पाकिस्तान की मंशा एक बार फिर वैश्विक मंच पर उजागर हो गई है। अमेरिका की डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (DIA) की हालिया रिपोर्ट में बड़ा खुलासा किया गया है कि पाकिस्तान लगातार अपनी परमाणु ताकत को न केवल मजबूत कर रहा है, बल्कि इसे युद्ध के मैदान में इस्तेमाल करने योग्य भी बना रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान भारत को अपनी सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है और इसी कारण वह अपनी परमाणु और सैन्य क्षमताओं को तेजी से बढ़ा रहा है।
परमाणु हथियारों को आधुनिक बना रहा पाकिस्तान, चीन की मिल रही मदद
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान, चीन की तकनीकी सहायता से अपने परमाणु हथियारों के जखीरे को आधुनिक बनाने में जुटा है। खास बात यह है कि पारंपरिक परमाणु हथियारों को अपग्रेड करने के साथ ही पाकिस्तान छोटे आकार के ‘बैटलफील्ड न्यूक्लियर वेपन’ भी तैयार कर रहा है, जिन्हें युद्ध की स्थिति में सीधे इस्तेमाल किया जा सके। यह भारत के सैन्य वर्चस्व को चुनौती देने की उसकी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
पाक की प्राथमिकता: सीमा पर तनाव और सामरिक संतुलन
रिपोर्ट यह भी बताती है कि पाकिस्तान की रक्षा रणनीति केवल हथियारों के निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि उसमें भारत के साथ सीमा पर झड़पों को प्राथमिकता देना, आतंकवाद से निपटना और रणनीतिक संतुलन बनाए रखना भी प्रमुख उद्देश्य हैं। साथ ही यह भी सामने आया है कि पाकिस्तान, चीन सहित विदेशी आपूर्तिकर्ताओं से सामूहिक विनाश के हथियारों (WMD) से जुड़े उपकरणों और तकनीक को लगातार हासिल कर रहा है।
तकनीक की सप्लाई में अन्य देश भी शामिल
चौंकाने वाली बात यह है कि ये तकनीकी उपकरण और सामग्री सीधे पाकिस्तान नहीं पहुंचाई जा रही, बल्कि इसे हांगकांग, सिंगापुर, तुर्की और यूएई जैसे देशों के माध्यम से भेजा जा रहा है। रिपोर्ट में यह भी संकेत दिए गए हैं कि पाकिस्तान और चीन के बीच रिश्तों में तनाव भी बढ़ा है — खासकर उन हमलों के कारण जिनमें पाकिस्तान में कार्यरत चीनी नागरिकों को निशाना बनाया गया।
भारत की रक्षा नीति का भी हुआ विश्लेषण
इस अमेरिकी रिपोर्ट में भारत की रक्षा नीति और रणनीतिक दिशा को लेकर भी अहम बातें कही गई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भारत ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने, हिंद महासागर क्षेत्र में सामरिक सहयोग को मजबूत करने और चीनी प्रभाव को संतुलित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। साथ ही, रूस के साथ रणनीतिक संबंधों को बनाए रखते हुए भी, भारत अब हथियारों की खरीद के लिए उस पर पहले से कम निर्भर है।
भारत की सैन्य क्षमताएं हो रही आधुनिक
रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि भारत तेजी से अपनी मिसाइल क्षमताओं को अपग्रेड कर रहा है। हाल ही में भारत ने अग्नि-1 प्राइम और MIRV तकनीक से युक्त अग्नि-V मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। इसके अलावा, भारत की दूसरी न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन भी संचालन में आ चुकी है। ये सभी उपलब्धियां यह संकेत देती हैं कि भारत न केवल अपनी रक्षा प्रणाली को अत्याधुनिक बना रहा है, बल्कि क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को बनाए रखने के लिए एक जिम्मेदार और सजग राष्ट्र की भूमिका निभा रहा है।
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