तेहरान: इजरायल और ईरान के बीच चल रहे युद्ध के दूसरे हफ्ते अमेरिका की एंट्री हो गई है। अमेरिका ने ईरान के तीन सबसे महत्वपूर्ण परमाणु स्थल नतांज, फोर्डो और इस्फहान में कम से कम 6 GBU-57 बंकर बस्टर बम गिराए हैं। अमेरिका ने कहा है कि ईरान के तीनों परमाणु स्थल अब पूरी तरह से खत्म हो गये हैं। हालांकि ईरान ने शुरूआती बयान में कहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम जारी रहेगा, लेकिन अगर ये तीनों परमाणु स्थल खत्म हो गये हैं, फिर ईरान के लिए अगले कई सालों तक परमाणु बम बनाने का सपना पूरा नहीं होने वाला है। अमेरिका ने जिन तीन नतांज, फोर्डो और इस्फहान परमाणु स्थलों पर हमले किए हैं, वो तीनों ईरान के परमाणु कार्यक्रम की रीढ़ की हड्डी माने जाते थे। इजरायल अकेले इन तीनों को खत्म नहीं कर सकता था इसीलिए वो युद्ध में अमेरिका को शामिल होते देखना चाहता था।
सीएनएन की रिपोर्ट में ऑपरेशन से परिचित दो सूत्रों ने बताया है कि अमेरिका ने ईरानी परमाणु सुविधाओं पर अपने हमलों में GBU-57A/B मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) बम का इस्तेमाल किया है, जिसे "बंकर बस्टर" के रूप में जाना जाता है। यूएस एयरफोर्स के फैक्ट शीट के मुताबिक GBU-57A/B करीब 6,000 पाउंड विस्फोटकों वाला 30,000 पाउंड का बम है, जिसे खास तौर पर अंडरग्राउंड बंकरों और ऐसे ही किसी परमाणु स्थलों को तबाह करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें धरती के अंदर करीब 60 मीटर घुसने के बाद धमाका होता है और टारगेट खत्म हो जाता है। अभी तक की रिपोर्ट में 6 GBU-57A/B बम गिराने की जानकारी सामने आई है।
नतांज: ईरान का सबसे बड़ा यूरेनियम संवर्धन केंद्र
नतांज परमाणु स्थल, ईरान की राजधानी तेहरान से करीब 250 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है और इसे देश का सबसे बड़ा यूरेनियम संवर्धन परिसर माना जाता है। यह साइट 2003 से एक्टिव है और इसमें बड़े पैमाने पर सेंट्रीफ्यूज यूनिट्स को ऑपरेट किया जाता है। सेंट्रीफ्यूज का इस्तेमाल यूरेनियम को उच्च स्तर तक संवर्धित करने के लिए किया जाता है। इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) के मुताबिक नतांज में ईरान ने यूरेनियम को 60% तक संवर्धित किया है, जबकि परमाणु बम बनाने के लिए 90% तक शुद्ध यूरेनियम होना चाहिए। नतांज परमाणु स्थल में जमीन के ऊपर 6 भवन हैं, जबकि तीन अंडरग्राउंड भवन थे, जिनमें से दो में 50,000 तक सेंट्रीफ्यूज समा सकते हैं। हाल की इजराइली सैटेलाइट तस्वीरों के हवाले से एक्सपर्ट्स ने कहा है कि पहले के हमलों में नतांज के पायलट फ्यूज इनरिचमेंट प्लांट के ऊपर-जमीनी हिस्से को नष्ट कर दिया गया था। अब अमेरिकी हमले का फोकस स्पष्ट रूप से इसके भूमिगत स्तर पर बिजली सप्लाई को नष्ट करना था, जिससे संवर्धन प्रक्रिया खत्म हो जाएगी।
फोर्डो परमाणु स्थल.. ईरान का सबसे मजबूत परमाणु किला
फोर्डो परमाणु स्थल को ईरान का सबसे सुरक्षित जगह माना जा रहा था। इसे बिना अमेरिकी हमले के इजरायल किसी भी हाल में खत्म नहीं कर सकता था। फोर्डो, ईरान के पवित्र शहर कोम के पास स्थित है और इसकी संरचना इतनी गुप्त और मजबूत है कि इसके बारे में ज्यादातर जानकारी, इजरायली खुफिया एजेंसियों द्वारा चुराए गए दस्तावेजों से सामने आई है। CNN की रिपोर्ट के मुताबिक इस केंद्र की विशेषता यह है कि यह 80 से 90 मीटर (लगभग 262 से 295 फीट) की गहराई पर एक पहाड़ी के अंदर स्थित है, जिससे इसे बाहरी हमलों से खत्म करना अत्यंत मुश्किल हो जाता था। फोर्डो को खत्म करने के लिए अमेरिका के पास ही GBU-57 Massive Ordnance Penetrator बम था, जिसका इस्तेमाल किया गया है। इंस्टीट्यूट फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल सिक्योरिटी ISIS) के मुताबिक फोर्डो, इतनी तेजी से यूरेनियम संवर्धन कर सकता है कि वहां उपलब्ध 60% संवर्धित यूरेनियम को सिर्फ तीन हफ्तों में 233 किलोग्राम हथियार-योग्य यूरेनियम में बदला जा सकता है, जिससे ईरान कम से कम 9 परमाणु बम बना सकता था। रिपोर्ट्स के मुताबिक फोर्डो में ईरान के करीब 2700 सेंट्रीफ्यूज एक्टिल थे और यह केंद्र, ईरान के परमाणु आत्मनिर्भरता का एक अहम स्तंभ बन चुका था।
