इंदौर: रेप केस में समझौता करवाने के आरोप में इंदौर पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह ने बड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की है। एमआईजी थाने में पदस्थ रहे तत्कालीन थाना प्रभारी टीआई अजय वर्मा को दोषी पाए जाने पर डिमोट करते हुए उपनिरीक्षक (एसआई) बना दिया गया है। साथ ही, जांच में शामिल पाए गए कार्यवाहक सहायक उपनिरीक्षक धीरज शर्मा को भी डिमोट कर आरक्षक (कांस्टेबल) के पद पर भेजा गया है।
दरअसल, मार्च 2022 में एक महिला ने एमआईजी थाने में रवि नामक व्यक्ति के खिलाफ रेप का आवेदन दिया था। जांच के दौरान सामने आया कि आरोपी पक्ष से 20 लाख रुपए लेकर पूरे मामले का सेटलमेंट किया गया था। इस प्रकरण में तत्कालीन टीआई अजय वर्मा, जांच अधिकारी धीरज शर्मा और आरक्षक गोविंद द्विवेदी की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी।
प्रारंभिक जांच में एडिशनल डीसीपी स्तर पर रिपोर्ट तैयार हुई थी। इसमें आरक्षक को तुरंत लाइन अटैच कर दिया गया, जबकि टीआई और सहायक उपनिरीक्षक के खिलाफ विभागीय जांच आगे बढ़ाई गई। जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि तीनों ने प्रकरण में गंभीर लापरवाही बरती और आरोपियों से समझौते की कोशिश की।
जांच रिपोर्ट आते ही कमिश्नर की कार्रवाई
जांच पूरी होने के बाद जब रिपोर्ट पुलिस कमिश्नर के पास पहुंची तो उन्होंने तत्काल प्रभाव से कार्रवाई के आदेश जारी किए। आदेश के अनुसार, टीआई अजय वर्मा को दो वर्ष के लिए उपनिरीक्षक (एसआई) पद पर डिमोट किया गया है। वही कार्यवाहक सउनि धीरज शर्मा को पांच वर्ष के लिए आरक्षक पद पर भेज दिया गया।
पहले भी हुई हैं सख्त कार्रवाईयां
यह पहला मौका नहीं है जब पुलिस आयुक्त कार्यालय ने इस तरह की कड़ी कार्रवाई की हो। इससे पहले विजय नगर थाने के टीआई रवींद्र गुर्जर को ऑनलाइन सट्टा प्रकरण में दोषी पाए जाने पर डिमोट कर एसआई बना दिया गया था। इसी मामले में एसआई संजय धुर्वे और एक आरक्षक की वेतनवृद्धि रोकी गई थी।
प्रधान आरक्षक कमल गुर्जवार भी हो चुके डिमोट
इसके अलावा, जोन-2 के पूर्व डीसीपी अभिनय विश्वकर्मा ने भी खजराना थाने के प्रधान आरक्षक कमल सिंह गुर्जवार (1707) को एक शिकायत को 400 दिन तक दबाकर रखने के दोष में डिमोट कर आरक्षक बना दिया था। साथ ही, उसकी एक साल की वेतनवृद्धि भी रोक दी गई थी।
दरअसल, मार्च 2022 में एक महिला ने एमआईजी थाने में रवि नामक व्यक्ति के खिलाफ रेप का आवेदन दिया था। जांच के दौरान सामने आया कि आरोपी पक्ष से 20 लाख रुपए लेकर पूरे मामले का सेटलमेंट किया गया था। इस प्रकरण में तत्कालीन टीआई अजय वर्मा, जांच अधिकारी धीरज शर्मा और आरक्षक गोविंद द्विवेदी की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी।
प्रारंभिक जांच में एडिशनल डीसीपी स्तर पर रिपोर्ट तैयार हुई थी। इसमें आरक्षक को तुरंत लाइन अटैच कर दिया गया, जबकि टीआई और सहायक उपनिरीक्षक के खिलाफ विभागीय जांच आगे बढ़ाई गई। जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि तीनों ने प्रकरण में गंभीर लापरवाही बरती और आरोपियों से समझौते की कोशिश की।
जांच रिपोर्ट आते ही कमिश्नर की कार्रवाई
जांच पूरी होने के बाद जब रिपोर्ट पुलिस कमिश्नर के पास पहुंची तो उन्होंने तत्काल प्रभाव से कार्रवाई के आदेश जारी किए। आदेश के अनुसार, टीआई अजय वर्मा को दो वर्ष के लिए उपनिरीक्षक (एसआई) पद पर डिमोट किया गया है। वही कार्यवाहक सउनि धीरज शर्मा को पांच वर्ष के लिए आरक्षक पद पर भेज दिया गया।
पहले भी हुई हैं सख्त कार्रवाईयां
यह पहला मौका नहीं है जब पुलिस आयुक्त कार्यालय ने इस तरह की कड़ी कार्रवाई की हो। इससे पहले विजय नगर थाने के टीआई रवींद्र गुर्जर को ऑनलाइन सट्टा प्रकरण में दोषी पाए जाने पर डिमोट कर एसआई बना दिया गया था। इसी मामले में एसआई संजय धुर्वे और एक आरक्षक की वेतनवृद्धि रोकी गई थी।
प्रधान आरक्षक कमल गुर्जवार भी हो चुके डिमोट
इसके अलावा, जोन-2 के पूर्व डीसीपी अभिनय विश्वकर्मा ने भी खजराना थाने के प्रधान आरक्षक कमल सिंह गुर्जवार (1707) को एक शिकायत को 400 दिन तक दबाकर रखने के दोष में डिमोट कर आरक्षक बना दिया था। साथ ही, उसकी एक साल की वेतनवृद्धि भी रोक दी गई थी।
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