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RBI ने रेपो रेट घटाया, पर होम लोन EMI कम क्यों नहीं हुई? जानें वजह और उपाय

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RBI ने रेपो रेट घटाया, पर होम लोन EMI कम क्यों नहीं हुई? जानें वजह और उपाय

लंबे इंतजार के बाद आखिरकार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस साल रेपो रेट में कटौती शुरू की। अब तक दो बार में कुल 0.50% (पचास बेसिस पॉइंट्स) की कमी की जा चुकी है, जिससे रेपो रेट 6.5% से घटकर 6.0% पर आ गया है। RBI के इस कदम से होम लोन ले चुके लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई थी। उन्हें लगा कि चलो, अब हर महीने जाने वाली EMI का बोझ कुछ हल्का होगा। लेकिन, जब EMI कम नहीं हुई, तो कई लोग मायूस हो गए हैं।

रेट कट और EMI में कमी: क्यों लगता है समय?

सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि RBI के रेपो रेट घटाने का मतलब ये होता है कि बैंक अब नए लोन थोड़ी सस्ती ब्याज दर पर देंगे और पुराने फ्लोटिंग रेट वाले लोन की ब्याज दरें भी कम करेंगे। लेकिन, ये बदलाव तुरंत हो जाए, ऐसा जरूरी नहीं है।

कई बार बैंकों को अपनी ब्याज दरें एडजस्ट करने में कुछ हफ्तों का समय लग जाता है। तो, अगर RBI के ऐलान के तुरंत बाद आपकी EMI कम नहीं हुई, तो थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है। लेकिन अगर काफी समय बीतने पर भी कोई फर्क न दिखे, तो आप अकेले नहीं हैं, इसके पीछे कुछ वजहें हो सकती हैं।

आपकी EMI कम होगी या नहीं, ये कई बातों पर निर्भर करता है

जानकारों का कहना है कि RBI के रेट कट का फायदा हर होम लोन लेने वाले को मिले, ये जरूरी नहीं है। यह कुछ बातों पर निर्भर करता है:

  • लोन का प्रकार: क्या आपका लोन फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट वाला है या फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट वाला? फिक्स्ड रेट लोन की EMI पर रेपो रेट घटने का कोई असर नहीं होता। फायदा सिर्फ फ्लोटिंग रेट वाले लोन पर मिलता है।

  • लोन का बेंचमार्क: फ्लोटिंग रेट वाले लोन में भी यह देखना होता है कि आपका लोन किस बेंचमार्क से जुड़ा है।

  • बदल गए हैं लोन बेंचमार्क के नियम (अक्टूबर 2019 से)

    अक्टूबर 2019 के बाद से ज्यादातर बैंकों ने नए फ्लोटिंग रेट लोन को सीधे RBI के रेपो रेट से जोड़ दिया है (External Benchmark Lending Rate – EBLR)। लेकिन, अगर आपका लोन अक्टूबर 2019 से पहले का है, तो हो सकता है वो पुराने सिस्टम जैसे MCLR (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट) या बेस रेट से जुड़ा हो।

    MCLR या बेस रेट वाले लोन पर रेपो रेट में कटौती का असर या तो देर से दिखता है, या फिर उतना नहीं दिखता जितना रेपो-लिंक्ड लोन पर दिखता है। बैंक अपनी फंडिंग की लागत (Cost of Funds), ऑपरेशनल खर्च और ग्राहक के क्रेडिट रिस्क प्रीमियम को ध्यान में रखकर ही ब्याज दरें तय करते हैं।

    तो आपके लिए सबसे अच्छा रास्ता क्या है?

    अगर RBI के रेपो रेट घटाने के बाद भी आपकी होम लोन EMI कम नहीं हुई है, तो ये कदम उठाएं:

  • पता करें अपना बेंचमार्क: सबसे पहले अपने बैंक से पता करें कि आपका होम लोन किस बेंचमार्क (रेपो रेट, MCLR या बेस रेट) से जुड़ा है।

  • लोन स्विच करने पर विचार करें: अगर आपका लोन पुराने सिस्टम (MCLR या बेस रेट) पर आधारित है, तो आप बैंक में एप्लीकेशन देकर उसे नए रेपो रेट लिंक्ड (EBLR) सिस्टम में स्विच करवा सकते हैं।

  • क्रेडिट स्कोर का रखें ध्यान: अगर लोन लेने के बाद आपका क्रेडिट स्कोर बेहतर हुआ है, तो बैंक आपके लोन को स्विच करने की अर्जी आसानी से मंजूर कर सकता है। इससे आपकी EMI कम होने की संभावना बढ़ जाएगी।

  • तो, थोड़ी सी जानकारी और बैंक से बात करके आप भी रेपो रेट कटौती का फायदा उठा सकते हैं!

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