News India Live,Digital Desk:(CIBIL Score for Loan) जब भी लोन लेने की बात आती है, आपका क्रेडिट स्कोर (Credit Score) या सिबिल स्कोर (CIBIL Score) बहुत मायने रखता है। ये स्कोर बताता है कि आप पैसों के मामले में कितने भरोसेमंद हैं। अच्छा क्रेडिट स्कोर होने से न सिर्फ लोन मिलने के चांस बढ़ जाते हैं, बल्कि आपको कम ब्याज दर और दूसरी बेहतर शर्तों का फायदा भी मिल सकता है।
इसलिए, एक अच्छा क्रेडिट स्कोर बनाए रखना बहुत ज़रूरी है। अगर आप सस्ता लोन पाना चाहते हैं, तो अच्छा स्कोर आपकी बहुत मदद कर सकता है।
तो आइए, जानते हैं कि आप सस्ता लोन कैसे पा सकते हैं और अगर आपका क्रेडिट स्कोर किसी वजह से बिगड़ गया है, तो उसे सुधारने के लिए क्या कदम उठा सकते हैं।
अच्छा स्कोर = सस्ता लोन!
ये सीधी सी बात है। बैंक अच्छे क्रेडिट स्कोर वाले ग्राहकों को कम ब्याज दर पर लोन देना पसंद करते हैं। वो आपका सिबिल स्कोर देखकर ही तय करते हैं कि आपको लोन देना है या नहीं, और देना है तो किस रेट पर। अगर आपका सिबिल स्कोर बहुत बढ़िया (टॉप नॉच) है, तो आपको लोन की ब्याज दर पर 0.15% से 0.25% तक की छूट भी मिल सकती है!
(उदाहरण: SBI का होम लोन रेट भी सिबिल स्कोर के हिसाब से अलग-अलग होता है।)
क्रेडिट स्कोर क्यों है इतना ज़रूरी?
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आपकी उधारी चुकाने की कहानी: सिबिल स्कोर आपकी पुरानी लोन चुकाने की आदतों (Credit History) को दिखाता है।
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बैंक की पहली नज़र: लोन अप्लाई करने पर बैंक सबसे पहले आपका सिबिल स्कोर ही चेक करते हैं।
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भरोसे की परख: इससे बैंक अंदाज़ा लगाते हैं कि आप लोन लेकर उसे समय पर चुकाएंगे या नहीं।
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सब कुछ एक जगह: इसमें आपके मौजूदा लोन, क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल, बिल पेमेंट का रिकॉर्ड – सब कुछ शामिल होता है।
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स्कोर का पैमाना: ये स्कोर 300 से 900 के बीच होता है।
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अच्छा स्कोर क्या है?: 700 या उससे ज़्यादा स्कोर को बैंक आमतौर पर अच्छा मानते हैं।
क्रेडिट स्कोर का मतलब समझें:
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बेहतरीन: 800-850
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बहुत अच्छा: 740-799
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अच्छा: 670-739
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ठीक-ठाक: 580-669
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खराब: 300-579
क्रेडिट स्कोर क्यों बिगड़ता है?
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लोन या क्रेडिट कार्ड का बिल समय पर न चुकाने से।
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क्रेडिट कार्ड की लिमिट से बहुत ज़्यादा खर्च करने से।
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लोन चुका ही न पाने (डिफॉल्ट) की नौबत आने से।
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बैंक के साथ लोन का सेटलमेंट करने से (यानी पूरी रकम न चुका पाने पर कम रकम में मामला निपटाना)।
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किसी और के लोन में गारंटर बनने पर (अगर वो व्यक्ति लोन नहीं चुकाता है)।
अगर सिबिल स्कोर कम है तो क्या होगा?
कम सिबिल स्कोर होने पर लोन मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है। बैंक आपकी लोन एप्लीकेशन को मंज़ूर करने में हिचकिचाएंगे, या शायद मना ही कर दें। अगर लोन मिल भी गया, तो ब्याज दर ज़्यादा हो सकती है और लोन की रकम भी कम मिल सकती है।
बिगड़ा क्रेडिट स्कोर कैसे सुधारें? (How to improve Bad CIBIL Score?)
