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अकेला नहीं है पाकिस्तान, भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर की जीत में भी छिपी है बड़ी चुनौती, आगे करने होंगे ये काम

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नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में हुए ऑपरेशन सिंदूर में जीत के बाद भारतीय सेना का मनोबल काफी ऊंचा है और भारतीय उत्साह से गदगद हैं। लेकिन, ये जीत बड़ी चुनौती की ओर इशारा करती है। अब भारत को सिर्फ पाकिस्तान से नहीं, बल्कि पाकिस्तान के उन मित्रों का भी सामना करना है, जो इस बार सीधे तौर पर या परोक्ष रूप में आतंकवाद समर्थक देश का साथ देने के लिए बेनकाब हुए हैं। इस बात में कोई दो राय नहीं कि ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान की सैन्य क्षमता की कमजोरी उजागर की है। लेकिन, ये भी बताया कि भारत को भविष्य में किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। पाकिस्तान को हथियारों के मामले में चीन और तुर्की जैसे देशों से खुली मदद मिल रही है। इसलिए, आगे से भारत को सिर्फ पाकिस्तान की ताकत का ही नहीं, बल्कि उसे मिलने वाली बाहरी मदद को भी ध्यान में रखना जरूरी हो चुका है। इसके लिए भारत को सेना को ज्यादा से ज्यादा आधुनिक बनाने और रक्षा बजट बढ़ाने पर फोकस करने की जरूरत है। पाकिस्तान की 'बाहरी' ताकत बनी बड़ी चुनौतीऑपरेशन सिंदूर में भारत को रणनीतिक बढ़त मिली है। सामरिक और कूटनीतक दृष्टिकोण से विश्व ने भारत का लोहा माना है और उसकी चिंता भी समझी है। लेकिन, ये जीत बताती है कि भारत के सामने अब एक नई तरह की समस्या खड़ी हुई है। ये समस्या सिर्फ पाकिस्तान तक सीमित नहीं है। बल्कि, उसके दोस्तों को मिलाकर देखने के बाद पैदा हुई समस्या है। इस ऑपरेशन से ये तो पता चला कि पाकिस्तान की युद्ध करने की अपनी क्षमता कमजोर है। लेकिन, उसके दोस्त भारत के लिए नई तरह की चिंताएं पैदा कर रहे हैं। चीन, पाकिस्तान को सबसे ज्यादा हथियार देता है। पाकिस्तान के कुल रक्षा आयात का 80% से अधिक हथियार चीन से आता है। इस ऑपरेशन में भारत के खिलाफ चीन की बनी स्मार्ट मिसाइलें और एयर डिफेंस सिस्टम इस्तेमाल हुए। तुर्की ने पाकिस्तान को हजारों ड्रोन दिए हैं। पाकिस्तान ने इन ड्रोन का इस्तेमाल भारतीय सैन्य और नागरिक ठिकानों पर हमला करने के लिए किया। इससे पता चलता है कि भारत को अब सिर्फ पाकिस्तान की ताकत का ही नहीं, बल्कि उसे मिलने वाली बाहरी मदद का भी ध्यान रखना होगा। भारत को आत्मनिर्भरता से मिलेंगे 4 बड़े फायदे इन नए खतरों को देखते हुए भारत को अपनी सेना को और ज्यादा आधुनिक बनाने की जरूरत है। अभी रक्षा बजट में इसके लिए सिर्फ ही 26% ही पूंजीगत व्यय निर्धारित है, जो काफी नहीं है। भारत का कुल रक्षा बजट GDP का मात्र 1.9% है। रक्षा जानकारों का मानना है कि चीन और पाकिस्तान से निपटने के लिए इसे कम से कम 2.5% तक बढ़ाना जरूरी है। क्योंकि, उत्तरी मोर्चे पर चीन भी लगातार एक खतरा बनकर मंडरा रहा है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के उस पार लद्दाख से लेकर पूर्वोत्तर तक ड्रैगन की बुरी नजरें हमेशा लगी हुई हैं। भारत अभी भी ज्यादातर हथियार विदेश से मंगाता है। इससे हम पूरी तरह से आत्मनिर्भर नहीं बन पा रहे हैं। इसका अंतिम समाधान यही है कि हम अधिक से अधिक अपने देश में ही हथियार बनाना शुरू करें। ऑपरेशन सिंदूर ने इस मामले में भी एक नई आस जगाई है। हमारे स्वदेशी हथियारों ने दुश्मन के दांत खट्टे करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। इसमें प्राइवेट कंपनियों का भी सहयोग लिया जा रहा है। लेकिन, मौजूदा हालात में इसे और ज्यादा बढ़ावा देने की जरूरत खड़ी हो गई है। इससे चार तरह के फायदे होंगे। पहला हथियारों की मौजूदा लागत कम होगी। दूसरा, हम अपने दम पर सामरिक रूप से और अधिक मजबूत और आत्मनिर्भर होंगे। तीसरा, अपने देश में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे; और चौथा अगर हम दुनिया के छोटे-छोटे देशों को ज्यादा से ज्यादा हथियार बेच पाए तो इससे हमारी अर्थव्यवस्था को भी सहायता मिलेगी। ऑपरेशन सिंदूर की जीत में भी छिपी है बड़ी चुनौतीऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायु सेना का प्रदर्शन बेतरीन रहा। लेकिन, कुछ कमजोरियां भी सामने आईं। ये ऑपरेशन ज्यादातर हवाई युद्ध पर ही केंद्रित रहा। भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने अच्छा काम किया। एस-400 ने बहुत अहम भूमिका निभाई। लेकिन, सबसे अच्छी बात ये रही कि भारत में बने SAMAR और आकाश मिसाइल सिस्टम ने भी शानदार प्रदर्शन किया। इससे पता चलता है कि भारत में तकनीक विकसित करने की क्षमता है। इसलिए समय की मांग है कि सरकार को इसमें लगातार निवेश करना चाहिए और कंपनियों को ठेके देने चाहिए। लेकिन, इसके साथ ही कुछ चिंता की बातें भी हैं। भारत के पास अभी सिर्फ 31 फाइटर स्क्वाड्रन हैं। जबकि, हमें 42 स्क्वाड्रन की आवश्यकता है। AWACS (एयरबोर्न वॉर्निंग सिस्टम) की हालत भी बहुत ठीक नहीं है। हमारे पास जो Phalcon सिस्टम हैं, वो पुराने हो चुके हैं। वहीं, पाकिस्तान ने चीन से J-10C फाइटर्स और PL-15E मिसाइल जैसे आधुनिक हथियार खरीदे हैं। इसलिए भारत को मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द पूरा करना होगा। इसमें और देरी करना सामरिक दृष्टिकोण से उचित नहीं है। भारत को रक्षा क्षेत्र में आगे करने होंगे ये कामकुल मिलाकर ऑपरेशन सिंदूर की सफलता भारत के लिए गर्व की बात है। लेकिन, इससे मिलने वाले सबक और भविष्य की चुनौतियों पर ध्यान देना अब बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है। हमें ये समझना होगा कि अगला युद्ध सिर्फ सीमा पर नहीं लड़ा जाएगा। बल्कि, ये तकनीकी, कूटनीतिक और वैश्विक गठजोड़ों के मोर्चे पर भी लड़ा जाएगा। इसलिए जरूरी है कि भारत- - रक्षा बजट बढ़ाए।- अपने देश में हथियार बनाने को बढ़ावा दे।- और सेना को आधुनिक बनाने की दिशा में चल रहे काम में और तेजी लाया जाए। वरना अगली बार हमें 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसी सफलता पाने में बहुत ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है।
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