शनि रत्न नीलम के दोष
- नीलम के रंग संबंधी दोष- नीलम एक वर्णीय अर्थात् नीलम में एक से अधिक रंग नहीं होने चाहिए। नीलम में अन्य रंग के धब्बे एवं लकीर नहीं होने चाहिए। श्याम और रक्तिम आभा युक्त नीलम दोषपूर्ण माना गया है। सामान्य रूप इसे धारण नहीं करना चाहिए। सम्पूर्ण नीलम रत्न में एक समान रंग होना चाहिए। कहीं कम कहीं ज्यादा रंग न हो, जिस नीलम में दो रंग दिखाई दें, वह सन्तान एवं पत्नी के लिए कष्टदायक होता है और शत्रुओं की वृद्धि करता है। यदि नीलम में कहीं हल्का कहीं गहरा रंग हो तो उसे भूलकर भी न खरीदें क्योंकि ऐसा नीलम बुद्धि-विवेक को नष्ट करता है, ऐसे दोषपूर्ण नीलम को धारण नहीं करना चाहिए।
- बिना चमक का नीलम- जो नीलम कान्तिहीन हो एवं उसमें से रश्मियां ना फूटें, ऐसे नीलम को धारण न करें क्योंकि आभा (चमक) रहित नीलम प्रभावहीन व मित्र-बन्धु नाशक होता है। ऐसा नीलम ‘सुन्न’ कहलाता है।
- दूधिया नीलम- जो नीलम दूधिया रंग लिए होता है, वह दरिद्रता कारक एंव कुल की लक्ष्मी का नाशक होता है। ऐसा नीलम अगर मुफ्त में भी मिले तो नहीं लेना चाहिए।
- जाल एवं गढ्ढेदार नीलम- नीलम खरीदते समय उस पर पड़े जाल एवं गढ्ढों पर भी ध्यान देना चाहिए। जाल जैसे चिन्ह वाला नीलम, धारण करने वाले को रोगी बनाता है और गढ्ढेदार नीलम शत्रुभय बढ़ाता है। इसी प्रकार चीरा या क्रॉस युक्त नीलम दरिद्रता बढ़ाता है। यदि नीलम में सफेद लाइन या धारी-सी दिखाई पड़े तो ऐसा नीलम शारीरिक पीड़ा व मृत्यु तुल्य कष्ट देता है।
- खूनी नीलम- नीलम में लाल रंग का बिन्दु, छींट या धब्बा होने पर वह दोषी नीलम, खूनी नीलम कहलाता है। ऐसा नीलम प्राण घातक होता है, हत्या करवाता है या आत्महत्या की ओर प्रेरित करता है। केवल जन्म कुण्डली में एक विशेष योग एवं परिस्थिति में यह नीलम लाखों में से एक व्यक्ति को पहनाया जाता है, अतरू भूलकर भी खूनी नीलम धारण नहीं करना चाहिए।
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