घबराएं नहीं, बिगड़े स्कोर को सुधारा जा सकता है:
सोच-समझकर लोन लें: ज़रूरत से ज़्यादा या बहुत बड़ा लोन लेने से बचें।
समय पर पेमेंट: अपनी EMI और क्रेडिट कार्ड के बिल हमेशा समय पर चुकाएं। एक भी दिन की देरी न करें।
क्रेडिट कार्ड का पूरा बिल भरें: सिर्फ मिनिमम अमाउंट ड्यू नहीं, कोशिश करें पूरा बिल चुकाने की।
कम इस्तेमाल करें क्रेडिट: अपनी क्रेडिट कार्ड लिमिट का 30% से ज़्यादा इस्तेमाल न करें। (Credit Utilization Ratio कम रखें)।
क्रेडिट कार्ड पर लोन से बचें: ये महंगा पड़ सकता है और स्कोर पर भी असर डाल सकता है।
पुराने कार्ड बंद न करें: आपके पुराने क्रेडिट कार्ड की पेमेंट हिस्ट्री आपके स्कोर के लिए अच्छी होती है।
पहले जांचें, फिर अप्लाई करें: बार-बार लोन के लिए अप्लाई करने से पहले अपनी लोन पात्रता (Eligibility) देख लें। हर बार अप्लाई करने पर इन्क्वायरी होती है, जिससे स्कोर थोड़ा कम हो सकता है।
स्कोर पर नज़र रखें: समय-समय पर अपना क्रेडिट स्कोर चेक करते रहें ताकि कोई गड़बड़ी हो तो पता चल जाए।
सस्ते होम लोन के लिए कुछ खास टिप्स:
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शर्तें ध्यान से पढ़ें: लोन लेने से पहले बैंक की सभी नियम व शर्तें अच्छी तरह समझ लें।
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प्रोमोशनल ऑफर समझें: कई बार बैंक खास ऑफर चलाते हैं, उन्हें ठीक से समझें कि फायदा कब तक और कैसे मिलेगा।
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अपनी जेब देखें: लोन लेने से पहले अपनी आर्थिक स्थिति का सही अंदाज़ा लगा लें।
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EMI का हिसाब: कोशिश करें कि आपकी कुल EMI आपकी महीने की कमाई के 30-40% से ज़्यादा न हो।
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ऑनलाइन तुलना करें: अलग-अलग बैंकों के लोन ऑफर्स की ऑनलाइन तुलना ज़रूर करें।
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छिपे चार्ज पता करें: प्रोसेसिंग फीस के अलावा और कोई चार्ज तो नहीं है, ये ज़रूर पूछें।
और कैसे मिलेगा सस्ता लोन?
अच्छा क्रेडिट स्कोर: (जैसा ऊपर बताया गया) ये सबसे ज़रूरी है।
कम लोन-टू-वैल्यू (LTV) रेश्यो: इसका मतलब है कि आप प्रॉपर्टी की कीमत का ज़्यादा हिस्सा अपनी जेब से लगा रहे हैं (डाउन पेमेंट ज़्यादा)। इससे बैंक का रिस्क कम होता है और आपको बेहतर डील मिल सकती है।
ज्वाइंट होम लोन: आप किसी और (जैसे पति/पत्नी, माता-पिता) के साथ मिलकर लोन ले सकते हैं। अगर को-एप्लिकेंट की इनकम अच्छी है और क्रेडिट स्कोर बढ़िया है, तो लोन आसानी से और कम ब्याज पर मिलने के चांस बढ़ जाते हैं। ज्वाइंट लोन पर टैक्स बचाने का फायदा भी मिलता है।
FOIR (फिक्स्ड ऑब्लिगेशन टू इनकम रेश्यो) का ध्यान रखें: बैंक ये देखते हैं कि आपकी महीने की कमाई का कितना हिस्सा पहले से चल रही EMI और अन्य ज़रूरी देनदारियों में जा रहा है। अगर ये अनुपात (जैसे 50% से ज़्यादा) बहुत ज़्यादा है, तो बैंक को लगेगा कि आप नई EMI चुकाने में शायद सक्षम न हों, और लोन देने से कतरा सकते हैं। इसलिए, अपनी मौजूदा देनदारियों को कंट्रोल में रखना ज़रूरी है।
इन बातों का ध्यान रखकर आप न सिर्फ अपना क्रेडिट स्कोर सुधार सकते हैं, बल्कि भविष्य में सस्ता लोन पाने की संभावना भी बढ़ा सकते हैं।
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