भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपने सितंबर 2025 के मासिक बुलेटिन में कहा है कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर और मजबूत गति से आगे बढ़ रही है। RBI बुलेटिन के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में देश की आर्थिक विकास दर पिछले पांच तिमाहियों में सबसे अधिक दर्ज की गई है।
इस मजबूत विकास के पीछे घरेलू मांग, उपभोग और निवेश में बनी मजबूती को मुख्य कारण बताया गया है। RBI ने कहा है कि लगातार सात महीनों से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर उसके निर्धारित लक्ष्य से नीचे बनी हुई है, जो एक सकारात्मक संकेत है।
बुलेटिन में यह भी बताया गया कि बैंकों के पास पर्याप्त तरलता (Liquidity) मौजूद रही है, जिससे व्यक्तिगत और कॉरपोरेट कर्ज वितरण में तेजी आई है। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) और शेयर बाजार से व्यापार जगत को मिलने वाली पूंजी में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। ब्याज दरों में बदलाव का सकारात्मक असर NBFCs की वित्तीय स्थिति पर भी देखने को मिला है।
यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) जैसे डिजिटल भुगतान साधनों के चलते नकदी की मांग में कमी आई है। फिनटेक कंपनियों ने तकनीकी चुनौतियों के बावजूद उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं प्रदान की हैं।
विदेशों में सेवाओं के निर्यात और प्रवासी भारतीयों द्वारा भेजी गई धनराशि (रेमिटेंस) के चलते देश का चालू खाता घाटा भी कम हुआ है। RBI के अनुसार, गरीब राज्यों में उपभोग में तेजी आने से अमीर और गरीब राज्यों के बीच आर्थिक खाई में कुछ कमी आई है। देश में सड़क, बिजली, और अन्य आधारभूत संरचनाओं के विकास ने भी आर्थिक प्रगति में अहम भूमिका निभाई है।
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