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हमले के बाद CM रेखा गुप्ता को मिल सकती है Z+ सुरक्षा, जानिए अभी कैसी है सिक्योरिटी की व्यवस्था

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नई दिल्लीः सीएम की सुरक्षा में यह चूक का मामला तूल पकड़ रहा है। सवाल है कि 2 कैटेगरी की सुरक्षा होने के बावजूद सीएम रेखा गुप्ता पर हमला कैसे हो गया। जानकार बता रहे हैं कि जनसुनवाई के दौरान सीएम का सीधे जनता से संवाद होता है। हर फरियादी को सुरक्षा उपकरणों से जांच, पूरी तलाशी के बाद ही अंदर जाने दिया जाता है। 24 घंटे पिकेट के अलावा एक्स रे स्कैनर, मेटल डिटेक्टर, सीसीटीवी कैमरों से निगरानी के लिए पुलिस की टीम अलग तैनात रहती है। पीसीआर की गाड़ी के अलावा लोकल पुलिस लगातार वहां पेट्रोलिंग करती रहती है।



सुरक्षा में भारी चूक माना जा रहा

ऐसे में जनसुनवाई के दौरान अचानक हुए इस हमले को रोक पाना या फिर इसे पहले से भांपना सुरक्षा में तैनात जवानों के लिए मुमकिन नहीं था। हालांकि बुधवार को सीएम पर हुए हमले को सुरक्षा में भारी चूक माना जा रहा है। दरअसल, सीएम का पहला सुरक्षा घेरा इनर कॉर्डन का होता है, इसमें दो से तीन जवान सीएम के नजदीक रहकर उनको सुरक्षा घेरा देते है।




सुरक्षा दस्ता 20 से अधिक रहता है जवानों का

सीएम रेखा के साथ दिल्ली पुलिस का महिला सुरक्षा दस्ता होता है। इनके पास हथियारों के अलावा वायरलैस सेट भी रहता है। दूसरा घेरा मिडिल कोर्डन का होता है। इसके तहत चार से छह जवान सीएम से थोड़ी दूर पर रहते है। सीएम का पूरा सुरक्षा दस्ता 20 से अधिक जवानों का रहता है। सभी जवानों के पास एमपी-5 मशीन गन के अलावा ग्लॉक पिस्टल व 9 एमएम की पिस्टल होती हैं। इन जवानों का काम भीड़ को नियंत्रित करना होता है।



24 घंटे सीएम आवास के आसपास जवानों की घेराबंदी रहती है

इसके अलावा यह संदिग्ध लोगों पर नजर भी रखते हैं। तीसरे घेरे में मुख्यमंत्री के लिए आउटर कॉर्डन के तहत 15 सुरक्षा जवान रहते है। इनका काम क्राउड कंट्रोल, ट्रैफिक कंट्रोल, एंट्री-एग्जिट को देखना होता है। मुख्यमंत्री आवास के बाहर भी सुरक्षा का कड़ा पहरा रहता है। बाकी जवानों की तैनाती एस्कॉर्ट ड्यूटी, पायलट कार, शैडो कमांडो, स्थायी पिकेट पर रहती है। 24 घंटे सीएम आवास के आसपास जवानों की घेराबंदी रहती है।

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