नई दिल्ली : भारत का सच्चा और भरोसेमंद दोस्त एक बार फिर रूस ही साबित हुआ है। रूस ने एक बार फिर बड़े काम के लिए भारत से हाथ मिलाया है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और रूस के यूनाइटेड एयरक्रॉफ्ट कॉरपोरेशन (UAC) ने बीते 27 अक्टूबर को रूस की राजधानी मॉस्को में मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग पर दस्तखत किए हैं। यह समझौता भारत में रूसी SJ-100 पैसेंजर जेट्स बनाने के लिए हुआ है। माना जा रहा है कि इससे अमेरिका को एक बार फिर मिर्ची लग सकती है, क्योंकि रूसी तेल न खरीदने का दबाव डालने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को यह बात अखर सकती है कि अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग का एकाधिकार छिन सकता है, जो भारत में बड़ी संख्या में यात्री विमान मुहैया कराती है।
किस तरह का होगा यह एयरक्रॉफ्ट
डिफेंस डॉट इन की एक रिपोर्ट के अनुसार, HAL और UAC का यह विमान सुखोई सुपरजेट 100 का ही रिवाज्ड मॉडल होगा। इसे रीइंजीनियर्ड करके बनाया जाएगा, जिसमें रूसी कलपुर्जे लगे होंगे। खास तौर पर इसमें PD-8 इंजन लगाए जाएंगे। ऐसा अमेरिकी पाबंदियों को दरकिनार कर किया जाएगा। यह नागरिक के साथ-साथ सैन्य विमान के रूप में भी जरूरत पड़ने पर थोड़े बदलाव के साथ काम कर सकेगा। इतना तो तय है कि इस डील से चीन और पाकिस्तान को भी टेंशन जरूर होगी।
गेमचेंजर साबित होने वाली है यह डील
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत और रूस के बीच यह डील गेमचेंजर साबित होने वाली है। इससे भारत पूरी तरह से नागरिक विमान बनाने में सक्षम होगा। ऐसा 1980 के बाद पहली बार होगा, जब AVRO HS-748 प्रोग्राम चलाया गया था।
भारत की उड़ान को लगेंगे पंख
दोनों देशों के बीच इस डील का मकसद प्राइमरी स्तर पर भारत के मार्केट में बूस्ट लाना है। इससे भारत की UDAN यानी उड़ान स्कीम को भी गति मिलेगी। इसमें 75 से लेकर 100 सीटें होने की उम्मीद जताई जा रही है, जो एक उड़ान में 3,000-4,000 किलोमीटर तक का सफर कर सकेगा। इससे टियर-2 और टियर-3 शहरों के लिए विमान सेवा के विस्तार में और तेजी आएगी।
अमेरिकी कंपनी पर घटेगी निर्भरता
हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी आत्मनिर्भर भारत के लिए इस डील को बड़ा कदम बताया है। दरअसल, इस डील से नागरिक विमान बनाने वाली पश्चिम की कंपनियों बोइंग और एयरबस पर भारत की निर्भरता और घट जाएगी। भारत में इन दोनों कंपनियों के यात्री विमानों की हिस्सेदारी करीब 90 फीसदी है।
क्या इस डील का कोई सैन्य अहमियत है
SJ-100 यात्री विमानों की भूमिका के अलावा भारत की महत्वपूर्ण रणनीतिक सैन्य जरूरतों को भी पूरा करेगा। इस विमान की खासियत यह होगी कि इसे युद्ध के समय लड़ाकू विमानों में बदला जा सकेगा। यही खूबी इस डील को बेहद अहम बनाती है।
DRDO बनाएगा सुखोई सुपरजेट का लड़ाकू अवतार
इस सुखोई सुपर जेट अपने बदले अवतार में इंटेलीजेंस, सर्विलांस और रिकॉनैसेंस (ISR) और एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल(AEW&C) नेत्र की तरह भी काम कर सकेगा। इसके अलावा, यह नौसेना के लिए पूरे समंदर की निगरानी में भी काम आएगा। इसके लड़ाकू अवतार को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) विकसित करेगा।
किस तरह का होगा यह एयरक्रॉफ्ट
डिफेंस डॉट इन की एक रिपोर्ट के अनुसार, HAL और UAC का यह विमान सुखोई सुपरजेट 100 का ही रिवाज्ड मॉडल होगा। इसे रीइंजीनियर्ड करके बनाया जाएगा, जिसमें रूसी कलपुर्जे लगे होंगे। खास तौर पर इसमें PD-8 इंजन लगाए जाएंगे। ऐसा अमेरिकी पाबंदियों को दरकिनार कर किया जाएगा। यह नागरिक के साथ-साथ सैन्य विमान के रूप में भी जरूरत पड़ने पर थोड़े बदलाव के साथ काम कर सकेगा। इतना तो तय है कि इस डील से चीन और पाकिस्तान को भी टेंशन जरूर होगी।
गेमचेंजर साबित होने वाली है यह डील
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत और रूस के बीच यह डील गेमचेंजर साबित होने वाली है। इससे भारत पूरी तरह से नागरिक विमान बनाने में सक्षम होगा। ऐसा 1980 के बाद पहली बार होगा, जब AVRO HS-748 प्रोग्राम चलाया गया था।
भारत की उड़ान को लगेंगे पंख
दोनों देशों के बीच इस डील का मकसद प्राइमरी स्तर पर भारत के मार्केट में बूस्ट लाना है। इससे भारत की UDAN यानी उड़ान स्कीम को भी गति मिलेगी। इसमें 75 से लेकर 100 सीटें होने की उम्मीद जताई जा रही है, जो एक उड़ान में 3,000-4,000 किलोमीटर तक का सफर कर सकेगा। इससे टियर-2 और टियर-3 शहरों के लिए विमान सेवा के विस्तार में और तेजी आएगी।
अमेरिकी कंपनी पर घटेगी निर्भरता
हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी आत्मनिर्भर भारत के लिए इस डील को बड़ा कदम बताया है। दरअसल, इस डील से नागरिक विमान बनाने वाली पश्चिम की कंपनियों बोइंग और एयरबस पर भारत की निर्भरता और घट जाएगी। भारत में इन दोनों कंपनियों के यात्री विमानों की हिस्सेदारी करीब 90 फीसदी है।
क्या इस डील का कोई सैन्य अहमियत है
SJ-100 यात्री विमानों की भूमिका के अलावा भारत की महत्वपूर्ण रणनीतिक सैन्य जरूरतों को भी पूरा करेगा। इस विमान की खासियत यह होगी कि इसे युद्ध के समय लड़ाकू विमानों में बदला जा सकेगा। यही खूबी इस डील को बेहद अहम बनाती है।
DRDO बनाएगा सुखोई सुपरजेट का लड़ाकू अवतार
इस सुखोई सुपर जेट अपने बदले अवतार में इंटेलीजेंस, सर्विलांस और रिकॉनैसेंस (ISR) और एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल(AEW&C) नेत्र की तरह भी काम कर सकेगा। इसके अलावा, यह नौसेना के लिए पूरे समंदर की निगरानी में भी काम आएगा। इसके लड़ाकू अवतार को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) विकसित करेगा।
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