पांढुर्नाः जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पहलगाम में मंगलवार की दोपहर आतंकी हमला हुआ। इस हमले में 27 लोगों की हुई निर्मम ने हत्या ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। लेकिन इसी दौरान पांढुर्णा का परिवार काफी लकी रहा। वह घटना के कुछ मिनट पहले ही वहां से अपने होटल के लिए निकला था। ये परिवार शंकर नगर निवासी गुलशन मदान का है।गुलशन मदान ने बताया कि वो सभी परिवार के 7 सदस्य उस जगह से महज 16 मिनट पहले ही रवाना हुए थे। एक तरफ खूबसूरत वादियों में प्रकृति का सौंदर्य था। वहीं, दूसरी ओर एक ऐसा खौफनाक मंजर जिसकी आहट ने उन्हें जीवन भर की याद दे दी। घोड़े वाले ने बता दिया था कि कुछ गड़बड़ है, ऊपर फायरिंग हो रही है। इतना बड़ा आतंकी हमला हुआ है किसी को नहीं पता था। घोड़े पर सवार होकर बढ़े, गोलियों की आई आवाजगुलशन मदान अपने परिवार के साथ वैष्णो देवी दर्शन के बाद पहलगाम घूमने पहुंचे थे। मंगलवार की दोपहर लगभग 2:30 बजे के आसपास, वे सभी घोड़े पर सवार होकर होटल से बाहर निकले। तभी कुछ ही दूरी पर गोलियों की आवाजें गूंजने लगी। फायरिंग सुनते ही सबके दिल की धड़कनें तेज हो गईं। लेकिन उस वक्त कोई रुकने की हिम्मत नहीं जुटा सका। 'हमने बस इतना सुना- गोलियां चल रही हैं, और आगे जंगल का दुर्गम रास्ता है। डर के मारे हम बस चलते रहे, कोई ने मुड़कर नहीं देखा। होटल में पहुंचते ही मिली जानकारीपहाड़ों के दुर्गम रास्ते से होते हुए हम किसी तरह अपने होटल पहुंचे। वहां पहुंचते ही इस भयावह आतंकी हमले की जानकारी मिली। हम सभी डर गए और अपने होटल रूम में सुबह होने का इंतजार करते रहे। परिवार के सभी 7 सदस्य पहलगाम के एक होटल के कमरे में मंगलवार से लेकर बुधवार की सुबह करीब 14 घंटे तक दहशत के साए में रहे। परिजनों ने मोबाइल पर पल-पल की जानकारी लीजैसे ही उन्हें फायरिंग की जानकारी मिली। मदान परिवार के पांढुर्णा में रह रहे परिजनों ने मोबाइल फोन पर संपर्क साधा और पल-पल की जानकारी लेते रहे। नेटवर्क की सीमाओं के बीच कभी आवाज आ रही थी, कभी नहीं। लेकिन सभी के मन में बस एक ही प्रार्थना थी। वो दहशत के 14 घंटेफायरिंग के बाद का सन्नाटा भी भयावह था। मदान परिवार पास के एक होटल में लौट आया और मंगलवार दोपहर से लेकर बुधवार सुबह 5 बजे तक वे सभी एक ही कमरे में बंद रहे। बाहर झांक कर देखा तो पूरा इलाका आर्मी से घिरा हुआ था। सड़कों पर सन्नाटा रहा। हर गली, हर मोड़ पर हथियारों से लैस जवान।' उन 14 घंटों में किसी की आंख नहीं लगी। बच्चे सहमे हुए थे, महिलाएं प्रार्थना कर रही थीं और पुरुष चिंता में थे कि अब अगला कदम क्या होगा। बुधवार शाम को पांढुर्णा के लिए रवानाकाफी मशक्कत और सुरक्षा इंतजामों के बीच बुधवार की शाम 5 बजे के करीब मदान परिवार जम्मू तक सुरक्षित निकल सका। वहां से वे सभी पांढुर्णा के लिए रवाना हो गए।
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