संदीप तिवारी, लखनऊ: साइबर ठग तरह-तरह के तरीके अपनाकर लोगों को ठगने लगे हैं। खासकर सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप्स जैसे टेलीग्राम, इंस्टाग्राम आदि के जरिए ये ठग भोले-भाले लोगों को नौकरी, इनकम या क्रिप्टो ट्रेडिंग जैसे झूठे झाँसों में फंसा कर उनसे मोटी रकम ठग लेते हैं। ऐसे ही एक बड़े साइबर ठगी गिरोह का खुलासा लखनऊ पुलिस की साइबर क्राइम सेल ने किया है। पुलिस ने बुधवार को 8 शातिर अन्तर्राज्यीय साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है जो टेलीग्राम एप पर बने चाइनीज साइबर गिरोहों से जुड़े थे और पूरे देशभर में करोड़ों रुपये की ठगी को अंजाम दे चुके थे।
ऐसे करते थे ठगी
डीसीपी क्राइम कमलेश दीक्षित ने बताया कि गिरफ्तार किए गए ठग टेलीग्राम ऐप पर ऐसे ग्रुप जॉइन करते थे जिनमें चाइनीज साइबर ठग एक्टिव थे। जैसे – 32-105/1, 32-105/3, 32-105/5 PAYGir GO!" जैसे ग्रुप। चाइनीज ठग इन लोगों को निर्देश देते थे कि भारत में गरीब और बेरोजगार लोगों से संपर्क कर उनके नाम से बैंक अकाउंट खुलवाएं।
फिर उन बैंक खातों की पासबुक, चेकबुक, एटीएम कार्ड और नेटबैंकिंग की जानकारी लेकर चाइनीज ठगों को भेज दिया जाता था। जब इन खातों में ठगी की रकम आती थी, तो आरोपी तुरंत बैंक से एटीएम या चेक से पैसा निकाल लेते थे, ताकि खाते फ्रीज होने से पहले सारा पैसा निकल जाए। निकाली गई रकम का एक हिस्सा ये ठग कमीशन के रूप में अपने पास रखते थे और बाकी रकम को क्रिप्टोकरेंसी USDT में बदलकर चाइनीज ठगों को डिजिटल वॉलेट के जरिए भेज देते थे।
कमीशन और क्रिप्टो में लेन-देन
इन ठगों को साइबर ठगों द्वारा म्यूल अकाउंट्स (दूसरों के नाम पर खोले गए बैंक खाते) के बदले कमीशन मिलता था। बचे हुए पैसे से ये लोग खुद भी USDT (क्रिप्टोकरेंसी) खरीदते थे, ताकि आगे फिर ठगी के पैसे उसी तरीके से भेजे जा सकें।
पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इन आरोपियों का नेटवर्क कितने राज्यों तक फैला है और इनका सीधा संबंध किन-किन विदेशी अपराधियों से है। कई डिजिटल वॉलेट्स की जांच की जा रही है। वहीं पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि वे सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप्स पर किसी भी अनजान लिंक या लालच में न आएं और कोई भी बैंकिंग जानकारी किसी के साथ साझा न करें।
ऐसे करते थे ठगी
डीसीपी क्राइम कमलेश दीक्षित ने बताया कि गिरफ्तार किए गए ठग टेलीग्राम ऐप पर ऐसे ग्रुप जॉइन करते थे जिनमें चाइनीज साइबर ठग एक्टिव थे। जैसे – 32-105/1, 32-105/3, 32-105/5 PAYGir GO!" जैसे ग्रुप। चाइनीज ठग इन लोगों को निर्देश देते थे कि भारत में गरीब और बेरोजगार लोगों से संपर्क कर उनके नाम से बैंक अकाउंट खुलवाएं।
फिर उन बैंक खातों की पासबुक, चेकबुक, एटीएम कार्ड और नेटबैंकिंग की जानकारी लेकर चाइनीज ठगों को भेज दिया जाता था। जब इन खातों में ठगी की रकम आती थी, तो आरोपी तुरंत बैंक से एटीएम या चेक से पैसा निकाल लेते थे, ताकि खाते फ्रीज होने से पहले सारा पैसा निकल जाए। निकाली गई रकम का एक हिस्सा ये ठग कमीशन के रूप में अपने पास रखते थे और बाकी रकम को क्रिप्टोकरेंसी USDT में बदलकर चाइनीज ठगों को डिजिटल वॉलेट के जरिए भेज देते थे।
कमीशन और क्रिप्टो में लेन-देन
इन ठगों को साइबर ठगों द्वारा म्यूल अकाउंट्स (दूसरों के नाम पर खोले गए बैंक खाते) के बदले कमीशन मिलता था। बचे हुए पैसे से ये लोग खुद भी USDT (क्रिप्टोकरेंसी) खरीदते थे, ताकि आगे फिर ठगी के पैसे उसी तरीके से भेजे जा सकें।
पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इन आरोपियों का नेटवर्क कितने राज्यों तक फैला है और इनका सीधा संबंध किन-किन विदेशी अपराधियों से है। कई डिजिटल वॉलेट्स की जांच की जा रही है। वहीं पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि वे सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप्स पर किसी भी अनजान लिंक या लालच में न आएं और कोई भी बैंकिंग जानकारी किसी के साथ साझा न करें।
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