नई दिल्ली: भारत और सऊदी अरब के बीच रिश्ते और भी मजबूत होने वाले हैं। भारत सरकार ने सऊदी अरब के सॉवरेन वेल्थ फंड को कुछ खास नियमों से छूट देने का फैसला किया है। इससे सऊदी अरब भारत में और ज्यादा निवेश कर पाएगा। सऊदी अरब की कंपनियों का काफी पैसा मुकेश अंबानी की कंपनियों में लगा हुआ है।
अभी के नियम के अनुसार, अगर कोई विदेशी कंपनी भारत में निवेश करती है, तो उसके अलग-अलग हिस्सों से आने वाले निवेश को एक ही माना जाता है। एक कंपनी में निवेश की सीमा 10% तय की गई है। इस नियम की वजह से सऊदी अरब के पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड (PIF) की अलग-अलग कंपनियां भारत में ज्यादा निवेश नहीं कर पा रही थीं। भारत के इस कदम से चीन और पाकिस्तान को मिर्ची लगेगी। क्योंकि दोनों देश भी सऊदी अरब के साथ अपने आर्थिक रिश्ते और बेहतर चाहते हैं।
लेकिन यहां बाजी भारत मारता दिखाई दे रहा है।
अब क्या होगा?भारत सरकार ने सऊदी अरब के पीआईएफ को इस नियम से छूट दे दी है। इसका मतलब है कि पीआईएफ की अलग-अलग कंपनियां अब भारत में अलग-अलग निवेश कर पाएंगी। इससे उनके लिए भारतीय शेयर बाजार में पैसा लगाना आसान हो जाएगा।
भारत चाहता है कि सऊदी अरब भारत में ज्यादा निवेश करे। सऊदी अरब के पास बहुत पैसा है और भारत को विकास के लिए उस पैसे की जरूरत है। सऊदी अरब भी चाहता है कि वह भारत जैसे तेजी से बढ़ते देशों में निवेश करे। सऊदी अरब 'विजन 2030' के तहत अपनी अर्थव्यवस्था को तेल पर निर्भरता से हटाना चाहता है।
दोनों देशों के बीच क्या बात हुई?अप्रैल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब गए थे। वहां दोनों देशों ने मिलकर ऊर्जा, इंफ्रास्ट्रक्चर और दवा जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने पर सहमति जताई थी। भारत और सऊदी अरब एक द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) पर भी बातचीत कर रहे हैं।
रॉयटर्स की खबर के मुताबिक एक सूत्र ने बताया कि अलग-अलग सॉवरेन संस्थाओं से निवेश को एक साथ मिलाने की शर्त के कारण सऊदी फंड और उसकी सहायक कंपनियों की स्वतंत्र रूप से निवेश करने की क्षमता सीमित हो जाती है।
क्या है पीआईएफ?पीआईएफ दुनिया के सबसे बड़े सॉवरेन वेल्थ फंड में से एक है। इसके पास लगभग 925 अरब डॉलर की संपत्ति है। फिलहाल पीआईएफ ने भारत में मुकेश अंबानी की कंपनी जियो प्लेटफॉर्म्स में 1.5 अरब डॉलर और रिलायंस रिटेल में 1.3 अरब डॉलर का निवेश किया है।
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है। वह चाहता है कि तेल से भरपूर खाड़ी देशों से लंबे समय के लिए निवेश आए। वहीं, सऊदी अरब अपनी 'विजन 2030' योजना के तहत तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में निवेश बढ़ाना चाहता है।
इन लक्ष्यों को पाने के लिए, दोनों देशों ने साल 2024 में एक उच्च-स्तरीय टास्क फोर्स बनाई है। इसका मकसद रियाद की भारत में 100 अरब डॉलर निवेश करने की योजना को तेजी से आगे बढ़ाना है।
टैक्स में मिल सकती है छूटहाल ही में आई खबरों के अनुसार भारत सरकार पीआईएफ को टैक्स में छूट देने पर भी विचार कर रही है। इससे भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर और ऊर्जा क्षेत्रों को मदद मिलेगी।
अभी के नियम के अनुसार, अगर कोई विदेशी कंपनी भारत में निवेश करती है, तो उसके अलग-अलग हिस्सों से आने वाले निवेश को एक ही माना जाता है। एक कंपनी में निवेश की सीमा 10% तय की गई है। इस नियम की वजह से सऊदी अरब के पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड (PIF) की अलग-अलग कंपनियां भारत में ज्यादा निवेश नहीं कर पा रही थीं। भारत के इस कदम से चीन और पाकिस्तान को मिर्ची लगेगी। क्योंकि दोनों देश भी सऊदी अरब के साथ अपने आर्थिक रिश्ते और बेहतर चाहते हैं।
लेकिन यहां बाजी भारत मारता दिखाई दे रहा है।
अब क्या होगा?भारत सरकार ने सऊदी अरब के पीआईएफ को इस नियम से छूट दे दी है। इसका मतलब है कि पीआईएफ की अलग-अलग कंपनियां अब भारत में अलग-अलग निवेश कर पाएंगी। इससे उनके लिए भारतीय शेयर बाजार में पैसा लगाना आसान हो जाएगा।
भारत चाहता है कि सऊदी अरब भारत में ज्यादा निवेश करे। सऊदी अरब के पास बहुत पैसा है और भारत को विकास के लिए उस पैसे की जरूरत है। सऊदी अरब भी चाहता है कि वह भारत जैसे तेजी से बढ़ते देशों में निवेश करे। सऊदी अरब 'विजन 2030' के तहत अपनी अर्थव्यवस्था को तेल पर निर्भरता से हटाना चाहता है।
दोनों देशों के बीच क्या बात हुई?अप्रैल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब गए थे। वहां दोनों देशों ने मिलकर ऊर्जा, इंफ्रास्ट्रक्चर और दवा जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने पर सहमति जताई थी। भारत और सऊदी अरब एक द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) पर भी बातचीत कर रहे हैं।
रॉयटर्स की खबर के मुताबिक एक सूत्र ने बताया कि अलग-अलग सॉवरेन संस्थाओं से निवेश को एक साथ मिलाने की शर्त के कारण सऊदी फंड और उसकी सहायक कंपनियों की स्वतंत्र रूप से निवेश करने की क्षमता सीमित हो जाती है।
क्या है पीआईएफ?पीआईएफ दुनिया के सबसे बड़े सॉवरेन वेल्थ फंड में से एक है। इसके पास लगभग 925 अरब डॉलर की संपत्ति है। फिलहाल पीआईएफ ने भारत में मुकेश अंबानी की कंपनी जियो प्लेटफॉर्म्स में 1.5 अरब डॉलर और रिलायंस रिटेल में 1.3 अरब डॉलर का निवेश किया है।
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है। वह चाहता है कि तेल से भरपूर खाड़ी देशों से लंबे समय के लिए निवेश आए। वहीं, सऊदी अरब अपनी 'विजन 2030' योजना के तहत तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में निवेश बढ़ाना चाहता है।
इन लक्ष्यों को पाने के लिए, दोनों देशों ने साल 2024 में एक उच्च-स्तरीय टास्क फोर्स बनाई है। इसका मकसद रियाद की भारत में 100 अरब डॉलर निवेश करने की योजना को तेजी से आगे बढ़ाना है।
टैक्स में मिल सकती है छूटहाल ही में आई खबरों के अनुसार भारत सरकार पीआईएफ को टैक्स में छूट देने पर भी विचार कर रही है। इससे भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर और ऊर्जा क्षेत्रों को मदद मिलेगी।
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