हिंदू धर्म में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और प्रथम पूज्य माना गया है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत भगवान गणपति की आराधना से ही की जाती है। गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न मंत्र, स्तोत्र और चालीसाओं का पाठ किया जाता है। इन्हीं में से एक है श्री गणेशाष्टकम्। मान्यता है कि इसका पाठ करने से जीवन के समस्त संकट दूर होते हैं, सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है और घर-परिवार में शांति बनी रहती है। लेकिन ज्योतिष और धर्मशास्त्रों में यह भी कहा गया है कि यदि गणेशाष्टकम् का पाठ विधिवत और सावधानीपूर्वक न किया जाए तो इसका विपरीत प्रभाव भी हो सकता है।
श्री गणेशाष्टकम् का महत्वश्री गणेशाष्टकम् संस्कृत में रचित एक स्तोत्र है, जिसमें भगवान गणेश के आठ स्वरूपों का वर्णन किया गया है। इसका पाठ करने से भक्त को ज्ञान, बुद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। कई धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि नियमित रूप से गणेशाष्टकम् का पाठ करने वाले साधक के जीवन में विघ्न नहीं आते और उसके सभी कार्य सरलता से पूर्ण हो जाते हैं। विशेष रूप से गणेश चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी और बुधवार को इसका पाठ करने से शुभ फल कई गुना बढ़ जाते हैं।
सावधानियां क्यों जरूरी हैं?धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किसी भी स्तोत्र या मंत्र का पाठ तभी फलदायी होता है जब उसे शुद्ध भाव और विधि-विधान से किया जाए। यदि लापरवाही बरती जाए तो न केवल लाभ की जगह हानि होती है, बल्कि मानसिक अशांति और कार्यों में रुकावट भी बढ़ सकती है। इसलिए गणेशाष्टकम् का पाठ करने से पहले और दौरान कुछ जरूरी नियमों का पालन करना बेहद आवश्यक है।
गणेशाष्टकम् पाठ के समय बरतें ये सावधानियां1. शुद्धता का ध्यान रखें
पाठ से पहले स्नान करना और स्वच्छ वस्त्र धारण करना अनिवार्य है। अपवित्र अवस्था में गणेशाष्टकम् का पाठ करना अशुभ माना जाता है।
2. पूजा स्थल की सफाई करें
जहां पाठ किया जा रहा हो वह स्थान साफ-सुथरा और पवित्र होना चाहिए। वहां नकारात्मक ऊर्जा न हो, इसके लिए धूप-दीप जलाना लाभकारी होता है।
3. उच्चारण की शुद्धता
गणेशाष्टकम् संस्कृत भाषा में है, इसलिए इसका उच्चारण सही तरीके से करना आवश्यक है। गलत उच्चारण करने पर मंत्र का प्रभाव कम हो सकता है। यदि किसी को संस्कृत का ज्ञान न हो तो विद्वान आचार्य से परामर्श लेना चाहिए।
4. मन को भटकने न दें
पाठ के दौरान मन को पूरी तरह भगवान गणेश पर केंद्रित करना चाहिए। लापरवाही या ध्यान भटकने से साधना अधूरी रह जाती है और उसका प्रभाव भी कम हो जाता है।
5. अशुभ समय में न करें पाठ
राहुकाल और अशुभ घड़ी में गणेशाष्टकम् का पाठ नहीं करना चाहिए। बेहतर परिणामों के लिए सुबह सूर्योदय के बाद या शाम को संध्या वेला में पाठ करना सबसे उत्तम माना गया है।
6. सात्विक आहार और आचरण
पाठ से पहले और बाद में सात्विक भोजन करना चाहिए। नशा, मांसाहार या क्रोध जैसी नकारात्मक भावनाओं से दूर रहना आवश्यक है।
7. गणपति के समक्ष दीप और नैवेद्य अर्पित करें
पाठ करने से पहले भगवान गणेश को दूर्वा, मोदक और लाल फूल अर्पित करने से विशेष फल मिलता है। बिना पूजा सामग्री के पाठ करने से फल आधा रह जाता है।
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