इस्फहान परमाणु स्थल... आधुनिक परमाणु विज्ञान का केन्द्र
इस्फहान, ईरान का सिर्फ ऐतिहासिक स्थल ही नहीं, बल्कि आधुनिक परमाणु विज्ञान का एक विशाल केन्द्र रहा है। चीन की मदद से ईरान ने इसे 1984 में बनाया था और आज की तारीख में इसे ईरान की सबसे बड़ी न्यूक्लियर रिसर्च कॉम्प्लेक्स के रूप में जाना जाता था। NTI (Nuclear Threat Initiative) के मुताबिक इस्फहान न्यूक्लियर सेंटर में ईरान के करीब 3000 न्यूक्लियर वैज्ञानिक काम करते हैं और इसे ईरान के परमाणु कार्यक्रम का केन्द्र माना जाता है। CNN की रिपोर्ट के मुताबिक यहां तीन छोटे रिसर्च रिएक्टर, यूरेनियम कन्वर्जन फैसिलिटी, फ्यूल प्रोडक्शन प्लांट, जिरकोनियम क्लैडिंग प्लांट समेत कई प्रयोगशालाएं और अन्य तकनीकी संस्थान स्थित हैं। यह संयंत्र यूरेनियम को गैस रूपांतरण, ईंधन छड़ों और परमाणु रिएक्टर के उपयोग के लिए तैयार करने में सक्षम है। हालांकि यह केंद्र मुख्यतः वैज्ञानिक रिसर्च के लिए जाना जाता है, लेकिन यहां का बुनियादी ढांचा इसे किसी भी वक्त सैन्य उपयोग के लिए उपयुक्त बना सकता था और यही वजह है कि अमेरिका ने इसे भी अपने हमले का निशाना बनाया।
ईरान ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि इस हमले का गंभीर परिणाम होगा। लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि ईरान की प्रतिक्रिया तय करेगी की ये युद्ध अब किस तरफ जाता है। लेकिन इन तीनों न्यूक्लियर सेंटर के खत्म होने के बाद अब कम से कम 25 से 30 सालों के लिए ईरान का परमाणु कार्यक्रम खत्म हो गया है। ईरान का परमाणु बम बनाने का सपना अब फिलहाल टूट गया है। ईरान ने इन तीनों परमाणु स्थलों को बनाने और परमाणु बम बनाने के लिए दुर्लभ सामान जुटाने में सालों से मेहनत की थी, जो अब ध्वस्त हो चुका है। ये ईरान के मनोबल को तोड़ने वाला हमला है।
सीएनएन की रिपोर्ट में ऑपरेशन से परिचित दो सूत्रों ने बताया है कि अमेरिका ने ईरानी परमाणु सुविधाओं पर अपने हमलों में GBU-57A/B मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) बम का इस्तेमाल किया है, जिसे "बंकर बस्टर" के रूप में जाना जाता है। यूएस एयरफोर्स के फैक्ट शीट के मुताबिक GBU-57A/B करीब 6,000 पाउंड विस्फोटकों वाला 30,000 पाउंड का बम है, जिसे खास तौर पर अंडरग्राउंड बंकरों और ऐसे ही किसी परमाणु स्थलों को तबाह करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें धरती के अंदर करीब 60 मीटर घुसने के बाद धमाका होता है और टारगेट खत्म हो जाता है। अभी तक की रिपोर्ट में 6 GBU-57A/B बम गिराने की जानकारी सामने आई है।
नतांज: ईरान का सबसे बड़ा यूरेनियम संवर्धन केंद्र
नतांज परमाणु स्थल, ईरान की राजधानी तेहरान से करीब 250 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है और इसे देश का सबसे बड़ा यूरेनियम संवर्धन परिसर माना जाता है। यह साइट 2003 से एक्टिव है और इसमें बड़े पैमाने पर सेंट्रीफ्यूज यूनिट्स को ऑपरेट किया जाता है। सेंट्रीफ्यूज का इस्तेमाल यूरेनियम को उच्च स्तर तक संवर्धित करने के लिए किया जाता है। इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) के मुताबिक नतांज में ईरान ने यूरेनियम को 60% तक संवर्धित किया है, जबकि परमाणु बम बनाने के लिए 90% तक शुद्ध यूरेनियम होना चाहिए। नतांज परमाणु स्थल में जमीन के ऊपर 6 भवन हैं, जबकि तीन अंडरग्राउंड भवन थे, जिनमें से दो में 50,000 तक सेंट्रीफ्यूज समा सकते हैं। हाल की इजराइली सैटेलाइट तस्वीरों के हवाले से एक्सपर्ट्स ने कहा है कि पहले के हमलों में नतांज के पायलट फ्यूज इनरिचमेंट प्लांट के ऊपर-जमीनी हिस्से को नष्ट कर दिया गया था। अब अमेरिकी हमले का फोकस स्पष्ट रूप से इसके भूमिगत स्तर पर बिजली सप्लाई को नष्ट करना था, जिससे संवर्धन प्रक्रिया खत्म हो जाएगी।
