इंदौर के मशहूर कारोबारी राजा रघुवंशी आज अगर ज़िंदा होते, तो शायद हालात कुछ और होते… अगर सोनम रघुवंशी को अपने फैसले पर चलने की आज़ादी मिलती, अगर उसे ज़बरदस्ती एक रिश्ते में ना धकेला गया होता। दरअसल, सोनम ने परिवार के सामने साफ कहा था—"मैं राजा से शादी नहीं करूंगी।" लेकिन उसके घर में कोई ऐसा था, जिसने अपनी भावनात्मक ज़िद से सबको हिला दिया। सोनम के पिता देवी सिंह ने दो टूक कहा था—"शादी होगी तो बस राजा से ही… नहीं तो मैं अपनी जान दे दूंगा।" और यही जिद इस दर्दनाक कहानी की शुरुआत बन गई।
बताया जा रहा है कि सोनम के पिता देवी सिंह ने उसे साफ कह दिया था कि वह सिर्फ राजा से ही शादी करेगी। उन्होंने यह भी दोहराया कि यह फैसला उनका है और वही अंतिम होगा। उन्होंने सोनम से कहा कि लड़का अच्छा है, परिवार भला है, और यही रिश्ता मंज़ूर है। इस रिश्ते को और पुख्ता करने के लिए, सोनम के भाई गोविंद ने भी राजा को पसंद कर पिता को बताया था। फिर कुंडली मिलाई गई और शादी तय हो गई।
जब लड़की की नहीं सुनी जाती बात…
कुंडली मिलते ही जैसे सब कुछ पक्का मान लिया गया। लेकिन यहीं से सोनम की नाराजगी और विरोध की शुरुआत हुई। उसने मां-पिता से खुलकर कहा कि वह राजा से शादी नहीं करना चाहती। जब उससे वजह पूछी गई, तो उसने कहा कि वह भाई गोविंद के साथ बिजनेस में जुड़ना चाहती है, अपना करियर बनाना चाहती है। मगर उसके जवाबों में पिता देवी सिंह को कुछ अधूरापन और झूठ का एहसास हुआ।
एक लड़की की चुप्पी का शोर
सूत्रों का कहना है कि पिता देवी सिंह को लगने लगा था कि सोनम कुछ छुपा रही है, और इसीलिए उन्होंने अपनी मर्जी थोप दी। उन्होंने बेटी से कहा—"शादी सिर्फ मेरी मर्जी से होगी, और वो होगी राजा से ही।" सोनम ने मां से भी साफ कहा था—"शादी तो कर लूंगी, लेकिन इसका अंजाम अच्छा नहीं होगा।" तब शायद किसी ने उसके उस वाक्य को गंभीरता से नहीं लिया।
और फिर हो गई वो शादी, जिसका अंजाम मौत था
11 मई को शादी हो गई। परिवार खुश था, रिश्तेदारों ने बधाई दी, तस्वीरें खिंचीं… लेकिन किसी को नहीं पता था कि इस रिश्ते की डोर बहुत जल्द खून से सनी दिखाई देगी। 21 मई को दोनों हनीमून के लिए शिलांग गए और 2 जून को राजा की लाश एक खाई में मिली। जांच में सामने आया कि सोनम ने अपने प्रेमी राज कुशवाह और अन्य तीन लोगों के साथ मिलकर राजा की हत्या की साजिश रची थी।
अब सब न्यायिक हिरासत में, लेकिन सवाल बाकी हैं
मास्टरमाइंड राज कुशवाह था, जो आज भी न्यायिक हिरासत में है, बाकी आरोपी भी जेल में हैं। लेकिन जो सवाल रह गए हैं—क्या एक बेटी की ज़िद को समझा नहीं जाना चाहिए था? क्या एक पिता की भावनात्मक धमकी एक ज़िंदगी की कीमत बन गई?
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