सीकर: राजस्थान की राजनीति में थप्पड़ कांड के लेकर सुर्खियों में आए चर्चित नेता नरेश मीणा अब पूरी तरह बदल चुके हैं । कम से कम ऐसा वो खुद कह रहे हैं। 8 महीने की जेल यात्रा पूरी करने के बाद नरेश मीणा मंगलवार को सपरिवार खाटू श्याम जी धाम पहुंचे और बाबा के दरबार में शीश नवाया। मीणा ने चांदी का छत्र और निशान बाबा श्याम को भेंट किया। साथ ही मंदिर कमेटी की मौजूदगी में विधिवत पूजा-अर्चना की। उन्होंने खुद को 'बाबा श्याम का भक्त' बताते हुए कहा— 'जो कुछ भी आज हूं, वह बाबा की कृपा और जनता के प्यार की वजह से हूं। विधायक बनकर भी इतना सम्मान नहीं मिलता, जितना अब मिल रहा है।'
थप्पड़कांड पर पहली बार खुलकर बोले मीणा
खाटू में मीडिया से रूबरू होते हुए नरेश मीणा ने 13 नवंबर 2024 को टोंक के समरावता गांव में हुए 'थप्पड़कांड' और हिंसा को लेकर कहा कि 'वह एक दुर्भाग्यपूर्ण क्षण था, उस वक्त परिस्थितियां ऐसी बनीं कि मैं आवेश में आ गया। मुझे अफसोस है'। गौरतलब है कि उपचुनाव प्रचार के दौरान मीणा ने मंच पर ही एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया था, जिसके बाद टोंक जिले के समरावता में हिंसा भड़क गई थी और उन्हें 8 महीने तक टोंक जेल में रहना पड़ा।
'बड़ा पद नहीं मिला तो दुखी था'
राजनीतिक भविष्य को लेकर पूछे सवाल पर मीणा ने कहा— 'मैं 25 साल से राजनीति में हूं। चाहता था बड़ा पद मिले, लेकिन नहीं मिला। हताश था, लेकिन अब लगता है बाबा ने मेरे लिए कुछ बड़ा सोचा है'। उन्होंने बताया कि वे जेल से रिहा होने के बाद सीधे बाबा श्याम के दरबार में आए हैं। आपको बताते चले कि 4 जुलाई को जमानत मिली और 15 जुलाई को बाबा के दरबार में हाजिरी लगाई है।
नरेश मीणा ने कहा कि वे 20-25 साल से राजनीतिक जीवन में हूं। मैं उम्मीद करता था कि मुझे बड़ा पद मिले, लेकिन वह नहीं मिल पा रहा था। इसके बाद में निराश हो गया था। फिर मैंने सोचा कि बाबा श्याम के दरबार में धोक लगानी चाहिए। इस घटना से पहले मैं यहां आया था और मेरा टिकट कट गया और सारे घटनाक्रम हुए।
'जनता का प्यार मेरे लिए सबसे बड़ा मुकाम'
मीणा ने कहा—'मुझे जो जनता का प्यार और सम्मान मिला है, वह किसी भी कुर्सी से बड़ा है। अब मैं जीवन भर जनता के बीच रहकर उनके हक की लड़ाई लड़ूंगा।' उन्होंने आगे कहा, 'बाबा श्याम ने मेरी अरदास सुनी, उनकी कृपा से ही आज मैं बाहर हूं। उन्होंने जो शक्ति दी है, अब उसका उपयोग मैं जनता के हित में करूंगा।'
'खाटू बाबा ने जमानत दिलाई, अब मैं हर जरूरतमंद के साथ हूं' - नरेश मीणा
बाबा श्याम के दरबार में श्रद्धा से झुके मीणा के शब्दों ने साफ कर दिया कि थप्पड़ कांड के बाद उनका अगला एजेंडा जनता की सेवा और राजनीतिक पुनर्वास है। अब देखना यह होगा कि बाबा श्याम का यह 'भक्त' भविष्य में क्या वाकई राजनीति में नई लकीर खींचता है या फिर यह भी सिर्फ एक और सियासी इमोशनल ड्रामा बनकर रह जाएगा।
थप्पड़कांड पर पहली बार खुलकर बोले मीणा
खाटू में मीडिया से रूबरू होते हुए नरेश मीणा ने 13 नवंबर 2024 को टोंक के समरावता गांव में हुए 'थप्पड़कांड' और हिंसा को लेकर कहा कि 'वह एक दुर्भाग्यपूर्ण क्षण था, उस वक्त परिस्थितियां ऐसी बनीं कि मैं आवेश में आ गया। मुझे अफसोस है'। गौरतलब है कि उपचुनाव प्रचार के दौरान मीणा ने मंच पर ही एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया था, जिसके बाद टोंक जिले के समरावता में हिंसा भड़क गई थी और उन्हें 8 महीने तक टोंक जेल में रहना पड़ा।
'बड़ा पद नहीं मिला तो दुखी था'
राजनीतिक भविष्य को लेकर पूछे सवाल पर मीणा ने कहा— 'मैं 25 साल से राजनीति में हूं। चाहता था बड़ा पद मिले, लेकिन नहीं मिला। हताश था, लेकिन अब लगता है बाबा ने मेरे लिए कुछ बड़ा सोचा है'। उन्होंने बताया कि वे जेल से रिहा होने के बाद सीधे बाबा श्याम के दरबार में आए हैं। आपको बताते चले कि 4 जुलाई को जमानत मिली और 15 जुलाई को बाबा के दरबार में हाजिरी लगाई है।
नरेश मीणा ने कहा कि वे 20-25 साल से राजनीतिक जीवन में हूं। मैं उम्मीद करता था कि मुझे बड़ा पद मिले, लेकिन वह नहीं मिल पा रहा था। इसके बाद में निराश हो गया था। फिर मैंने सोचा कि बाबा श्याम के दरबार में धोक लगानी चाहिए। इस घटना से पहले मैं यहां आया था और मेरा टिकट कट गया और सारे घटनाक्रम हुए।
'जनता का प्यार मेरे लिए सबसे बड़ा मुकाम'
मीणा ने कहा—'मुझे जो जनता का प्यार और सम्मान मिला है, वह किसी भी कुर्सी से बड़ा है। अब मैं जीवन भर जनता के बीच रहकर उनके हक की लड़ाई लड़ूंगा।' उन्होंने आगे कहा, 'बाबा श्याम ने मेरी अरदास सुनी, उनकी कृपा से ही आज मैं बाहर हूं। उन्होंने जो शक्ति दी है, अब उसका उपयोग मैं जनता के हित में करूंगा।'
'खाटू बाबा ने जमानत दिलाई, अब मैं हर जरूरतमंद के साथ हूं' - नरेश मीणा
बाबा श्याम के दरबार में श्रद्धा से झुके मीणा के शब्दों ने साफ कर दिया कि थप्पड़ कांड के बाद उनका अगला एजेंडा जनता की सेवा और राजनीतिक पुनर्वास है। अब देखना यह होगा कि बाबा श्याम का यह 'भक्त' भविष्य में क्या वाकई राजनीति में नई लकीर खींचता है या फिर यह भी सिर्फ एक और सियासी इमोशनल ड्रामा बनकर रह जाएगा।
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