भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने इस्तीफे की वजह स्वास्थ्य समस्याएं बताईं, जिससे न केवल राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई बल्कि यह सवाल भी उठ खड़ा हुआ कि आखिर वे कौन सी बीमारियां थीं, जिनके कारण उन्होंने इतना बड़ा और अहम फैसला लिया? आइए पूरे घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं।
इस्तीफे के पीछे क्या कारण था?
जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे अपने त्यागपत्र में स्पष्ट किया कि वे यह कदम डॉक्टरों की सलाह और अपनी सेहत को प्राथमिकता देते हुए उठा रहे हैं। उन्होंने अपने पत्र में कहा— "स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं, जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 67(ए) में प्रावधान है।" धनखड़ ने अपने कार्यकाल में मिले सहयोग के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संसद सदस्यों का आभार भी व्यक्त किया। हालांकि, उन्होंने पत्र में अपनी बीमारी का नाम या प्रकृति स्पष्ट नहीं की।
किस बीमारी की वजह से पद छोड़ा?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 9 मार्च 2025 को जगदीप धनखड़ को सीने में दर्द और बेचैनी के चलते AIIMS, दिल्ली में भर्ती कराया गया था। उन्हें क्रिटिकल केयर यूनिट (CCU) में रखा गया और वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञों की निगरानी में इलाज हुआ। उनकी स्थिति उस समय स्थिर बताई गई और उन्हें 12 मार्च को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। हालांकि, इसके बाद भी उनकी सेहत में सुधार नहीं हुआ। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया कि साल की शुरुआत में वे नैनीताल के एक अस्पताल में भी भर्ती हो चुके थे। सूत्रों के हवाले से बताया गया कि धनखड़ लंबे समय से हृदय संबंधी गंभीर समस्याओं से जूझ रहे थे। डॉक्टरों ने उन्हें तनाव से दूर रहने और आराम करने की सख्त सलाह दी थी।
उपराष्ट्रपति पद की जिम्मेदारियां और स्वास्थ्य पर प्रभाव
भारत के उपराष्ट्रपति की भूमिका सिर्फ संवैधानिक नहीं होती, बल्कि वह अत्यधिक दायित्वपूर्ण और मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण भी होती है। वे राज्यसभा के सभापति होते हैं, जहां उन्हें अक्सर तीखी बहसों और राजनीतिक टकरावों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में यह जिम्मेदारी उन पर भारी पड़ सकती है, खासकर जब स्वास्थ्य पहले से नाजुक हो। धनखड़ को उनके कार्यकाल के दौरान विपक्ष की आलोचनाओं और चुनौतियों का लगातार सामना करना पड़ा, जिससे मानसिक तनाव और बढ़ा। डॉक्टरों की सलाह और स्वास्थ्य की बिगड़ती हालत को देखते हुए, उन्होंने अपने इस्तीफे में स्पष्ट संकेत दिया कि वह अपनी जिम्मेदारियां निभाना तो चाहते थे, लेकिन सेहत अब इसकी इजाजत नहीं दे रही थी।
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