पटनाः मोकामा विधानसभा का चुनाव अब एक नई दिशा के साथ आगे बढ़ चला है। चुनावी मूड कल तक पार्टी या गठबंधन के सोशल इंजीनियरिंग आधारित था। अब यह चुनाव संपूर्ण रूप से सवर्ण बनाम पिछड़ा हो गया है। दिलचस्प तो यह है कि अब पार्टी या महागठबंधन के रणनीतिकार ही इस नई जंग के साथ नहीं खड़े है। अलग अलग दलों के नेता सामाजिक सद्भाव के स्लोगन के साथ जनता के बीच इस सुलगते मोकामा की आग बुझाने वह भी प्राथमिकता के साथ निकल पड़े।
मोकामा का चुनावी संग्राम का इतिहास
लगभग दो दशक पहले यानी 1980 से मोकामा विधानसभा से दबंग कांग्रेस के नेता श्याम सुंदर सिंह धीरज विधायक बने। 1985 में फिर कांग्रेसी नेता श्याम सुंदर सिंह धीरज ही विधायक रहे। 1990 के विधानसभा चुनाव में श्याम सुंदर सिंह धीरज के बाहुबली समर्थक दिलीप सिंह खुद विधायक बन गए। 1995 के विधानसभा में भी दिलीप सिंह की जीत हुई।
वर्ष 2000 में सूरजभान सिंह की एंट्री
अपराधियों के चुनाव में बढ़ती भागीदारी के बीच मोकामा विधानसभा में एक नए बाहुबली सूरजभान सिंह की एंट्री हुई। वर्ष 2000 के विधानसभा में सूरजभान सिंह ने राजद के दिलीप सिंह को हरा कर मोकामा का दूसरा बाहुबली विधायक के रूप दिया। वर्ष 2005 अक्टूबर में अनंत सिंह का प्रवेश हुआ। वर्ष 2005 के दोनों विधानसभा चुनाव में अनंत सिंह जदयू के टिकट से चुनाव लड़ा और विजय प्राप्त की।
वर्ष 2010 में भी जदयू की टिकट पर ही अनंत सिंह ने जीत दर्ज की। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में अनंत सिंह निर्दलीय जीते। वर्ष 2020 का विधानसभा अनंत सिंह ने राजद के टिकट पर जीती। वर्ष 2022 में जब उप चुनाव हुए तो राजद से ही अनंत सिंह की पत्नी विधायक बनी। अब वर्ष 2025 का विधानसभा चुनाव सामने है। इस चुनाव में राजद से सूरजभान सिंह और जदयू से अनंत सिंह के बीच आमने सामने की टक्कर है।
मोकामा का चुनावी समीकरण
मोकामा का चुनावी समीकरण पहले महागठबंधन और एनडीए आधारित था। जिस गठबंधन से नेता चुनावी जंग में उतरते उनके चुनावी समीकरण अलग अलग होते। एनडीए नेताओं का आधार वोट सवर्ण, वैश्य,कुशवाहा,कुर्मी और कुशवाहा मुख्य रूप से होते। वही महागठबंधन का आधार वोट यादव ,मुस्लिम,अन्य पिछड़ा और कुछ दलित भी हैं। वर्ष 2020 विधानसभा के चुनाव में जरूर पासवान वोट एनडीए खास कर जदयू के विरुद्ध पड़ा। यादवों के नेता दुलारचंद यादव की हत्या के बाद मोकामा का चुनाव जो त्रिकोणात्मक संघर्ष की और जा रहा था वह अब सीधी टक्कर की राह पर उतर चला है। अब इस सवर्ण बनाम पिछड़ी जाति के रण में निर्णायक धानुक ,कुर्मी और दलित के मत बन गए हैं।
सामाजिक सद्भाव कैंपेन शुरू
चुनावी जंग के बीच मोकामा में अचानक सामाजिक सद्भाव का मिशन प्राथमिकता ले रहा है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी मोकामा की सीधी लड़ाई को गठबंधन के जातीय समीकरण की तरफ मोड़ने में लग गए है। वहीं भाजपा के प्रवक्ता डॉ. रामसागर सिंह मोकामा विधानसभा में एक तरह से कैंप कर हर जाति के लोगों के बीच आपसी सामंजस्य बिठाने की बात कर रहे है। पार्टी से मिले निर्देश के बाद डॉ. रामसागर सिंह मैन टू मैन मिलकर जातीय तनाव को कम करने में लगे हैं।
