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बदलते मौसम में डिहाइड्रेशन के संकेतों को न करें नजरअंदाज, समय रहते हो जाये सतर्क

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बदलते मौसम के साथ शरीर में पानी की जरूरतें भी बदल जाती हैं। गर्मी से सर्दी या बरसात में प्रवेश करते समय कई लोग यह मान लेते हैं कि अब पानी की मात्रा कम करना ठीक है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह सोच शरीर के लिए खतरनाक हो सकती है। मौसम कोई भी हो, डिहाइड्रेशन (जल की कमी) से शरीर में गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

डॉक्टरों के मुताबिक, बदलते मौसम में पसीना कम आता है, इसलिए हमें प्यास भी कम लगती है। यही कारण है कि लोग पानी पीना भूल जाते हैं और शरीर में धीरे-धीरे पानी की कमी शुरू हो जाती है। यह स्थिति कई बार गंभीर रूप ले सकती है, खासकर बुजुर्गों, बच्चों और बीमार व्यक्तियों के लिए।

डिहाइड्रेशन के 7 अहम संकेत जिन्हें नहीं करना चाहिए नजरअंदाज

गला बार-बार सूखना:
यह डिहाइड्रेशन का सबसे पहला और स्पष्ट संकेत है। अगर बार-बार गला सूखता है और बार-बार पानी पीने की जरूरत महसूस होती है, तो यह संकेत है कि शरीर में पानी की मात्रा कम हो रही है।

पेशाब का रंग पीला और मात्रा कम होना:
यदि पेशाब का रंग गहरा पीला हो रहा है और बार-बार पेशाब नहीं आ रहा, तो समझ लें कि शरीर में तरल की कमी हो रही है।

थकावट और चक्कर आना:
जब शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है, तो रक्तचाप गिर सकता है, जिससे कमजोरी और चक्कर आने लगते हैं।

मुंह और होंठों का सूखना:
अगर आपके होंठ फटने लगे हैं और मुंह लगातार सूखा महसूस हो रहा है, तो यह भी डिहाइड्रेशन का संकेत हो सकता है।

त्वचा की नमी का कम होना:
शरीर में पानी की कमी से त्वचा रूखी, बेजान और खिंची-खिंची लगने लगती है। त्वचा पर खिंचाव और चमक का अभाव भी इसकी निशानी है।

मांसपेशियों में ऐंठन:
डिहाइड्रेशन के कारण इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बिगड़ता है, जिससे मांसपेशियों में ऐंठन या झटके आ सकते हैं।

दिल की धड़कन तेज होना:
शरीर में पानी की कमी से रक्त गाढ़ा हो जाता है, जिससे दिल को अधिक मेहनत करनी पड़ती है और धड़कन तेज हो सकती है।

समय रहते क्या करें?

रोजाना कम से कम 2.5 से 3 लीटर पानी पीने की आदत बनाएं, चाहे प्यास लगे या न लगे।

नारियल पानी, छाछ, नींबू पानी जैसे प्राकृतिक पेय लें।

कैफीन और शक्कर वाले ड्रिंक्स से बचें क्योंकि ये और डिहाइड्रेशन बढ़ा सकते हैं।

फलों और सब्जियों को आहार में शामिल करें, जिनमें पानी की मात्रा अधिक हो, जैसे खीरा, तरबूज, संतरा आदि।

बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि वे अपनी प्यास को स्पष्ट रूप से व्यक्त नहीं कर पाते।

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