राजेश पोद्दार, नरेला: नरेला मेन बाजार और उसके आसपास की सड़कों पर में ट्रैफिक का दबाव दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। इस समस्या को देखते हुए मास्टर प्लान में सालों पहले यहां बाइपास रोड बनाने की जरूरत बताई गई थी, लेकिन आज तक उस पर अमल नहीं हो सका है। यहां की स्थानीय आरडब्ल्यूए सामाजिक संस्थाएं व रेजिडेंट्स साल 2010 से ही दिल्ली सरकार, केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय, डीडीए सहित अन्य अधिकारियों से इस समस्या के समाधान की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पीक आवर्स में नरेला मेन मार्केट से निकलना बेहद मुश्किल हो जाता है। आए दिन लगने वाले जाम से परेशान होकर लोग घंटों तक सड़क पर फंसे रहते हैं।
क्या था मास्टर प्लान
जानकारी के मुताबिक, मास्टर प्लान में जिस बाईपास रोड का जिक्र किया गया था, वह एनएच-1, जोकि अब एनएच 44 सिंधु बॉर्डर को प्याऊ मनियारी, सबोली, सफियाबाद, लामपुर और बवाना रोड से जोड़ने वाली सड़क होगी। इस रोड के बनने के बाद एनएच-44 से आने वाली गाड़ियां नरेला मेन मार्केट में दाखिल हुए बिना सीधे बवाना, औचंदी बॉर्डर, सोनीपत, और खरखौदा की ओर जा सकेंगी।
जाम से कई समस्याएं
फेडरेशन ऑफ नरेला सबसिटी के प्रधान जोगिंदर दहिया ने बताया कि ट्रैफिक जाम की वजह से कई बार एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और पुलिस की गाड़ियां भी फंस जाती हैं। स्थानीय निवासी लक्ष्मण आर्य बताते हैं कि सड़कों का विस्तार नहीं हुआ। कई बार एंबुलेंस रास्ते में ही फंस जाती है। लोगों का कहना है कि संबंधित विभाग बाईपास रोड निर्माण को प्राथमिकता में रखकर जल्द से जल्द इसे हकीकत में बदलें।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पीक आवर्स में नरेला मेन मार्केट से निकलना बेहद मुश्किल हो जाता है। आए दिन लगने वाले जाम से परेशान होकर लोग घंटों तक सड़क पर फंसे रहते हैं।
क्या था मास्टर प्लान
जानकारी के मुताबिक, मास्टर प्लान में जिस बाईपास रोड का जिक्र किया गया था, वह एनएच-1, जोकि अब एनएच 44 सिंधु बॉर्डर को प्याऊ मनियारी, सबोली, सफियाबाद, लामपुर और बवाना रोड से जोड़ने वाली सड़क होगी। इस रोड के बनने के बाद एनएच-44 से आने वाली गाड़ियां नरेला मेन मार्केट में दाखिल हुए बिना सीधे बवाना, औचंदी बॉर्डर, सोनीपत, और खरखौदा की ओर जा सकेंगी।
जाम से कई समस्याएं
फेडरेशन ऑफ नरेला सबसिटी के प्रधान जोगिंदर दहिया ने बताया कि ट्रैफिक जाम की वजह से कई बार एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और पुलिस की गाड़ियां भी फंस जाती हैं। स्थानीय निवासी लक्ष्मण आर्य बताते हैं कि सड़कों का विस्तार नहीं हुआ। कई बार एंबुलेंस रास्ते में ही फंस जाती है। लोगों का कहना है कि संबंधित विभाग बाईपास रोड निर्माण को प्राथमिकता में रखकर जल्द से जल्द इसे हकीकत में बदलें।
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