वैसे भी मोकामा में राजद का जिताऊ समीकरण सूरजभान के नाम पर भूमिहार ,राजद और अन्य पिछड़ा के साथ पासवान माइनस दलित वोट का ध्रुवीकरण है। एनडीए का चुनावी समीकरण सवर्ण, वैश्य, पासवान और अति पिछड़ा वोट है।
मोकामा का चुनावी संग्राम का इतिहास
लगभग दो दशक पहले यानी 1980 से मोकामा विधानसभा से दबंग कांग्रेस के नेता श्याम सुंदर सिंह धीरज विधायक बने। 1985 में फिर कांग्रेसी नेता श्याम सुंदर सिंह धीरज ही विधायक रहे। 1990 के विधानसभा चुनाव में श्याम सुंदर सिंह धीरज के बाहुबली समर्थक दिलीप सिंह खुद विधायक बन गए। 1995 के विधानसभा में भी दिलीप सिंह की जीत हुई।
वर्ष 2000 में सूरजभान सिंह की एंट्री
अपराधियों के चुनाव में बढ़ती भागीदारी के बीच मोकामा विधानसभा में एक नए बाहुबली सूरजभान सिंह की एंट्री हुई। वर्ष 2000 के विधानसभा में सूरजभान सिंह ने राजद के दिलीप सिंह को हरा कर मोकामा का दूसरा बाहुबली विधायक के रूप दिया। वर्ष 2005 अक्टूबर में अनंत सिंह का प्रवेश हुआ। वर्ष 2005 के दोनों विधानसभा चुनाव में अनंत सिंह जदयू के टिकट से चुनाव लड़ा और विजय प्राप्त की।
वर्ष 2010 में भी जदयू की टिकट पर ही अनंत सिंह ने जीत दर्ज की। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में अनंत सिंह निर्दलीय जीते। वर्ष 2020 का विधानसभा अनंत सिंह ने राजद के टिकट पर जीती। वर्ष 2022 में जब उप चुनाव हुए तो राजद से ही अनंत सिंह की पत्नी विधायक बनी। अब वर्ष 2025 का विधानसभा चुनाव सामने है। इस चुनाव में राजद से सूरजभान सिंह और जदयू से अनंत सिंह के बीच आमने सामने की टक्कर है।
मोकामा का चुनावी समीकरण
मोकामा का चुनावी समीकरण पहले महागठबंधन और एनडीए आधारित था। जिस गठबंधन से नेता चुनावी जंग में उतरते उनके चुनावी समीकरण अलग अलग होते। एनडीए नेताओं का आधार वोट सवर्ण, वैश्य,कुशवाहा,कुर्मी और कुशवाहा मुख्य रूप से होते। वही महागठबंधन का आधार वोट यादव ,मुस्लिम,अन्य पिछड़ा और कुछ दलित भी हैं। वर्ष 2020 विधानसभा के चुनाव में जरूर पासवान वोट एनडीए खास कर जदयू के विरुद्ध पड़ा। यादवों के नेता दुलारचंद यादव की हत्या के बाद मोकामा का चुनाव जो त्रिकोणात्मक संघर्ष की और जा रहा था वह अब सीधी टक्कर की राह पर उतर चला है। अब इस सवर्ण बनाम पिछड़ी जाति के रण में निर्णायक धानुक ,कुर्मी और दलित के मत बन गए हैं।
सामाजिक सद्भाव कैंपेन शुरू
चुनावी जंग के बीच मोकामा में अचानक सामाजिक सद्भाव का मिशन प्राथमिकता ले रहा है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी मोकामा की सीधी लड़ाई को गठबंधन के जातीय समीकरण की तरफ मोड़ने में लग गए है। वहीं भाजपा के प्रवक्ता डॉ. रामसागर सिंह मोकामा विधानसभा में एक तरह से कैंप कर हर जाति के लोगों के बीच आपसी सामंजस्य बिठाने की बात कर रहे है। पार्टी से मिले निर्देश के बाद डॉ. रामसागर सिंह मैन टू मैन मिलकर जातीय तनाव को कम करने में लगे हैं।
वैसे भी मोकामा में राजद का जिताऊ समीकरण सूरजभान के नाम पर भूमिहार ,राजद और अन्य पिछड़ा के साथ पासवान माइनस दलित वोट का ध्रुवीकरण है। एनडीए का चुनावी समीकरण सवर्ण, वैश्य, पासवान और अति पिछड़ा वोट है।
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