फोर्डो परमाणु स्थल.. ईरान का सबसे मजबूत परमाणु किला
फोर्डो परमाणु स्थल को ईरान का सबसे सुरक्षित जगह माना जा रहा था। इसे बिना अमेरिकी हमले के इजरायल किसी भी हाल में खत्म नहीं कर सकता था। फोर्डो, ईरान के पवित्र शहर कोम के पास स्थित है और इसकी संरचना इतनी गुप्त और मजबूत है कि इसके बारे में ज्यादातर जानकारी, इजरायली खुफिया एजेंसियों द्वारा चुराए गए दस्तावेजों से सामने आई है। CNN की रिपोर्ट के मुताबिक इस केंद्र की विशेषता यह है कि यह 80 से 90 मीटर (लगभग 262 से 295 फीट) की गहराई पर एक पहाड़ी के अंदर स्थित है, जिससे इसे बाहरी हमलों से खत्म करना अत्यंत मुश्किल हो जाता था। फोर्डो को खत्म करने के लिए अमेरिका के पास ही GBU-57 Massive Ordnance Penetrator बम था, जिसका इस्तेमाल किया गया है। इंस्टीट्यूट फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल सिक्योरिटी ISIS) के मुताबिक फोर्डो, इतनी तेजी से यूरेनियम संवर्धन कर सकता है कि वहां उपलब्ध 60% संवर्धित यूरेनियम को सिर्फ तीन हफ्तों में 233 किलोग्राम हथियार-योग्य यूरेनियम में बदला जा सकता है, जिससे ईरान कम से कम 9 परमाणु बम बना सकता था। रिपोर्ट्स के मुताबिक फोर्डो में ईरान के करीब 2700 सेंट्रीफ्यूज एक्टिल थे और यह केंद्र, ईरान के परमाणु आत्मनिर्भरता का एक अहम स्तंभ बन चुका था।
इस्फहान परमाणु स्थल... आधुनिक परमाणु विज्ञान का केन्द्र
इस्फहान, ईरान का सिर्फ ऐतिहासिक स्थल ही नहीं, बल्कि आधुनिक परमाणु विज्ञान का एक विशाल केन्द्र रहा है। चीन की मदद से ईरान ने इसे 1984 में बनाया था और आज की तारीख में इसे ईरान की सबसे बड़ी न्यूक्लियर रिसर्च कॉम्प्लेक्स के रूप में जाना जाता था। NTI (Nuclear Threat Initiative) के मुताबिक इस्फहान न्यूक्लियर सेंटर में ईरान के करीब 3000 न्यूक्लियर वैज्ञानिक काम करते हैं और इसे ईरान के परमाणु कार्यक्रम का केन्द्र माना जाता है। CNN की रिपोर्ट के मुताबिक यहां तीन छोटे रिसर्च रिएक्टर, यूरेनियम कन्वर्जन फैसिलिटी, फ्यूल प्रोडक्शन प्लांट, जिरकोनियम क्लैडिंग प्लांट समेत कई प्रयोगशालाएं और अन्य तकनीकी संस्थान स्थित हैं। यह संयंत्र यूरेनियम को गैस रूपांतरण, ईंधन छड़ों और परमाणु रिएक्टर के उपयोग के लिए तैयार करने में सक्षम है। हालांकि यह केंद्र मुख्यतः वैज्ञानिक रिसर्च के लिए जाना जाता है, लेकिन यहां का बुनियादी ढांचा इसे किसी भी वक्त सैन्य उपयोग के लिए उपयुक्त बना सकता था और यही वजह है कि अमेरिका ने इसे भी अपने हमले का निशाना बनाया।
ईरान ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि इस हमले का गंभीर परिणाम होगा। लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि ईरान की प्रतिक्रिया तय करेगी की ये युद्ध अब किस तरफ जाता है। लेकिन इन तीनों न्यूक्लियर सेंटर के खत्म होने के बाद अब कम से कम 25 से 30 सालों के लिए ईरान का परमाणु कार्यक्रम खत्म हो गया है। ईरान का परमाणु बम बनाने का सपना अब फिलहाल टूट गया है। ईरान ने इन तीनों परमाणु स्थलों को बनाने और परमाणु बम बनाने के लिए दुर्लभ सामान जुटाने में सालों से मेहनत की थी, जो अब ध्वस्त हो चुका है। ये ईरान के मनोबल को तोड़ने वाला हमला है।
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