गुना जिले के मुख्यालय स्थित सरकारी अस्पताल एक बार फिर अपनी खराब व्यवस्था को लेकर सुर्खियों में है। मानसून की पहली बारिश ने अस्पताल की पोल खोलकर रख दी है, जिससे अस्पताल में मरीजों और उनके परिजनों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है।
बरसात के मौसम में अस्पताल की छत से पानी टपकने की समस्या आम हो गई है, जिससे अस्पताल में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। अस्पताल की दीवारों में रिसाव, बर्फीली हवा के साथ-साथ जंग लगी सीलिंग और टूटी हुई खिड़कियां इस पूरी स्थिति को और बदतर बना देती हैं।
प्रशासनिक नाकामी:
इतनी सारी समस्याओं के बावजूद प्रशासनिक अमला पूरी तरह नदारद रहा है। अस्पताल में फर्श से लेकर छत तक की बदहाली प्रशासन की उदासीनता को साफ तौर पर दर्शाती है। बारिश के दौरान अस्पताल के अंदर का वातावरण और भी असहनीय हो गया, जिससे मरीजों के इलाज के साथ-साथ उनकी सेहत पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकारी अस्पताल के इस हालात में सुधार की कोई ठोस योजना नहीं बनाई जा रही। पहले भी कई बार अस्पताल की जर्जर स्थिति को लेकर शिकायतें की गईं, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए।
मरीजों और परिजनों की परेशानी:
अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि अस्पताल की व्यवस्था इतनी खराब हो गई है कि यहां इलाज के बजाय खुद की सेहत दांव पर लग जाती है। एक मरीज के परिजन ने कहा, "हमें यहाँ इलाज के लिए आना था, लेकिन यहाँ तो पानी की रिसाव और गंदगी में हमें अपनी जिंदगी बचानी पड़ रही है।"
स्थानीय नेताओं की प्रतिक्रियाएं:
स्थानीय नेताओं ने अस्पताल की बदहाल स्थिति पर कड़ा एतराज जताया है। उन्होंने कहा कि प्रशासन को अस्पताल की स्थितियों को जल्द सुधारना चाहिए और मरीजों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए।
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