वॉशिंगटन: डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी के एक-दूसरे की तारीफ किए जाने के बीच वॉशिंगटन से बड़ी खबर सामने आई है। भारत के लॉबिस्ट जेसन मिलर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की है। इस मुलाकात के बाद माना जा रहा है कि भारत और अमेरिका के रिश्ते सुधर सकते हैं। अमेरिकी सरकार पर पहुंच बनाने में लॉबिस्ट बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं। ऐसे में ट्रंप और मिलर की मुलाकात का भारत-अमेरिका के रिश्ते पर असर दिख सकता है।
अमेरिका में पाकिस्तान की लॉबिंग कर रही कंपनियों ने ही डोनाल्ड ट्रंप से पाक आर्मी चीफ असीम मुनीर की मुलाकात कुछ समय पहले कराई थी। इसके बाद ट्रंप का झुकाव पाकिस्तान की ओर देखा गया। माना गया कि लॉबिंग पर ज्यादा खर्च करते हुए पाकिस्तान ने ट्रंप प्रशासन का रुख अपनी ओर किया। ऐसे में मिलर की सक्रियता के बाद ट्रंप-मोदी के रिश्ते पर दुनिया की नजर लग गई है।
इसी साल किया मिलर को नियुक्तभारतीय दूतावास ने इस साल मई में मिलर को रणनीतिक परामर्श, लॉबिंग सेवा और जनसंपर्क सहायता के लिए नियुक्त करने का फैसला लिया था। उनको एक भारी फीस इसके लिए भारत की ओर से दी जा रही है। डोनाल्ड ट्रंप के वरिष्ठ सलाहकार होने की वजह से मिलर की अमेरिकी राष्ट्रपति से नजदीकी रही है।
मिलर के ट्रंप से पुराने रिश्ते को देखते हुए भारत को उनसे काफी उम्मीदे हैं। उनकी भूमिका इसलिए बढ़ गई है क्योंकि भारत और अमेरिका के रिश्ते अपने बेहद खराब दौर से गुजर रहे हैं। खासतौर से व्यापार के मुद्दे पर तनातनी है। ऐसे में देखना है कि क्या आने वाले समय में ट्रंप और मोदी की मुलाकात संभव होगी।
भारत-पाक का लॉबिंग में खर्च ट्रंप प्रशासन तक पहुंच के लिए दुनियाभर के देश लॉबिंग में भारी खर्च करते हैं। आंकड़े बताते हैं कि वॉशिंगटन डीसी में अमेरिकी सत्ता के गलियारों तक पहुंच हासिल करने में पाकिस्तान अमेरिकी लॉबिंग और रणनीतिक संचार फर्मों पर भारत से 3 गुना ज्यादा खर्च कर रहा है। पाक सरकार अमेरिका में लॉबिंग पर 6,00,000 डॉलर प्रति माह खर्च करता है।
पाकिस्तान ने पिछले कुछ वर्षों में वॉशिंगटन डीसी में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए छह लॉबिंग और कानूनी फर्मों को नियुक्त किया है। दूसरी ओर भारत लॉबिंग के लिए करीब 2,00,000 डॉलर प्रति माह खर्च करता है। भारत ने केवल दो लॉबिंग फर्मों को अपनी लॉबिंग के लिए नियुक्त किया है। वहीं भारत अर्थव्यवस्था के मामले में पाकिस्तान से करीब 10 गुना है।
अमेरिका में पाकिस्तान की लॉबिंग कर रही कंपनियों ने ही डोनाल्ड ट्रंप से पाक आर्मी चीफ असीम मुनीर की मुलाकात कुछ समय पहले कराई थी। इसके बाद ट्रंप का झुकाव पाकिस्तान की ओर देखा गया। माना गया कि लॉबिंग पर ज्यादा खर्च करते हुए पाकिस्तान ने ट्रंप प्रशासन का रुख अपनी ओर किया। ऐसे में मिलर की सक्रियता के बाद ट्रंप-मोदी के रिश्ते पर दुनिया की नजर लग गई है।
इसी साल किया मिलर को नियुक्तभारतीय दूतावास ने इस साल मई में मिलर को रणनीतिक परामर्श, लॉबिंग सेवा और जनसंपर्क सहायता के लिए नियुक्त करने का फैसला लिया था। उनको एक भारी फीस इसके लिए भारत की ओर से दी जा रही है। डोनाल्ड ट्रंप के वरिष्ठ सलाहकार होने की वजह से मिलर की अमेरिकी राष्ट्रपति से नजदीकी रही है।
मिलर के ट्रंप से पुराने रिश्ते को देखते हुए भारत को उनसे काफी उम्मीदे हैं। उनकी भूमिका इसलिए बढ़ गई है क्योंकि भारत और अमेरिका के रिश्ते अपने बेहद खराब दौर से गुजर रहे हैं। खासतौर से व्यापार के मुद्दे पर तनातनी है। ऐसे में देखना है कि क्या आने वाले समय में ट्रंप और मोदी की मुलाकात संभव होगी।
भारत-पाक का लॉबिंग में खर्च ट्रंप प्रशासन तक पहुंच के लिए दुनियाभर के देश लॉबिंग में भारी खर्च करते हैं। आंकड़े बताते हैं कि वॉशिंगटन डीसी में अमेरिकी सत्ता के गलियारों तक पहुंच हासिल करने में पाकिस्तान अमेरिकी लॉबिंग और रणनीतिक संचार फर्मों पर भारत से 3 गुना ज्यादा खर्च कर रहा है। पाक सरकार अमेरिका में लॉबिंग पर 6,00,000 डॉलर प्रति माह खर्च करता है।
पाकिस्तान ने पिछले कुछ वर्षों में वॉशिंगटन डीसी में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए छह लॉबिंग और कानूनी फर्मों को नियुक्त किया है। दूसरी ओर भारत लॉबिंग के लिए करीब 2,00,000 डॉलर प्रति माह खर्च करता है। भारत ने केवल दो लॉबिंग फर्मों को अपनी लॉबिंग के लिए नियुक्त किया है। वहीं भारत अर्थव्यवस्था के मामले में पाकिस्तान से करीब 10 गुना है।
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