क रनाल : अमेरिका में बेहतर जिंदगी और अपने परिवार के सपनों को पूरा करने की उम्मीद में निकले हरियाणा के करनाल जिले के कई युवाओं का सपना चकनाचूर हो गया। अमेरिका ने 50 भारतीय नागरिकों को डिपोर्ट किया है, जिनमें से 16 करनाल के हैं। इन्हीं में शामिल है सगोही गांव का रजत, जो बीते साल बड़ी उम्मीदों के साथ घर से निकला था। लेकिन अब लाखों रुपए डूबने और टूटे अरमानों के साथ वापस लौट आया है। रजत की आंखों में लौटने के बाद भी वही डर और थकान साफ झलक रही है। उसने बताया कि वह 26 मई 2024 को अमेरिका के लिए निकला था। उसके परिवार ने उसे विदेश भेजने के लिए सब कुछ दांव पर लगा दिया। उसके घर वालों ने हलवाई की दुकान बेची, प्लॉट बेचा और करीब 45 लाख रुपये एजेंट को दिए।
रजत ने बताई खौफनाक यात्रा
रजत ने बताया कि हम करीब 12-13 लड़के थे। सबका सपना था अमेरिका जाकर परिवार की हालत सुधारेंगे। हमें पनामा के जंगलों से गुजरना पड़ा। कई बार ऐसा लगा कि हम जिंदा नहीं बचेंगे। कहीं-कहीं तो पानी और खाने के बिना रहना पड़ा। कई बार जंगलों में रातें ऐसे गुजरीं कि कोई जानवर पास से निकल गया तो सांसें थम सी जाती थीं। कठिन यात्राओं और डरावने रास्तों को पार करते हुए 2 दिसंबर को आखिरकार अमेरिकी बॉर्डर पार करने में सफल हुआ। लेकिन वहां भी राहत नहीं मिली। हमें पहले 12-13 दिन हिरासत में रखा गया, फिर एक और कैंप में भेज दिया गया। 20 अक्टूबर को हमें बताया गया कि हमें भारत वापस भेजा जा रहा है। किसी ने कोई गलत सलूक तो नहीं किया, पर वहां की हालत बहुत कठिन थी।
भाई बोला- हमने 60 लाख रुपये खर्च किए
रजत के भाई विशाल ने कहा कि हमने 60 लाख रुपये से ज्यादा खर्च कर दिए। 45 लाख एजेंट को दिए, बाकी बॉर्डर क्रॉस और कानूनी प्रक्रिया में लग गए। हमने घर, दुकान, सब बेच दिया ताकि रजत वहां बस सके। लेकिन अब वह खाली हाथ लौट आया है। हमारे सारे सपने टूट गए। परिवार अब उस एजेंट के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी में है जिसने उन्हें झूठे वादों में फंसाया। विशाल ने अन्य युवाओं से अपील की कि हमारी तरह गलती मत करना। गलत रास्ते से विदेश जाना बर्बादी का रास्ता है। अगर विदेश जाना है तो कानूनी और सही तरीके से जाएं।
रजत ने बताई खौफनाक यात्रा
रजत ने बताया कि हम करीब 12-13 लड़के थे। सबका सपना था अमेरिका जाकर परिवार की हालत सुधारेंगे। हमें पनामा के जंगलों से गुजरना पड़ा। कई बार ऐसा लगा कि हम जिंदा नहीं बचेंगे। कहीं-कहीं तो पानी और खाने के बिना रहना पड़ा। कई बार जंगलों में रातें ऐसे गुजरीं कि कोई जानवर पास से निकल गया तो सांसें थम सी जाती थीं। कठिन यात्राओं और डरावने रास्तों को पार करते हुए 2 दिसंबर को आखिरकार अमेरिकी बॉर्डर पार करने में सफल हुआ। लेकिन वहां भी राहत नहीं मिली। हमें पहले 12-13 दिन हिरासत में रखा गया, फिर एक और कैंप में भेज दिया गया। 20 अक्टूबर को हमें बताया गया कि हमें भारत वापस भेजा जा रहा है। किसी ने कोई गलत सलूक तो नहीं किया, पर वहां की हालत बहुत कठिन थी।
भाई बोला- हमने 60 लाख रुपये खर्च किए
रजत के भाई विशाल ने कहा कि हमने 60 लाख रुपये से ज्यादा खर्च कर दिए। 45 लाख एजेंट को दिए, बाकी बॉर्डर क्रॉस और कानूनी प्रक्रिया में लग गए। हमने घर, दुकान, सब बेच दिया ताकि रजत वहां बस सके। लेकिन अब वह खाली हाथ लौट आया है। हमारे सारे सपने टूट गए। परिवार अब उस एजेंट के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी में है जिसने उन्हें झूठे वादों में फंसाया। विशाल ने अन्य युवाओं से अपील की कि हमारी तरह गलती मत करना। गलत रास्ते से विदेश जाना बर्बादी का रास्ता है। अगर विदेश जाना है तो कानूनी और सही तरीके से जाएं।
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