मध्य प्रदेश को निवेश और विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के प्रयासों में जुटे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की दुबई यात्रा के दूसरे दिन एक बड़ी औद्योगिक पहल सामने आई। मुख्यमंत्री से ग्रियू एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ एवं निदेशक विनय ठडानी और उनकी टीम ने मुलाकात की। इस बैठक में नर्मदापुरम जिले में प्रस्तावित 3.0 गीगावॉट क्षमता की सोलर सेल परियोजना को लेकर गहन चर्चा हुई।
यह महत्वाकांक्षी परियोजना अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश की सशक्त भागीदारी को दर्शाती है। चर्चा के दौरान कंपनी प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री को परियोजना की रूपरेखा, तकनीकी विशेषताओं और संभावित सामाजिक-आर्थिक प्रभावों की जानकारी दी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कंपनी को राज्य सरकार की ओर से हरसंभव सहयोग का भरोसा दिलाया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि “मध्य प्रदेश में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और सरकार निवेशकों को अनुकूल माहौल, भूमि, बिजली, नीतिगत समर्थन और बुनियादी ढांचे की सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।” उन्होंने यह भी कहा कि यह परियोजना ‘हरित ऊर्जा राज्य’ की दिशा में एक निर्णायक कदम होगी।
परियोजना से क्या होंगे लाभ?-
रोजगार के नए अवसर: इस परियोजना से 700 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोजगार मिलने की संभावना जताई जा रही है।
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स्थानीय विकास को बढ़ावा: नर्मदापुरम जैसे अर्ध-ग्रामीण जिले में बड़े औद्योगिक निवेश से स्थानीय अधोसंरचना, परिवहन और आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी।
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ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर कदम: यह प्लांट प्रदेश की ऊर्जा आवश्यकता को स्वच्छ स्रोतों से पूरा करने में सहायक सिद्ध होगा।
दुबई में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की यह यात्रा राज्य में निवेश आकर्षित करने और मध्य प्रदेश को “ईज ऑफ डूइंग बिजनेस” के क्षेत्र में अग्रणी बनाने के उद्देश्य से की जा रही है। वे अंतरराष्ट्रीय निवेशकों से मुलाकात कर विभिन्न क्षेत्रों में संभावित परियोजनाओं पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि राज्य सरकार निवेश को केवल पूंजी के रूप में नहीं, बल्कि रोजगार, तकनीक और टिकाऊ विकास के अवसर के रूप में देखती है। उन्होंने निवेशकों को यह भी आश्वस्त किया कि मध्य प्रदेश में औद्योगिक विकास को गति देने के लिए सभी आवश्यक मंजूरियों को सरल और शीघ्र प्रक्रिया के तहत प्रदान किया जाएगा।
ग्रियू एनर्जी की प्रस्तावित यह परियोजना राज्य सरकार की ‘मेक इन म.प्र.’ और ‘ग्रीन मध्य प्रदेश’ की नीति के तहत एक प्रमुख मील का पत्थर साबित हो सकती है।
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