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1992 अजमेर ब्लैकमेल कांड: हाईकोर्ट ने स्थगित की चार दोषियों की उम्रकैद सजा

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जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने 1992 में देश को हिला देने वाले अजमेर ब्लैकमेल और गैंगरेप कांड में उम्रकैद की सजा काट रहे चार दोषियों को बड़ी राहत दी है। अदालत ने उनकी सजा को अपील के अंतिम निस्तारण तक स्थगित करने के साथ उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।

जस्टिस इंद्रजीत सिंह और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश दोषी नफीस चिश्ती, इकबाल भाटी, सलीम चिश्ती और सैयद जमीर हुसैन की सजा स्थगन याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। इन चारों ने अजमेर के पॉक्सो कोर्ट के 20 अगस्त 2024 के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई गई थी।

वकीलों का तर्क


मामले में बचाव पक्ष के वकील विनयपाल यादव ने दलील दी कि हाईकोर्ट में अपील पर सुनवाई पूरी होने में लंबा समय लग सकता है। ऐसे में अपील का फैसला आने तक दोषियों को जेल में रखना अन्यायपूर्ण होगा। अदालत ने यह तर्क मानते हुए सजा को अस्थायी रूप से रोक दिया और सभी चारों को जमानत का लाभ देने का आदेश दिया।

32 साल पुराना मामला

1992 में अजमेर में घटित ब्लैकमेल और सामूहिक दुष्कर्म का यह कांड राजस्थान ही नहीं, पूरे देश को हिला देने वाला मामला था। इसमें 100 से अधिक स्कूली और कॉलेज छात्राओं को योजनाबद्ध तरीके से फंसाकर उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया और अश्लील तस्वीरों के जरिए उन्हें लगातार ब्लैकमेल किया जाता रहा। इस भयावह अपराध के कारण कई पीड़िताओं ने बदनामी के डर से आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया। पुलिस जांच में सामने आया कि इस घिनौने कृत्य में कुल 18 लोगों की संलिप्तता थी, जिनमें कई स्थानीय प्रभावशाली लोग भी शामिल थे। 1998 में ट्रायल कोर्ट ने कई आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। बाद में हाईकोर्ट ने चार दोषियों की सजा घटाकर 10 साल कर दी, जबकि चार अन्य को दोषमुक्त कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने भी कुछ आरोपियों को उनकी सजा की अवधि पूरी करने के बाद रिहा करने के आदेश दिए। वहीं, एक आरोपी सोहेल गनी लगभग 29 साल फरार रहने के बाद हाल ही में पुलिस के सामने समर्पण कर चुका है।



इस कांड की शुरुआत एक व्यापारी के बेटे के यौन शोषण से हुई थी। आरोपियों ने उसकी अश्लील तस्वीरें खींचीं और इन्हीं तस्वीरों का सहारा लेकर उसकी गर्लफ्रेंड को ब्लैकमेल किया। उसे पोल्ट्री फार्म बुलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया गया और उसकी न्यूड तस्वीरें भी ली गईं। इन तस्वीरों का डर दिखाकर उसकी सहेलियों को भी बुलाया गया और यौन शोषण का शिकार बनाया गया। यह सिलसिला धीरे-धीरे दर्जनों लड़कियों तक फैल गया। आरोपियों ने कैमरे की रील एक फोटो लैब में डेवलप करने के लिए दी, जहां एक कर्मचारी की नियत बिगड़ गई और उसके माध्यम से ये तस्वीरें सार्वजनिक हो गईं। इन तस्वीरों के जिनके भी हाथ लगे, उन्होंने और लड़कियों को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। यह संगठित अपराध अपनी क्रूरता, योजना और पीड़िताओं की संख्या के कारण राजस्थान के अपराध इतिहास में सबसे कुख्यात यौन शोषण मामलों में गिना जाता है।

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