि शीर्ष 100 उम्मीदवारों में से 99 केवल छठी पाली से हैं, जबकि अन्य पालियों से कोई प्रतिनिधित्व नहीं था।
अभ्यर्थियों का आरोप है कि कुछ पालियों में 20-25 अंक बढ़ाए गए, जबकि कई पालियों में 10-20 अंक कम कर दिए गए। इस वजह से कठिन शिफ्ट में अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्र मेरिट लिस्ट से बाहर हो गए। छात्रों में आक्रोश का कारण यह था कि मेरिट सूची में 63 गुना अभ्यर्थियों को शामिल किया गया था, लेकिन दस्तावेज सत्यापन के लिए मात्र 1.25 गुना अभ्यर्थियों को ही बुलाया गया था।
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