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Delhi News: स्कूल नहीं जाना चाहता था 8वीं क्लास का छात्र, भेज दिया 'बम से उड़ाने' का ईमेल

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नई दिल्ली: 15 अगस्त से पहले दिल्ली में पिछले तीन दिन से स्कूलों और बाकी जगहों को बम की धमकियों भरे ईमेल से पुलिस की चिंता बढ़ गई है। पुलिस के सामने चुनौती है कि सोमवार और बुधवार को ईमेल एन्क्रिप्टेड नेटवर्क का यूज करके भेजे गए हैं। जिससे ट्रैक करना मुश्किल हो रहा है, जबकि मंगलवार को एक स्कूल और एक कॉलेज को ईमेल भेजने वाला दिल्ली का ही एक स्टूडेंट था। जिसने सोमवार को मिली धमकी की देखा देखी, ऐसा किया।



डीसीपी अंकित सिंह के मुताबिक, पकड़ा गया स्टूडेंट 12 साल का है और आंठवी में पढ़ता है। वह स्ट्रेस में था। उसके माता पिता साउथ इंडिया में इलाज करने गए हुए हैं। यह लड़का साउथ दिल्ली में दादी के पास रहता है। इसने ही मंगलवार को द्वारका इलाके के एक स्कूल और डीयू के एक कॉलेज को ईमेल भेजा था।



नहीं सोचा था कि पकड़ा जाएगासूत्रों ने बताया कि लड़का स्कूल की छुट्टी चाहता था। इसलिए उसने ऐसा किया। पुलिस ने स्टूडेंट को मंगलवार को ही पकड़ लिया था। उसे इस बात का अहसास नहीं था कि वह आईपी एड्रेस से पकड़ा जाएगा। पुलिस ने उसकी काउंसलिंग की। बाद में उसे हिदायत देकर परिवार के सदस्यों को सौप दिया गया।



जर्मनी से भी भेजे गए हैं ईमेलसूत्रों ने बताया कि सोमवार और बुधवार को भेजे गए धमकी भरे ईमेल में वीपीएन का यूज हुआ है। अभी तक की जांच में पता चला है कि यह जर्मनी से भेजे गए हैं। ईमेल में पुलिस को कोड वर्ड मिले हैं। ऐसा लगता है कि यह गेमिंग की कोडिंग हो। मगर सुरक्षा एजेंसियां मान कर चल रही हैं कि गेमिंग कोडिंग में कोई बड़ा मेसेज छिपा हो सकता है।



पापों की कीमत चुकानी होगीदरअसल बुधवार के ईमेल का आईपी एड्रेस जर्मन नेटवर्क की ओर इशारा करता है । ईमेल अकाउंट भी जर्मनी स्थित प्रोवाइडर से जुड़ा हुआ है। बुधवार को भेजे गए धमकी भरे ईमेल में लिखा था कि 'गुड मॉर्निंग एक्सप्लोसिव डिवाइस बैग के अंदर छिपाए गए हैं और स्कूल के क्लासरूम्स के आसपास रखे गए हैं, आप सभी अपने पापों की कीमत चुकाएंगे'।



टुटामेल का किया गया इस्तेमाल

जांच एजेंसियों का मानना है कि यह ईमेल जर्मनी के एन्क्रिप्टेड ईमेल सेवा टुटामेल का यूज करके भेजा गया होगा। जिसने हाल ही में नया एन्क्रिप्टेड प्रोटोकॉल लॉन्च किया है । टुटा एक ओपन सोर्स एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड ईमेल प्लेटफॉर्म है। जिसके 10 मिलियन से ज्यादा यूजर्स हैं। जांच टीम का कहना है कि भेजने वाले वीपीएन और डार्क वेब दोनों का इस्तेमाल कर रहे हैं।



डार्क वेब पर ट्रैकिंग मुश्किलपुलिस अफसर ने बताया कि डार्क वेब पर किसी को ट्रैक करना मुश्किल होता है। इस साल जनवरी में पुलिस ने 12वीं क्लास के एक स्टूडेंट को पकड़ा था। जिसने कथित तौर पर 400 से ज्यादा स्कूलों को बम की धमकी भेजी थी। कई प्रॉक्सी सर्वरों से रूट किए गए ईमेल का पता लगाना आसान नहीं है।

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