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गुजरात से बिहार के कुर्मियों को साधने की तैयारी, बीजेपी ने खेला सरदार पटेल कार्ड, केवड़िया पहुंचे PM मोदी

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अहमदाबाद: गुजरात में जब से पाटीदार यानी पटेल बीजेपी के साथ आए हैं तब से लगातार कमल खिल रहा है। शायद यही वजह थी देश को एकता के सूत्र में बांधने वाली कांग्रेस के नेता सरदार पटेल की पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री रहते हुए विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा स्थापित करने का ऐलान किया था। इस फैसले से पीएम मोदी को पूरे देश में फायदा हुआ था। यूपी में विशेष तौर पर कुर्मी वोटों का धुव्रीकरण बीजेपी के पक्ष में हुआ था। ऐसे में जब 31 अक्टूबर को लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती है तब पीएम नरेंद्र मोदी एक और बड़ा मास्टरस्ट्रोक जड़ने जा रहे हैं। गुजरात के केवडिया में अब तक सबसे बड़ा राष्ट्रीय एकता दिवस समारोह होगा। गणतंत्र दिवस की तर्ज पर कई राज्यों की झांकियां भी परेड में हिस्सा लेंगी। ऐसे में जब बिहार में विधानसभा के चुनावों पूरे जोरशोर पर हैं तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केवाडिया के संबोधन को बेहद अहम माना जा रहा है। केवडिया के कार्यक्रम में लौह पुरुष सरदार पटेल के वंशज भी मौजूद रहेंगे। इस आयोजन के लिए गुजरात सरकार ने अभूतपूर्व तैयारियां की हैं। पीएम मोदी बाारिश के बीच वडोदरा से सड़क मार्ग से केवडिया रवाना हुए।




शाह के बयान से खलबली, क्या बोलेंगे पीएम?
गुजरात में बीजेपी ने 2022 में सातवीं बार जीत दर्ज की थी। गुजरात में बीजेपी लंबे समय से अपने बूते पर सरकार पर काबिज है। पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुंबई दौरे में कहा था कि बीजेपी को बैसाखियों की जरूरत नहीं है। इस बयान ने महायुति के सहयोगी दलों के साथ जेडीयू के अंदर भी बैचेनी है। ऐसे में केवडिया से पीएम मोदी क्या बोलेंगे? इस पर सभी की निगाहें लगी हैं। पीएम मोदी सरदार पटेल को लेकर कांग्रेस न सिर्फ घेरते आए हैं बल्कि कांग्रेस को मुश्किल में भी डाल चुके हैं। राजनीतिक विश्लेषक केवडिया में सरदार पटेल की 150वीं जयंती के सेलिब्रेशन को अलग नजरिए से देख रहे हैं। पीएम मोदी जहां सरदार साहेब को जहां नमन करेंगे तो वहीं बीजेपी ने गुजरात से लेकर यूपी और पूरे देश में इस मौके पर कार्यक्रमों की लंबी श्रृखंला तैयार की है। यूपी में बीजेपी सरदार पटेल की जयंती को गांवों और वार्ड तक मनाएगी।




केवडिया टू पटना वाया कानपुर
देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में सरदार पटेल की बहुत ज्यादा स्वीकार्यता है। बीजेपी 150वीं जयंती को बड़े स्तर पर सेलिब्रेट करके कुर्मी समाज की नाराजगी दूर करना जाती है। पिछले कुछ समय से समाजवादी पार्टी के पीडीए ने थोड़ी चुनौती खड़ी की है। कुर्मी बेल्ट में बीजेपी के प्रति नाराजगी भी है। बीजेपी के रणनीतिकारों को उम्मीद है कि केवडिया से निकलने वाला संदेश बहुत दूर तक जाएगा। यूपी में बीजेपी कुर्मी वोटों के लिए सहयोगी दलों पर निर्भर है। इसमें अपना दल (साेनेलाल) शामिल है। पहले ऐसी स्थिति नहीं थी।




कांग्रेस से छीनी लीगेसी

उत्तर प्रदेश में पहले बीजेपी के पास अपनी कुर्मी लीडरशिप थी। इनमें विनय कटियार, प्रेमलता कटियार, ओम प्रकाश सिंह जैसे नेता थे। बीजेपी ने सपा में रहने के बाद कांग्रेस से बीजेपी में आए राकेश सचान को कैबिनेट मंत्री बनाया है लेकिन ग्राउंड पर वह प्रभाव नहीं छोड़ पा रहे हैं, हाल ही में यूपी में सरदार सेना का भी गठन हुआ है। बीजेपी को उम्मीद है कि सरदार पटेल के जरिए उसे बिहार में भी फायदा मिल सकता है। ऐसे में एक तीर से कई निशाने साधना चाहती है। केवडिया जो गुजरात की राजनीति काफी चर्चित शब्द है। इस बार बीजेपी यहां से राष्ट्रव्यापी संदेश देना चाहती है, क्योंकि सरदार पटेल इकलौते ऐसे महापुरुष है जिनकी स्वीकार्यता सबसे ज्यादा है।
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