बिहार के डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता सम्राट चौधरी ने एनडीए के सीएम फेस को लेकर बड़ा खुलासा किया है। उनके मुताबिक एनडीए में सीएम फेस को लेकर किसी तरह का असमंजस नहीं है। सीएम फेस का चुनाव आज से 20 साल पहले ही हो गया था और बीजेपी हाईकमान बिहार में उसी फैसले पर आज तक अमल कर रही है। किसी ने भी उस फैसले को नहीं पलटा।
बिहार से पलायन घटा
एक इंटरव्यू में उन्होंने दावा किया कि बिहार में बीते कुछ साल में मजदूरों के पलायन में कमी आई है। आज बिहार के लोग गांव में ही काम पा रहे हैं, छोटे उद्योग और खेती-बाड़ी से इनकम बढ़ी है। सड़क, बिजली और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं हर घर तक पहुंच चुकी हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बिहार का जीडीपी 50 हजार करोड़ से बढ़कर डेढ़ लाख करोड़ हो चुका है।
तेजस्वी यादव का नौकरी का वादा असंभव
तेजस्वी यादव के हर परिवार को एक सरकारी नौकरी देने की बात पर सम्राट चौधरी ने तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव ने शायद आंकड़े देखे ही नहीं। अगर बिहार के हर परिवार को एक सरकारी नौकरी देनी हो, तो बजट कई गुना बढ़ाना पड़ेगा। यह आर्थिक रूप से संभव ही नहीं है। लोगों को सपने दिखाना आसान है, लेकिन उन सपनों को हकीकत में बदलना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य सबको सरकारी नौकरी देना नहीं, बल्कि ऐसा माहौल बनाना है जहां निजी क्षेत्र, उद्योग और सर्विस सेक्टर में पर्याप्त मौके पैदा हों।
तारापुर लौटना घर वापसी जैसा
अपने विधानसभा क्षेत्र तारापुर से चुनाव लड़ने पर सम्राट चौधरी ने कहा कि तारापुर मेरा घर है, वहां की जनता से मेरा आत्मीय रिश्ता है। जब मैं वहां जाता हूं तो लगता है जैसे बेटा घर लौट आया हो। लोग जानते हैं कि मैंने हमेशा उनके विकास के लिए काम किया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने तारापुर में लगातार जीत दर्ज की है क्योंकि वहां जनता को पार्टी पर भरोसा है।
सीएम को लेकर एनडीए में भ्रम नहीं
महागठबंधन ने जहां तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कर दिया है, वहीं एनडीए की ओर से अब तक किसी चेहरे की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। इस पर चौधरी ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि हमारे यहां कोई वैकेंसी नहीं है। नीतीश कुमार सीएम हैं और आगे भी बने रहेंगे। उन्होंने याद दिलाया कि 2005 में बीजेपी ने ही नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद के लिए आगे बढ़ाया था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस पर सहमति दी थी। चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार की कार्यशैली अलग हो सकती है, लेकिन वे सभी एनडीए घटक दलों के लिए स्वीकार्य नेता हैं।
क्या कहते हैं जानकार
राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि बिहार में एनडीए विकास और स्थिर नेतृत्व की साख को लेकर आगे बढ़ना चाह रहा है। चौधरी के बयान से यह भी साफ है कि बीजेपी अपनी रणनीति में किसी तरह का बदलाव नहीं करना चाहती। वहीं, महागठबंधन की जॉब नीति और बड़े वादे चुनावी चर्चा का केंद्र बने हुए हैं।
बिहार से पलायन घटा
एक इंटरव्यू में उन्होंने दावा किया कि बिहार में बीते कुछ साल में मजदूरों के पलायन में कमी आई है। आज बिहार के लोग गांव में ही काम पा रहे हैं, छोटे उद्योग और खेती-बाड़ी से इनकम बढ़ी है। सड़क, बिजली और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं हर घर तक पहुंच चुकी हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बिहार का जीडीपी 50 हजार करोड़ से बढ़कर डेढ़ लाख करोड़ हो चुका है।
तेजस्वी यादव का नौकरी का वादा असंभव
तेजस्वी यादव के हर परिवार को एक सरकारी नौकरी देने की बात पर सम्राट चौधरी ने तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव ने शायद आंकड़े देखे ही नहीं। अगर बिहार के हर परिवार को एक सरकारी नौकरी देनी हो, तो बजट कई गुना बढ़ाना पड़ेगा। यह आर्थिक रूप से संभव ही नहीं है। लोगों को सपने दिखाना आसान है, लेकिन उन सपनों को हकीकत में बदलना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य सबको सरकारी नौकरी देना नहीं, बल्कि ऐसा माहौल बनाना है जहां निजी क्षेत्र, उद्योग और सर्विस सेक्टर में पर्याप्त मौके पैदा हों।
तारापुर लौटना घर वापसी जैसा
अपने विधानसभा क्षेत्र तारापुर से चुनाव लड़ने पर सम्राट चौधरी ने कहा कि तारापुर मेरा घर है, वहां की जनता से मेरा आत्मीय रिश्ता है। जब मैं वहां जाता हूं तो लगता है जैसे बेटा घर लौट आया हो। लोग जानते हैं कि मैंने हमेशा उनके विकास के लिए काम किया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने तारापुर में लगातार जीत दर्ज की है क्योंकि वहां जनता को पार्टी पर भरोसा है।
सीएम को लेकर एनडीए में भ्रम नहीं
महागठबंधन ने जहां तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कर दिया है, वहीं एनडीए की ओर से अब तक किसी चेहरे की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। इस पर चौधरी ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि हमारे यहां कोई वैकेंसी नहीं है। नीतीश कुमार सीएम हैं और आगे भी बने रहेंगे। उन्होंने याद दिलाया कि 2005 में बीजेपी ने ही नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद के लिए आगे बढ़ाया था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस पर सहमति दी थी। चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार की कार्यशैली अलग हो सकती है, लेकिन वे सभी एनडीए घटक दलों के लिए स्वीकार्य नेता हैं।
क्या कहते हैं जानकार
राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि बिहार में एनडीए विकास और स्थिर नेतृत्व की साख को लेकर आगे बढ़ना चाह रहा है। चौधरी के बयान से यह भी साफ है कि बीजेपी अपनी रणनीति में किसी तरह का बदलाव नहीं करना चाहती। वहीं, महागठबंधन की जॉब नीति और बड़े वादे चुनावी चर्चा का केंद्र बने हुए हैं।
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