धनतेरस 2025 की पूर्व संध्या पर देशभर के सर्राफा बाजारों में सोने और चांदी की कीमतों में अप्रत्याशित गिरावट देखने को मिली है। विशेषकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शनिवार को 24 कैरेट सोने की कीमतें रिकॉर्ड स्तर से गिरकर 1,32,400 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गईं, जो शुक्रवार की तुलना में 2,400 रुपये की बड़ी गिरावट है।
अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, एक दिन पहले यानी शुक्रवार को ही 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 3,200 रुपये चढ़कर 1,34,800 रुपये प्रति 10 ग्राम के अपने सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था। हालांकि शनिवार को बाजार खुलते ही भाव तेजी से नीचे फिसले। इसी प्रकार 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना भी गिरावट के साथ 1,31,800 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया, जबकि पिछले सत्र में यह 1,34,200 रुपये के उच्चतम बिंदु को छू चुका था।
पिछले वर्ष यानी 2024 में धनतेरस के दिन सोने की कीमत 81,400 रुपये प्रति 10 ग्राम थी। इस वर्ष यह 1,32,400 रुपये हो गई है। मात्र एक साल में यह 51,000 रुपये या लगभग 62.65 प्रतिशत की बढ़ोतरी को दर्शाता है। इसके बावजूद ग्राहकों की दिलचस्पी में कोई बड़ी कमी नहीं देखी गई।
चांदी की कीमतों की बात करें तो इसमें भी लगातार दूसरे दिन गिरावट दर्ज की गई है। शनिवार को चांदी 7,000 रुपये की गिरावट के साथ 1,70,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई। शुक्रवार को इसका भाव 1,77,000 रुपये प्रति किलो था। दिलचस्प बात यह है कि पिछले साल धनतेरस पर चांदी 99,700 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो अब 70.51 प्रतिशत की सालाना वृद्धि को दर्शा रही है।
व्यापारियों के अनुसार, इस गिरावट के पीछे अंतरराष्ट्रीय बाजारों से मिले कमजोर संकेत हैं। वैश्विक स्तर पर निवेशकों ने भारी मुनाफे के बाद मुनाफावसूली शुरू की है, जिसका सीधा असर स्थानीय बाजार पर पड़ा है। इसके बावजूद भारत में धनतेरस पर सोने-चांदी की परंपरागत खरीदारी में खासा उत्साह नजर आया।
कामा ज्वेलरी के प्रबंध निदेशक कोलिन शाह ने बताया कि भले ही कीमतें ऊंचाई पर रहीं, लेकिन उपभोक्ताओं का उत्साह कम नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि ‘‘धनतेरस की पारंपरिक चमक इस बार भी पूरी तरह बनी रही। महंगाई, ऊंची कीमतें और जीएसटी के बावजूद लोग निवेश करने बाजारों में पहुंचे।’’
दिलचस्प रूप से, इस बार चांदी की मांग ने सोने को पीछे छोड़ दिया। चांदी के सिक्कों की बिक्री में 35 से 40 प्रतिशत की जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई है। कई दुकानदारों ने बताया कि कुल बिक्री मूल्य पिछले वर्ष की तुलना में दोगुना तक पहुँच गया। इसके विपरीत, सोने की ज्वेलरी की बिक्री में मात्रा के लिहाज से लगभग 15 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली।
अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद (GJC) के अध्यक्ष राजेश रोकड़े ने बताया कि इस साल कुल बिक्री में 10 से 15 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है, लेकिन कीमतों की तेज़ी के कारण मूल्य के आधार पर कुल कारोबार अब भी बहुत ऊंचे स्तर पर है। उन्होंने उम्मीद जताई कि धनतेरस से लेकर दिवाली तक की कुल बिक्री 50,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर सकती है।
धनतेरस के इस मौसमी उतार-चढ़ाव के बावजूद भारत में कीमती धातुओं की परंपरागत मांग और धार्मिक महत्व ने बाजार में ऊर्जा बनाए रखी है। चाहे वह निवेश की दृष्टि से हो या सांस्कृतिक परंपरा के तहत, सोना और चांदी आज भी भारतीय अर्थव्यवस्था में विश्वास और समृद्धि के प्रतीक बने हुए हैं।
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