सोनीपत : हरियाणा के सोनीपत जिले के गांव बड़वासनी की बेटी डॉ. सोनिया दहिया आज एक प्रेरणा बन चुकी हैं। शिक्षा जगत की एक सफल शिक्षाविद् होने के साथ-साथ उन्होंने कृषि क्षेत्र में भी नई पहचान बनाई है। सोनिया वर्तमान में दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं तकनीकी विश्वविद्यालय, मुरथल में बायोटेक्नोलॉजी की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं और पीएचडी कर चुकी हैं। उनके पति डॉ. विजय दहिया दिल्ली के महाराजा सूरजमल इंस्टीट्यूट में गणित के प्रोफेसर हैं। दोनों पति-पत्नी ने मिलकर शिक्षा और कृषि क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान दिया है।
ऐसी ही सोनिया की सफलता की कहानी
डॉ. सोनिया की सफलता की कहानी साल 2020 से शुरू होती है। इस दंपति ने गांव में 1 एकड़ जमीन खरीदी थी, जहां वे एक स्कूल खोलना चाहते थे ताकि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। लेकिन कोरोना महामारी के कारण जब सारे स्कूल बंद हो गए, तो उन्होंने अपने सपने को एक नए दिशा में मोड़ दिया। दोनों ने कृषि के क्षेत्र में कदम रखा। कृषि में उनका कोई अनुभव नहीं था, लेकिन जज्बा और मेहनत ने असंभव को संभव कर दिखाया। सोनिया ने अपने तकनीकी ज्ञान और बायोटेक्नोलॉजी की समझ का उपयोग करते हुए मशरूम की खेती शुरू की। उन्होंने करीब 40 लाख रुपये का निवेश कर दो एसी ग्रोइंग चैंबर तैयार करवाए और 5600 मशरूम बैग से अपनी पहली खेप शुरू की। शुरू में खाद की गुणवत्ता को लेकर चुनौतियां आईं, पर उन्होंने खुद की कंपोस्ट खाद तैयार करना शुरू किया और सफलता की राह बना ली।
सालाना एक करोड़ 20 लाख रुपये का टर्नओवर
आज डॉ. सोनिया का मशरूम यूनिट एक सफल कृषि उद्यम बन चुका है। उनका सालाना टर्नओवर करीब 1.20 करोड़ रुपये है, जिसमें से वह 25 से 30 लाख रुपये शुद्ध लाभ कमा लेती हैं। उनकी मेहनत और नवाचार ने उन्हें कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित करवाया है। उन्हें जम्मू-कश्मीर में सर्वश्रेष्ठ किसान पुरस्कार, हरियाणा बागवानी विभाग की राज्य स्तरीय सदस्यता, और 2022 के इंटरनेशनल बायोटेक्नोलॉजी इवेंट में सम्मान मिला। 2023 में हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने उन्हें सम्मानित किया, वहीं 23 दिसंबर किसान दिवस पर भी उनका सत्कार हुआ। हाल ही में, करनाल में आयोजित 11वीं मेगा सब्जी एक्सपो 2025 में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने उन्हें कृषि प्रोत्साहन के द्वितीय पुरस्कार से नवाजा।
ऐसी ही सोनिया की सफलता की कहानी
डॉ. सोनिया की सफलता की कहानी साल 2020 से शुरू होती है। इस दंपति ने गांव में 1 एकड़ जमीन खरीदी थी, जहां वे एक स्कूल खोलना चाहते थे ताकि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। लेकिन कोरोना महामारी के कारण जब सारे स्कूल बंद हो गए, तो उन्होंने अपने सपने को एक नए दिशा में मोड़ दिया। दोनों ने कृषि के क्षेत्र में कदम रखा। कृषि में उनका कोई अनुभव नहीं था, लेकिन जज्बा और मेहनत ने असंभव को संभव कर दिखाया। सोनिया ने अपने तकनीकी ज्ञान और बायोटेक्नोलॉजी की समझ का उपयोग करते हुए मशरूम की खेती शुरू की। उन्होंने करीब 40 लाख रुपये का निवेश कर दो एसी ग्रोइंग चैंबर तैयार करवाए और 5600 मशरूम बैग से अपनी पहली खेप शुरू की। शुरू में खाद की गुणवत्ता को लेकर चुनौतियां आईं, पर उन्होंने खुद की कंपोस्ट खाद तैयार करना शुरू किया और सफलता की राह बना ली।
सालाना एक करोड़ 20 लाख रुपये का टर्नओवर
आज डॉ. सोनिया का मशरूम यूनिट एक सफल कृषि उद्यम बन चुका है। उनका सालाना टर्नओवर करीब 1.20 करोड़ रुपये है, जिसमें से वह 25 से 30 लाख रुपये शुद्ध लाभ कमा लेती हैं। उनकी मेहनत और नवाचार ने उन्हें कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित करवाया है। उन्हें जम्मू-कश्मीर में सर्वश्रेष्ठ किसान पुरस्कार, हरियाणा बागवानी विभाग की राज्य स्तरीय सदस्यता, और 2022 के इंटरनेशनल बायोटेक्नोलॉजी इवेंट में सम्मान मिला। 2023 में हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने उन्हें सम्मानित किया, वहीं 23 दिसंबर किसान दिवस पर भी उनका सत्कार हुआ। हाल ही में, करनाल में आयोजित 11वीं मेगा सब्जी एक्सपो 2025 में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने उन्हें कृषि प्रोत्साहन के द्वितीय पुरस्कार से नवाजा।
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