नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि भारत में प्रवेश स्तर के ज्यूडिशियल अफसरों की सीनियरिटी निर्धारित करने के मानदंडों में देशभर में किसी प्रकार की “एकरूपता” (uniformity) लाने की आवश्यकता है, ताकि इन अधिकारियों के धीमे और असमान कैरियर विकास से निपटा जा सके।   
   
पीठ में शामिल हैं ये जज
चीफ जस्टिस बी. आर. गवई की अगुवाई वाली पांच जजों की संविधान बेंच ने यह स्पष्ट किया कि उसका उद्देश्य किसी भी रूप में उच्च न्यायालयों की उस शक्ति में हस्तक्षेप करना नहीं है, जिसके तहत वे जजों के लिए नामों की सिफारिश करते हैं। संविधान बेंच उच्च न्यायिक सेवा (HJS) में वरिष्ठता निर्धारण के लिए समान, राष्ट्रव्यापी मानदंड तैयार करने पर विचार कर रही है।
   
कई बार तो नहीं बन पाते डिस्ट्रिक्ट जज
सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य पर गौर किया कि अधिकांश राज्यों में सिविल जज (CJ) के रूप में भर्ती हुए ऑफिसर अक्सर प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट जज (PDJ) के पद तक नहीं पहुंच पाते, हाई कोर्ट के जज बनने की बात तो दूर है। इसके कारण कई प्रतिभाशाली युवा वकील न्यायिक सेवा में सिविल जज स्तर पर शामिल होने से हतोत्साहित हो जाते हैं।
   
सुप्रीम कोर्ट से किया अनुरोधबुधवार को सीनियर वकील राकेश द्विवेदी इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से पेश हुए और कहा कि शीर्ष अदालत से एक समान वरिष्ठता ढांचा थोपने से बचने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह विषय उच्च न्यायालयों के विवेक पर छोड़ा जाना चाहिए, क्योंकि संविधान उन्हें अधीनस्थ न्यायपालिका के प्रशासन का अधिकार देता है।
   
कोर्ट को कमजोर करने का समय नहींउन्होंने कहा कि हाई कोर्ट अपने-अपने राज्यों की परिस्थितियों और तथ्यों से भली-भांति परिचित हैं। वे वरिष्ठता और पदोन्नति के मुद्दों से निपटने की सर्वोत्तम स्थिति में हैं। अब समय है उच्च न्यायालयों को मजबूत करने का, न कि उन्हें कमजोर करने का।
   
हस्तक्षेप का नहीं रखते इरादा
चीफ जस्टिस ने तब कहा कि कुछ हद तक एकरूपता होनी ही चाहिए। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम उच्च न्यायालयों के नाम अनुशंसा करने के विवेकाधिकार को नहीं छीनेंगे। लेकिन हर उच्च न्यायालय के लिए अलग नीति क्यों हो? हम प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उनके अधिकारों में हस्तक्षेप करने का इरादा नहीं रखते।
   
व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए करेंगे ये कामजस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि संभावित निर्देश आपसी वरिष्ठता विवादों से संबंधित नहीं होंगे, बल्कि पूरे देश में निष्पक्षता और समानता सुनिश्चित करने के लिए सामान्य सिद्धांत तय करेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि व्यक्तिगत वरिष्ठता विवादों को नहीं सुना जाएगा। यह केवल एक व्यापक और मार्गदर्शक ढांचा होगा। 14 अक्टूबर को, पीठ ने यह प्रश्न तैयार किया था कि“उच्च न्यायिक सेवा के संवर्ग में वरिष्ठता निर्धारित करने के लिए मानदंड क्या होना चाहिए?
   
  
पीठ में शामिल हैं ये जज
चीफ जस्टिस बी. आर. गवई की अगुवाई वाली पांच जजों की संविधान बेंच ने यह स्पष्ट किया कि उसका उद्देश्य किसी भी रूप में उच्च न्यायालयों की उस शक्ति में हस्तक्षेप करना नहीं है, जिसके तहत वे जजों के लिए नामों की सिफारिश करते हैं। संविधान बेंच उच्च न्यायिक सेवा (HJS) में वरिष्ठता निर्धारण के लिए समान, राष्ट्रव्यापी मानदंड तैयार करने पर विचार कर रही है।
कई बार तो नहीं बन पाते डिस्ट्रिक्ट जज
सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य पर गौर किया कि अधिकांश राज्यों में सिविल जज (CJ) के रूप में भर्ती हुए ऑफिसर अक्सर प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट जज (PDJ) के पद तक नहीं पहुंच पाते, हाई कोर्ट के जज बनने की बात तो दूर है। इसके कारण कई प्रतिभाशाली युवा वकील न्यायिक सेवा में सिविल जज स्तर पर शामिल होने से हतोत्साहित हो जाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट से किया अनुरोधबुधवार को सीनियर वकील राकेश द्विवेदी इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से पेश हुए और कहा कि शीर्ष अदालत से एक समान वरिष्ठता ढांचा थोपने से बचने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह विषय उच्च न्यायालयों के विवेक पर छोड़ा जाना चाहिए, क्योंकि संविधान उन्हें अधीनस्थ न्यायपालिका के प्रशासन का अधिकार देता है।
कोर्ट को कमजोर करने का समय नहींउन्होंने कहा कि हाई कोर्ट अपने-अपने राज्यों की परिस्थितियों और तथ्यों से भली-भांति परिचित हैं। वे वरिष्ठता और पदोन्नति के मुद्दों से निपटने की सर्वोत्तम स्थिति में हैं। अब समय है उच्च न्यायालयों को मजबूत करने का, न कि उन्हें कमजोर करने का।
हस्तक्षेप का नहीं रखते इरादा
चीफ जस्टिस ने तब कहा कि कुछ हद तक एकरूपता होनी ही चाहिए। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम उच्च न्यायालयों के नाम अनुशंसा करने के विवेकाधिकार को नहीं छीनेंगे। लेकिन हर उच्च न्यायालय के लिए अलग नीति क्यों हो? हम प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उनके अधिकारों में हस्तक्षेप करने का इरादा नहीं रखते।
व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए करेंगे ये कामजस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि संभावित निर्देश आपसी वरिष्ठता विवादों से संबंधित नहीं होंगे, बल्कि पूरे देश में निष्पक्षता और समानता सुनिश्चित करने के लिए सामान्य सिद्धांत तय करेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि व्यक्तिगत वरिष्ठता विवादों को नहीं सुना जाएगा। यह केवल एक व्यापक और मार्गदर्शक ढांचा होगा। 14 अक्टूबर को, पीठ ने यह प्रश्न तैयार किया था कि“उच्च न्यायिक सेवा के संवर्ग में वरिष्ठता निर्धारित करने के लिए मानदंड क्या होना चाहिए?
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